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Tuesday, January 19, 2021

January 19, 2021

चंडीगढ़ प्रशासन का बड़ा फ़ैसला

चंडीगढ़ प्रशासन का बड़ा फ़ैसला

-चंडीगढ़-पंजाब बॉर्डर सील,बैरीकेड लगाकर बॉर्डर को किया गया सील
-किसानों के ट्रेक्टर मार्च को लेकर उठाया क़दम

Monday, January 18, 2021

January 18, 2021

किसान आंदोलन को लेकर महिलाओं की हुंकार -खटकड़ व बद्दोवाल टोल पर महिलाओं ने निकाला

किसान आंदोलन को लेकर महिलाओं की हुंकार 

-खटकड़ व बद्दोवाल टोल पर महिलाओं ने निकाला मार्च

- महिलाओं ने गीतों व भजनों से जमकर निकाली भड़ास

-स्वयं ट्रैक्टर चलाकर धरने पर पहुंचने वाली महिलाओं को किया सम्मानित

खटकड़ व बद्दोवाल टोल प्लाजा पर सोमवार को महिला किसान दिवस मनाया गया। महिलाओं ने दोनों टोल पर मार्च निकाला। दोनों स्थानों पर 26 दिसंबर से तीन कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर धरना दिया जा रहा है। 
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सोमवार को खटकड़ टोल पर आयोजित किसान दिवस पर महिलाओं ने धरने की अध्यक्षता की तो मंच संचालन भी महिलाओं ने ही किया। अध्यक्षता परमेश्वरी देवी ने की तो मंच संचालन किसान एकता महिला सेल की जिलाध्यक्ष सिक्किम सफा खेड़ी ने की। 
सुबह से ही आस-पास के गांवों से सैंकड़ों महिलाएं ने रंग बिरंगी ड्रैसे पहनकर और ट्रैक्टर चला चलाकर टोल टैक्स पर पहुंचनी शुरू हो गई थी। यहां महिलाओं ने रंग बिरंगी ड्रैसों में लोक गीतों पर डांस भी किया। तिरंगे के साथ सैंकड़ों महिलाओं ने मार्च निकालने के साथ-साथ महिलाओं ने पीटी शो भी किया। 
सिक्किम सफा खेड़ी ने कहा कि अपने हकों की इस लड़ाई को किसान संयम, अनुशासन से लड़ की जीतेंगे। आज दिल्ली बॉर्डर पर 50 दिन से ज्यादा किसानों को अपने हकों के लिए धरना देते हुए है। अनुशासन से धरना चल रहा है। जो भी किसान मोर्चा के नेता आदेश करेंगे। उन आदेशों को किसान वर्ग मनेगा।  किसान नेता आजाद पालवां ने कहा कि हजारों की संख्या में महिलाओ ने महिला दिवस मनाया। लाखों की संख्या में महिलाएं 26 जनवरी को दिल्ली पहुंचेगी और काले कानून वापिस करवा कर लौटेगी। महिला पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग कर रही है। 
इसी कड़ी में बदोवाल टोल प्लाजा पर चल रहे 25वें धरने पर महिलाओं का भारी जनसमूह उमड़ा। धरने पर पहुंचने वाली महिलाओं मेें जबरदस्त जोश देखने को मिला। धरने पर शामिल होने के लिए विभिन्न गांवों से महिलाएं खुद ट्रैक्टर चलाकर पहुंची। मंच संचालन गांव दनौदा की डिंपल ने बड़े ही बढिय़ा ढंग से किया। महिलाएं गांव बदोवाल, सच्चाखेड़ा, बेलरखां, गुरूसर, भीखेवाला, ईस्माइलपुर, दनौदा, बडनपुर, डिंडोली, फरैण खुर्द, फरैण कलां, सिंहमार पत्ति नरवाना, मोरपत्ति नरवाना आदि से 1500 की संख्या में पहुंची। गांवों से आई महिलाएं दामन-कुर्ता के देशी पहनावे में आई और उनके द्वारा भजनों व गीतों से नाच-गाकर सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। गांव बेलरखां से आई महिला सन्नी ने अपने जोशीले भाषण से धरने पर शामिल महिलाओं व पुरूषों को झझकोर कर दिया। धरने पर गायक कलाकार नरेश श्योराण ने रागनियों के माध्यम से किसानों की दुर्दशा को बयां किया। गांव बदोवाल की बेटी मंजू ने भारत माता पर गीत गाकर तालियां बटोरी, वहीं गुरूसर से प्रीति, ईस्माइलपुर से कंकन मोर ने भाषण दिया। महिलाओं ने कहा कि ये तीन कृषि कानून को वे किसी भी तरह से लागू नहीं होने देंगे, चाहे इसके लिए उनको कुर्बानी क्यों न देनी पड़े। महिलाओं ने प्रधानमंत्री को भी खुलकर चुनौती दी, जिस पर लोगों ने समर्थन दिया। महिलाओं ने कहा कि यह आंदोलन कितना भी लंबा क्यों न चले, वे पीछे हटने वाली नहीं हैं। 

-ट्रैक्टर चलाकर आने वाली महिलाएं सम्मानित-

किसान महिला दिवस पर गांवो से ट्रैक्टर चलाकर बद्दोवाल टोल पर आने वाली महिलाओं को बदोवाल टोल संघर्ष समिति द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इनमें गांव गुरूसर से प्रीति, दबलैन से कविता, कमलजीत, माया, ईस्मालपुर से निर्मला, भीखेवाला से भतेरी, सुनीता, चांदनी, बेलरखां से अंगूरी, डूमरखां कलां से मानसी तथा दनौदा से रेखा शामिल रही।
January 18, 2021

किसानों की ट्रैक्टर रैली पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- - प्रवेश कैसे-कौन करेगा या नहीं करेगा, ये पुलिस तय करे

किसानों की ट्रैक्टर रैली पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा-- प्रवेश कैसे-कौन करेगा या नहीं करेगा, ये पुलिस तय करे

नई दिल्ली, 18 जनवरी। नए कृषि कानूनों पर किसानों का आंदोलन विस्तार रूप लेता जा रहा है। जहां इन कानूनों पर किसानों की सरकार से बातचीत चल रही है, वहीं यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा हुआ है| इधर अब किसान आंदोलन के जत्थे ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में विशाल ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा की हुई है। जिस पर दिल्ली पुलिस ने ऐतराज जताया है और वह ट्रैक्टर रैली पर अवरोध लगवाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दर पर पहुंच गई है। दरअसल, दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में किसानों के 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर मार्च पर रोक लगाने की मांग की है। दिल्ली पुलिस ने इसके लिए कानून-व्यवस्था का हवाला दिया है।
वहीँ, सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को इस मामले पर थोड़ी देर की सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली में प्रवेश का सवाल कानून-व्यवस्था का विषय है और दिल्ली में कौन आएगा या नहीं, कौन मार्च करेगा या धरना देगा। इसे दिल्ली पुलिस को तय करना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशासन को क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह कोर्ट नहीं तय करेगा। इधर केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इस दौरान कहा कि किसानों की ट्रैक्टर रैली अवैध होगी और इस दौरान दिल्ली में 5000 लोगों के प्रवेश की संभावना है।फिलहाल किसानों के ट्रैक्टर मार्च को लेकर सुप्रीम कोर्ट 20 जनवरी को अगली सुनवाई करेगा।

किसान ट्रैक्टर मार्च निकालने पर अड़े…

आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि ट्रैक्टर मार्च निकलेगा और जरूर निकलेगा। यह अब रुक नहीं सकता। 26 जनवरी को हम दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च करेंगे। ज्ञात रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 सदस्यों की एक कमेटी भी बनाई हुई है जो कि आंदोलनकारी किसानों से मसले के हल को लेकर बातचीत करेगी, लेकिन किसान इस कमेटी के विरोध में हैं और वह कमेटी से बातचीत नहीं करना चाहते। वहीं, कमेटी के सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग कर लिया है।

Sunday, January 17, 2021

January 17, 2021

आज चार राज्यों के किसान निकालेंगे संविधान पदयात्रा,प्रधानमंत्री निवास का करेंगे घेराव

आज चार राज्यों के किसान निकालेंगे संविधान पदयात्रा,प्रधानमंत्री निवास का करेंगे घेराव

रोहतक : लगातार चल रहा किसान आंदोलन अब बढ़ता जा रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ किसानों ने बड़ा ऐलान कर दिया है। बताना लाजमी है कि चार राज्यों के किसान आज दिल्ली को कूच करेंगे। चार राज्य (राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, दिल्ली) के किसान आज दिल्ली कूच करेंगे। सत्याग्रह के तहत संविधान पद यात्रा निकाली जाएगी। दिल्ली में प्रधानमंत्री निवास का घेराव करते हुए धारा 197 के तहत नितिन गडकरी पर मुकदमा चलाने कि मांगे की जाएगी। यह बात रमेश दलाल अध्यक्ष भारत भूमि बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश दलाल ने कही। वे शनिवार को गांव हुमायुंपुर में धरनास्थल पर किसानों को संबोधित कर रहे थे।

रमेश दलाल ने कहा कि किसानों की कीमती जमीनों का सरकार ने अधिग्रहण किया है, जो कानून गलत है। इसको लेकर वे लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि सरकार से किसानों के हक के लिए आरपार की लड़ाई लड़ने का। उन्होंने कहा कि भाजपा किसानों पर आरोप लगाते हैं कि किसान संविधान और संसद को नहीं मानते। लेकिन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उच्च अधिकारियों की त्रुटि और गोलमाल पकड़ी गई है इन जन सेवकों द्वारा संसद में बनाए गए किसानों के हक के कानून का उल्लंघन किया गया है। रमेश दलाल ने प्रधानमंत्री से मांग करते हुए कहा है कि संविधान और संसद को नहीं मानने वाले जन सेवकों को सजा दिलवाए और किसानों के मुआवजे को बढ़वाएं।
January 17, 2021

आंदोलन में दो और आंदोलनकारी किसानों की थम गई सांसें

आंदोलन में दो और आंदोलनकारी किसानों की थम गई सांसें

हिसार : लगातार चल रहा किसान आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा है लेकिन किसानों की सांसे लगातार रूकती जा रही है। उसके बाबजूद भी सरकार किसानों की बात मानने को तैयार नहीं है। दरअसल कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में एक और किसान की मौत होने का मामला सामने आया है।

तबीयत बिगड़ने अथवा हृदयाघात की आशंका जताई जा रही है। असल कारण का खुलासा पोस्मार्टम रिपोर्ट आने के बाद हो पाएगा। फिलहाल शव को नागरिक अस्पताल में रखवा दिया गया है। कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर जारी आंदोलन के बीच शनिवार को दो और किसानों की मौत हो गई है। एक किसान की बहादुरगढ़ में तो दूसरे की हिसार के बरवाला में मौत हुई है। बरवाला में किसान की अचानक मौत होने से ट्रैक्टर मार्च को बीच में ही समाप्त कर दिया गया।

जांच अधिकारी ने बताया कि मृतक बोहर सिंह के परिवार के लोगों को सूचना दी गई है। उनके यहां पहुंचने के बाद पोस्टमार्टम करवाया जाएगा। उधर, शुक्रवार को 83 वर्षीय किसान जगीर सिंह की मौत हो गई थी। शनिवार को स्वजनों के यहां पहुंचने के बाद पोस्टमार्टम करवाया गया। अब तक हुई मौत के सभी मामलों में पीड़ित परिवारों की ओर से सरकार से मुआवजा व सरकारी नौकरी की मांग की जा रही है।

Wednesday, December 16, 2020

December 16, 2020

'सरकार के जुल्म के खिलाफ', सिंघु बॉर्डर के पास संत बाबा राम सिंह ने खुद को मारी गोली, मौत

सुसाइड नोट के मुताबिक, संत बाबा राम सिंह ने किसानों पर सरकार के जुल्म के खिलाफ आत्महत्या की है. बाबा राम सिंह किसान थे और हरियाणा एसजीपीसी के नेता थे. 

दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर (सिंघु बार्डर) पर किसानों के धरने में शामिल संत बाबा राम सिंह ने बुधवार को खुद को गोली मार ली. जिस वजह से उनकी मौत हो गई है. उन्होंने सिंघु बॉर्डर के पास आत्महत्या की है. बाबा राम सिंह करनाल के रहने वाले थे. उनका एक सुसाइड नोट भी सामने आया है.

उन्होंने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए उनके हक के लिए आवाज बुलंद की है. सुसाइड नोट के मुताबिक, संत बाबा राम सिंह ने किसानों पर सरकार के जुल्म के खिलाफ आत्महत्या की है. बाबा राम सिंह किसान थे और हरियाणा एसजीपीसी के नेता थे.



संत बाबा राम सिंह ने सुसाइड नोट में लिखा है कि किसानों का दुख देखा. वो अपना हक लेने के लिए सड़कों पर हैं. बहुत दिल दुखा है. सरकार न्याय नहीं दे रही. जुल्म है. जुल्म करना पाप है, जुल्म सहना भी पाप है.

संत बाबा राम सिंह आगे लिखते हैं कि किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ कुछ नहीं किया. कइयों ने सम्मान वापस किए. यह जुल्म के खिलाफ आवाज है. वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह.


संत बाबा राम सिंह की मौत पर

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दुख जताया है. राहुल गांधी ने बाबा राम सिंह को श्रद्धांजलि देने के साथ मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं. मोदी सरकार क्रूरता की हर हद पार कर चुकी है.



राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं और श्रद्धांजलि. कांग्रेस सांसद ने आगे लिखा कि कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं. मोदी सरकार क्रूरता की हर हद पार कर चुकी है. जिद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी कानून वापस लो. 

बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के कारण अभी तक कई किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. सोमवार को दो, मंगलवार को एक किसान और अब बुधवार को संत बाबा राम सिंह की मौत हुई है. सोमवार की देर रात को पटियाला जिले के सफेद गांव में एक सड़क हादसा हो गया था, जिसमें दिल्ली से धरना देकर लौट रहे दो किसानों की मौत हो गई थी. 

मंगलवार को सिंघु बॉर्डर के उषा टॉवर के सामने एक किसान की मौत हो गई. मृतक किसान की पहचान गुरमीत निवासी मोहाली (उम्र 70 साल) के रूप में हुई. 

21 दिनों से जारी है आंदोलन

कृषि कानूनों के खिलाफ 21 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार और किसानों में कई दौर की वार्ता हो चुकी. सभी बेनतीजा रहीं. किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं. वहीं, सरकार संशोधन करने को तैयार है, लेकिन किसान इस प्रस्ताव को ठुकरा रहे हैं. 

वहीं, बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सरकार को लिखित में जवाब दिया गया. किसान मोर्चा ने सरकार से अपील की है कि वो उनके आंदोलन को बदनाम ना करें और अगर बात करनी है तो सभी किसानों से एक साथ बात करें. 

उधर, किसान आंदोलन को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने कहा है कि वो किसान संगठनों का पक्ष सुनेंगे, साथ ही सरकार से पूछा कि अबतक समझौता क्यों नहीं हुआ. अदालत की ओर से अब किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है. अदालत का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए. अदालत ने सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने को कहा है, ताकि दोनों आपस में मुद्दे पर चर्चा कर सकें.



Sunday, December 6, 2020

December 06, 2020

-कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर बोला हमला, कहा कि भाजपाई नेता किसान को आज देशद्रोही, टुकड़े-टुकड़े गैंग, खालिस्तानी, चीन और पाकिस्तान का षड्यंत्र बताने की कर रहे गंदी राजनीति

-कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर बोला हमला, कहा कि भाजपाई नेता किसान को आज देशद्रोही, टुकड़े-टुकड़े गैंग, खालिस्तानी, चीन और पाकिस्तान का षड्यंत्र बताने की कर रहे गंदी राजनीति 

कैथल : कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आज हरियाणा की भाजपा-जजपा और केंद्र की मोदी सरकार इतनी अत्याचारी व अहंकारी बन चुकी है कि जहाँ उन्होंने एक तरफ भारत के अन्नदाताओं के रास्ते में पत्थर लगाए, कटीले तार और वॉटर केनन से स्वागत किया। दूसरी तरफ कोरोना योद्धाओं स्वास्थ्य कर्मियों के साधारण से समूह पर जिसमें महिलाएं भी हैं उनपर लाठियाँ बरसाई जा रही है। ये है नए भारत का आज का परिदृश्य। जहाँ सरकार विरोधी प्रदर्शन राष्ट्रविरोधी बन जाता है। भाजपा और जजपा की सरकार को एक दिन भी सत्ता में रहने का कोई हक नही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला आज कैथल में कई शादी समारोह में शामिल हुए और अपने निवास किसान भवन पर कार्यकर्ताओं से भी रूबरू हुए। 
सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष में होते हुए अपने आपको किसान हितैषी होने का स्वांग रचने वाले राजनाथ सिंह व भाजपा के नेता आज चुप क्यों बने बैठे हैं? या फिर सत्ता में आने से पहले सिर्फ किसान अन्नदाता और अब कुर्सी पाने के बाद किसान से क्या वास्ता ये सच साबित हो चुका है। अन्नदाता एक सप्ताह से भीषण ठंड में दिल्ली की चौखट पर बैठे हैं।
सुरजेवाला ने कहा कि किसान-मज़दूर मोदी सरकार से भीख नही माँग रहा बल्कि अपनी मेहनत की क़ीमत माँग रहा है। लेकिन भाजपाई नेता किसान को आज देशद्रोही, टुकड़े-टुकड़े गैंग, खालिस्तानी, चीन और पाकिस्तान का षड्यंत्र बताने की गंदी राजनीति कर रहे हैं। किसानों पर षडयंत्र की बजाय उनको उनका अधिकार दीजिए। 
सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार के मंत्रियों का किसानों के प्रति दुर्व्यवहार और अपमानजनक भाषा बहुत ही शर्मनाक है। क्या अब अन्नदाताओं को किसान होने और दिखने का सर्टिफ़िकेट भी मोदी सरकार से लेना पड़ेगा?ये किसान-मज़दूरों के प्रति भाजपाई दुर्भावना का जीता जागता सबूत है। ऐसे मंत्रियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए। 
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार राजहठ त्यागिये,राजधर्म मानिये। अन्नदाता की सुनें,काले क़ानूनों को निरस्त करें। याद कीजिए कि इतिहास ने कभी अहंकार को माफ़ नहीं किया है।