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Thursday, May 11, 2023

May 11, 2023

*कम उम्र के बच्चों को हो रहा आंखों का कैंसर:धुंधलापन न करें इग्नोर; यह दिमाग तक फैल सकता है*

*कम उम्र के बच्चों को हो रहा आंखों का कैंसर:धुंधलापन न करें इग्नोर; यह दिमाग तक फैल सकता है*
लोग नॉर्मल बीमारी होने पर इतना नहीं घबराते। जितना कैंसर का नाम सुनते ही डर जाते हैं। वहीं अगर ये शरीर के नाजुक पार्ट आंख में हो, तो ये बहुत ही डेंजरस सिचुएशन है।

*सही सुना आपने, आंखों में भी कैंसर हो सकता है।* इसे रेटिनोब्लास्टोमा कहते हैं। आंखों के कैंसर के खतरे से लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 8 से 14 मई तक विश्व रेटिनोब्लास्टोमा जागरूकता सप्ताह भी मनाया जाता रेटिनोब्लास्टोमा के बारे में करते हैं। ये भी जानते हैं कि इसके लक्षण क्या हैं, किन लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है।
एक्सपर्ट: डॉ. सीमा दास, डायरेक्टर, ऑकुलोप्लास्टी और ओकुलर ऑन्कोलॉजी, डॉ. श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल, दिल्ली
सवाल: क्या होता है रेटिनोब्लास्टोमा?
जवाब: रेटिनोब्लास्टोमा एक तरह का कैंसर है जो आंख के रेटिना में बनता है। रेटिना आंख के पीछे नर्वस टिश्यू यानी तंत्रिका ऊतक की एक पतली परत होती है। इससे एक या दोनों आंखों पर असर पड़ सकता है।
ये एक ऐसी बीमारी है, जो जन्म के कुछ समय बाद ही डेवलप होने लगती है। ये इतना डेंजरस होता है कि आंख के साथ जिंदगी भी छीन सकता है।

सवाल: ये आंखों में कैसे होना शुरू होता है?
जवाब: यह आंखों के रेटिना से एक छोटे ट्यूमर के रूप में शुरू होता है। ये साइज में काफी तेजी से बढ़ता है। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो आंख और रोशनी दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है।
शुरुआती दिनों में, ट्यूमर आंख तक ही सीमित रहता है। लेकिन अगर इसका ट्रीटमेंट नहीं कराया, तो ट्यूमर आंख से बाहर फैल सकता है। शरीर के कई हिस्सों जैसे दिमाग, हड्डियों तक।

सवाल: किस उम्र में रेटिनोब्लास्टोमा होने का रिस्क ज्यादा रहता है?
जवाब: आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों में इस कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। हालांकि कभी-कभी बड़े बच्चे भी इससे इफेक्ट हो सकते हैं।
*हर 15,000-18,000 जन्मे बच्चों में से लगभग 1 बच्चा इस कैंसर से प्रभावित होता है।*

सवाल: तो क्या ये वयस्क और बुजुर्गों में नहीं होता है?
जवाब: वयस्क और बुजुर्गों में कैंसर का ये टाइप रेटिनोब्लास्टोमा होने का रिस्क न के बराबर होता है।
50 से 60 साल के लोगों को दूसरे टाइप के आंखों का कैंसर होने का रिस्क रहता है।

सवाल: रेटिनोब्लास्टोमा किस वजह से होता है?
जवाब: अगर माता-पिता, भाई-बहन में किसी को आंखों का कैंसर है या हो चुका है, तो जन्म लेने वाले बच्चे में रेटिनोब्लास्टोमा का रिस्क 50% तक बढ़ जाता है। या फिर गर्भ में पल रहे बच्चे में कुछ न्यूट्रीएंट्स की कमी की वजह से यह होता है।
सवाल: इस बीमारी के होने पर कैसे लक्षण दिखाई देते हैं?
जवाब: बच्चों में होने वाले इस कैंसर के लक्षण को नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं-

सवाल: रेटिनोब्लास्टोमा से बचाने के लिए बच्चे का चेकअप कब कराना चाहिए और इसके लिए किस डॉक्टर के पास जाना चाहिए?
जवाब: इस कैंसर का सबसे पहला लक्षण आंख में सफेद चमक है। आंख के बीच में अगर वाइट रिफ्लेक्स दिखता है या फिर ऊपर बताए गए लक्षण दिखते हैं तो बच्चे को इस कैंसर से बचाने के लिए कुछ टेस्ट कराएं।
रेटिनोब्लास्टोमा का इलाज आई कैंसर स्पेशलिस्ट करते हैं।

सवाल: इसका पता किस टेस्ट से चलता है?
जवाब: आई स्पेशलिस्ट एनेस्थीसिया देकर आई कैंसर का टेस्ट करते हैं। एमआरआई स्कैन और अल्ट्रासाउंड से आंखों का टेस्ट किया जाता है।
जिन पेशेंट को कीमोथेरेपी की जरूरत होती है, उनकी हेल्थ की टेस्टिंग पहले एक चाइल्ड स्पेशलिस्ट से करवाई जाती है। उसके बाद आगे का प्रोसेस होता है।
हालांकि कैंसर की एडवांस स्टेज के लिए कभी-कभी सर्जरी कराने की एडवाइस डॉक्टर देते हैं। इसके लिए इंट्रावेनस कीमोथेरेपी और ब्रैकीथेरेपी जैसे एडवांस ट्रीटमेंट भी मौजूद है।
सवाल: रेटिनोब्लास्टोमा होने पर इसका इलाज संभव है?
जवाब: इलाज संभव है। लेकिन जरूरी यह है कि इसे समय रहते ही डिटेक्ट यानी पता कर लिया जाए।
शुरुआती स्टेज में इस कैंसर का इलाज आमतौर पर लेजर और कीमोथेरेपी के साथ किया जाता है। जो अधिकतर पेशेंट की जिंदगी, आंख और रोशनी को बचा लेता है।
वहीं अगर ट्रीटमेंट करने में देरी की गई, तो सिचुएशन खतरनाक हो सकता है। यहां तक कि सर्जरी में आंख भी निकालनी पड़ सकती है या दिखना भी बंद हो सकता है।

सवाल: रेटिनोब्लास्टोमा के अलावा आंख का कैंसर कितने तरह का होता है?
जवाब: इसके अलावा आंख का कैंसर 3 तरह का होता है।
ऑक्यूलर मेलानोमा: एडल्ट में होने वाला यह सबसे कॉमन आई कैंसर है। मेलानोमा यानी ट्यूमर उन सेल्स में होता है जो आंखों समेत शरीर के कई पार्ट्स में पिगमेंट के बनने में शामिल होते हैं।
प्राइमरी इंट्राऑक्यूलर लिम्फोमा: इस कैंसर में लिम्फोसाइट्स नाम की वाइट ब्लड सेल्स शामिल होती हैं। यह आमतौर पर HIV एड्स पेशेंट में देखने को मिलता है।
शरीर के इम्‍यून सिस्‍टम की सेल्स को लिम्‍फोकेट्स और जो सेल्स कैंसर से ग्रसित होती है उन्‍हें लिम्‍फोमा या लिम्‍फ कैंसर कहते हैं।
ऑक्यूलर मेटास्टेसिस: कई बार ऐसा होता है कि शरीर के कई पार्ट्स में जो ट्यूमर होता है जैसे लंग्स कैंसर। वह भी आंखों को प्रभावित कर सकता है। कैंसर के लिए जिम्मेदार ये सेल्स ब्लड वेसेल्स के माध्यम से आंखों तक पहुंच सकती हैं।

Wednesday, May 10, 2023

May 10, 2023

*आम लोगों के लिए अच्छी खबर:*तीन साल बाद खुला जिंदल टावर, समय शाम 4 से 7 तक*

*आम लोगों के लिए अच्छी खबर:तीन साल बाद खुला जिंदल टावर, समय शाम 4 से 7 तक*
तीन साल बाद खुला जिंदल टावर, समय शाम 4 से 7 तक|
                                 तीन साल के बाद जिंदल टावर मंगलवार काे आम लोगों के लिए फिर खाेल दिया गया है। 90 मीटर के ऑब्जरवेटरी टावर से शहर का नजारा देख सकते हैं। ओपी जिंदल ज्ञान केन्द्र परिसर स्थित ऑब्जरवेटरी टावर और पार्क की मरम्मत का काम तीन महीनाें की रिकार्ड अवधि में पूरा हाे गया है। सोमवार को छोड़कर बाकी दिन शाम 4 बजे से शाम 7 बजे तक शहरवासी इस टावर से शहर का नजारा देख सकेंगे। टाॅवर पर दो मंजिला प्लेटफार्म बना रखा है। टावर पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां व लिफ्ट का प्रबंध है। टावर काे विजय के पाटिल एण्ड एसाेसिएट्स द्वारा डिजाइन किया गया है।
टावर देखने पहुंचे डीएन काॅलेज छात्र चिराग निवासी गाेरखपुर ने बताया कि पहले कभी इतनी ऊंचाई वाला टावर नहीं देखा है। चिराग ने बताया कि जब भी पार्क में आता था ताे यह टावर बंद मिलता था। लेकिन आज जब यहां से गुजर रहा था ताे टावर खुला ताे देखने आ गया। हिसार निवासी विनय ने बताया कि बदलाव करके और भी अच्छा बना दिया है।
May 10, 2023

*हरियाणा सरकार का युवाओं को झटका:फॉरेस्ट गार्ड के लिए शैक्षिक योग्यता 12वीं की; सीनियर माइनिंग गार्ड में अपग्रेड हुए 22 पद*

*हरियाणा सरकार का युवाओं को झटका:फॉरेस्ट गार्ड के लिए शैक्षिक योग्यता 12वीं की; सीनियर माइनिंग गार्ड में अपग्रेड हुए 22 पद*
फॉरेस्ट गार्ड के लिए शैक्षिक योग्यता 12वीं की; सीनियर माइनिंग गार्ड में अपग्रेड हुए 22 पद|हरियाणा
हरियाणा सरकार ने युवाओं को बड़ा झटका दिया है। सरकार ने फॉरेस्ट गार्ड के लिए शैक्षिक योग्यता को अब 12वीं तक कर दिया है। कैबिनेट मीटिंग में हरियाणा राज्य वन कार्यकारी अनुभाग (ग्रुप-C) सेवा नियम (1998) में संशोधन के बाद यह फैसला लिया गया है।

इसके साथ ही माइनिंग गार्ड के कुल 117 नियमित पदों में से एफपीएल-2 में माइनिंग गार्ड के 22 पदों को सीनियर माइनिंग गार्ड के पदों को अपग्रेड करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। इस संशोधन के साथ कि सीनियर माइनिंग गार्ड के पदों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं कर दी गई है।
पहले 10वीं थी शैक्षिक योग्यता
वन रक्षकों की भर्ती के लिए अब तक न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 10वीं थी, लेकिन अब हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित सामान्य प्रवेश परीक्षा में न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 10+2 किया है। कैबिनेट ने फॉरेस्ट गार्ड्स की भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता को मैट्रिक से 10+2 तक हिंदी या संस्कृत के साथ मैट्रिक में एक विषय के रूप में या हिंदी को एक विषय के रूप में बढ़ाने के लिए संशोधन को मंजूरी दी।
पदोन्नति से भरे जाएंगे पद
माइनिंग गार्ड के 22 पदों को सीनियर माइनिंग गार्ड में अपग्रेड करने के बाद अब हरियाणा खनन एवं भू विज्ञान विभाग फील्ड (ग्रुप-C) सर्विस रूल्स, 1998 में सीनियर माइनिंग गार्ड के पदों को पदोन्नति द्वारा भरने के लिए योग्यता मानदंडों में संशोधन किया गया है। ये पद माइनिंग गार्ड, जिनके पास हिंदी या संस्कृत के साथ 12वीं पास शैक्षणिक योग्यता हो और माइनिंग गार्ड के रूप में 10 साल का अनुभव हो, में से पदोन्नति द्वारा भरे जाएंगे।

Monday, May 8, 2023

May 08, 2023

*पापा ने जुए में सबकुछ लुटा दिया:बेटे ने बनाया पहला स्वदेशी ड्रोन मोटर; सालाना एक करोड़ का बिजनेस*

‘पापा सरकारी टीचर थे। उन्हें जुए की लत थी। जितना वो कमाते थे, उससे ज्यादा जुए में हार जाते थे। मां की कमाई भी जुए में ही डुबो देते थे। इस वजह से परिवार पर बहुत ज्यादा कर्ज हो गया। आर्थिक स्थिति इतनी लचर हो गई कि हर दिन के लिए सोचना पड़ता था। पापा, मम्मी के साथ मार-पिटाई करते, मेंटली-फिजिकली टॉर्चर करते थे। ये सब तकरीबन 12 साल तक चला।
मुझे वो दिन याद है, मैं बहुत छोटा था। जबरदस्त ठंड पड़ रही थी। मां नाना-नानी के पास गई थी। हम दोनों भाई पापा के पास ही थे। एक दिन सुबह के 3 बजे ही पापा हम दोनों भाइयों को नाना के घर दरवाजे पर छोड़कर चले गए। उसके बाद आज तक हम लोगों ने उनका मुंह तक नहीं देखा। बाद में मम्मी ने पापा से अलग होने का फैसला कर लिया।
आज मुझे नहीं याद कि वो दिखने में कैसे थे? पापा से अलग होने के बाद मम्मी ने मुझे पढ़ाया-लिखाया। मैंने इंजीनियरिंग किया। मेरे पूरे करियर में ननिहाल और मम्मी और बड़े भाई का सबसे बड़ा रोल रहा।
संघर्ष और मेहनत की बदौलत ही मैंने 2020 में इंडिया की पहली स्वदेशी ड्रोन मोटर बनाई। आज मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर बनाने वाली मेरी कंपनी ‘क्षेनहेस्टर’ का सालाना टर्नओवर एक करोड़ है।’
दोपहर के एक बज रहे हैं। गुजरात में इन दिनों चिलचिलाती गर्मी पड़ रही है। राजकोट में गुजरात टेक्निकल यूनिवर्सिटी (GTU) का इन्क्यूबेशन सेंटर है, जहां 31 साल के मिलन हांसलिया ड्रोन मोटर की टेस्टिंग के दौरान अपनी कहानी मुझे सुना रहे हैं। माथे पर से पसीने को पोछते हुए जब मिलन अपनी जर्नी बताना शुरू करते हैं, तो कई बार उनकी आवाज ठहर जाती है।

*ये मिलन हांसलिया हैं, जो ड्रोन मोटर बनाने वाली कंपनी क्षेनहेस्टर के फाउंडर हैं।*

*मिलन ड्रोन मोटर के डेमो को दिखा रहे हैं*
मिलन कहते हैं, ‘जब पुरानी बातों को याद करता हूं, तो रोना आ जाता है। मेहनत का परिणाम ही है कि मेरे हाथ में जो मोटर आप देख रहे हैं, वो इंडिया का पहला ड्रोन मोटर है। इससे पहले अब तक जितने भी मोटर ड्रोन में या कॉमर्शियल सेक्टर में इस्तेमाल होते रहे हैं, वो चीन, यूरोप या अमेरिका जैसे देशों से इंपोर्ट होते रहे हैं।’
*मिलन ड्रोन मोटर की टेस्टिंग अपने एक साथी को थमाकर मेरे साथ अपनी कहानी जारी रखते हैं*।

वो कहते हैं, ‘जब मैं छोटा था, तो मम्मी को बहुत तकलीफ में देखता था। किसी तरह से घर-परिवार चल पा रहा था। तभी से मेरे मन में था कि पढ़-लिखकर कुछ-न-कुछ बेहतर करना है।
2013 में मैंने गुजरात से ही मैकेनिकल इंजीनियरिंग में B.Tech कम्प्लीट किया। पास आउट होने के साथ ही एक कंपनी में ठीक-ठाक पैकेज पर जॉब लग गई। तकरीबन 4 साल जॉब किया, ताकि फैमिली की थोड़ी-बहुत फाइनेंशियल कंडीशन ठीक हो सके।
2018 का साल बीत रहा था। मैं चाह रहा था कि कुछ अपना स्टार्टअप शुरू करूं। इसके लिए मास्टर करने की जरूरत थी, लेकिन जॉब की वजह से दिक्कतें हो रही थीं। जिस कंपनी में मैं काम कर रहा था, वहां के ओनर नहीं चाह रहे थे कि मैं जॉब छोड़ दूं, लेकिन स्टडी की वजह से मुझे रिजाइन करना पड़ा।'

*मिलन अपने ऑफिस में हैं*
मिलन अपनी ड्रोन मोटर बनाने की यूनिट को दिखा रहे हैं। वो कहते हैं, 'मुझे याद है, एडमिशन के आखिरी दिन मैंने अहमदाबाद जाकर M.Tech में एडमिशन लिया। 2019 का साल बीत रहा था। कॉलेज प्रोजेक्ट के दौरान मेरा आइडिया सिंगल सीट इलेक्ट्रिक व्हीकल पर काम करने को लेकर था।
जब IIT मंडी के इन्क्यूबेशन सेंटर में मेरा सिलेक्शन हुआ और वहां गया, तो पहले इसके मोटर और फिर बाद में ड्रोन मोटर बनाने पर वर्क करना शुरू किया।
स्टडी के दौरान पता चला कि इंडिया में जितने भी ड्रोन मोटर या कॉमर्शियल इंडस्ट्री के मोटर इस्तेमाल हो रहे हैं, सभी इंपोर्टेड हैं। इंडिया में इसकी मैन्युफैक्चरिंग ही नहीं हो रही है।'

*मिलन के हाथ में ड्रोन मोटर का एक डेमो है। वो इस मोटर को पहला मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर होने का दावा कर रहे हैं*।
मिलन कहते हैं, इसे मैंने 3 महीने की मेहनत के बाद डेवलप किया है, इसलिए कैमरे पर ओरिजिनल प्रोडक्ट नहीं दिखाना चाहता हूं। ड्रोन मोटर का इस्तेमाल डिफेंस सेक्टर में भी होता है, इसलिए इससे सुरक्षा का मामला जुड़ा होता है।'
मिलन आगे बताते हैं, ‘2019 में IIT मंडी के स्टार्टअप सेशन को अटैंड करने के बाद इतना तो समझ में आ गया कि आने वाला वक्त ड्रोन का ही है, क्योंकि अब ड्रोन से दवा से लेकर खेतों में छिड़काव और सर्वे-मैपिंग, डिलीवरी तक का काम चल रहा है।

पहले गवर्नमेंट ड्रोन सेक्टर को डिफेंस तक कंट्रोल करके रखी हुई थी। यह सिर्फ मिलिट्री इक्विपमेंट माना जाता था, लेकिन जब से अलग-अलग सेक्टर में इसकी एंट्री हुई है, ड्रोन इंडस्ट्री का मार्केट बूम करने लगा है। आज सिर्फ ड्रोन मोटर का सालाना मार्केट 6 हजार करोड़ का है।’
*मिलन ने बोर्ड पर ड्रोन मोटर का डायग्राम बनाया है*।
                             मिलन बोर्ड पर ड्रोन मोटर का डायग्राम भी बना रहे हैं। वो कहते हैं कि उनके पास इसकी टेक्निकल नॉलेज तो थी, लेकिन मार्केट का कोई आइडिया नहीं था। जब मिलन ने मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर डेवलप किया, तो चुनौती यही थी कि इसे खरीदेगा कौन? मिलन बताते हैं, 'इंडिया में एक और दिक्कत है कि ड्रोन को सर्टिफाइड करने के लिए DGCA जैसी संस्था तो है, लेकिन मोटर को लेकर कोई स्टैंडर्ड नहीं है।
मैंने ड्रोन मैन्युफैक्चरर्स से इंपोर्टेड मोटर, इससे होने वाली दिक्कतें… इन सारी चीजों के बारे में जानना शुरू किया। पता चला कि उन्हें मन मुताबिक डिजाइन के मोटर नहीं मिल पाते हैं। जब IIT मंडी में दूसरी बार मुझे जाने का मौका मिला, तो मैंने 3 महीने में ही स्वदेशी ड्रोन मोटर डेवलप कर दिया। यह एडवांस टेक्नोलॉजी बेस्ड है, जिसे ब्रशलेस डीसी (BLDC) इलेक्ट्रिक मोटर कहते हैं।’
आगे की बातचीत से पहले मिलन मुझे ड्रोन के टेक्निकल टर्म को आसानी से समझाते हैं, इसे आप ग्राफिक्स में समझिए...
बातचीत के बीच ही मिलन का फोन बजने लगता है। ये उनकी मम्मी का फोन है। वो मिलन से टाइम पर लंच कर लेने के बारे में पूछ रही हैं। वो मेरी तरफ देखकर हंसने लगते हैं। कहते हैं, ‘जैसा पापा ने हम लोगों के साथ किया, यदि मम्मी भी ऐसा कुछ करती, तो फिर हमारा क्या होता? पता नहीं।

*कुछ देर ठहरने के बाद फिर से हमारी बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाता है*।

मिलन कहते हैं, 'जब मैं मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर बनाने के बारे में सोच रहा था, तो सबसे बड़ी चिंता फंड की ही थी। इंडिया में टेस्टिंग से लेकर रॉ मटेरियल, मशीनरी पार्ट्स समेत कई अलग-अलग तरह की चुनौतियां हैं। चार साल में जो मैंने जॉब के दौरान थोड़ी बहुत सेविंग की थी, वो तो थी हीं, लेकिन इतने से कुछ होने वाला नहीं था। किसी भी मोटर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को सेट करने में करोड़ों रुपए की जरूरत होती है।
हालांकि फैमिली का पूरा सपोर्ट था, लेकिन फंड भी एक लिमिटेड होता है किसी के पास। आपको भी पता ही होगा...। मैंने जब अपना आइडिया अलग-अलग इन्क्यूबेशन सेंटर में पिच किया, तब मुझे कई सारे ग्रांट्स मिले। बैंक से भी लोन मिला। टोटल 60 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट मैंने अपनी कंपनी में किया और 2022 में छोटे लेवल पर ड्रोन मोटर मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत की।’

मिलन बताते हैं कि अगले हफ्ते एक क्लाइंट के साथ उनकी मीटिंग है। इसी को लेकर वो कुछ सैंपल तैयार कर रहे हैं। उम्मीद है कि थोक में ड्रोन मोटर बनाने के ऑर्डर मिलेंगे।'

*अभी आपका बिजनेस कैसा चल रहा है*

मिलन मुस्कराने लगते हैं। वो कहते हैं, ‘जब मैंने मेड इन इंडिया के तहत पहला ड्रोन मोटर डेवलप किया, तो ड्रोन मैन्युफैक्चरर काफी प्रभावित हुए। उनका कहना था कि विदेशों से मोटर इंपोर्ट करने में सबसे बड़ी दिक्कत गारंटी को लेकर होती है। इसकी कोई लाइफ नहीं होती।'

*ड्रोन मोटर एग्जीबिशन में मिलन की टीम और साथ में केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर हैं*। 
                                ड्रोन मोटर एग्जीबिशन में मिलन की टीम और साथ में केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर हैं।
वो बताते हैं, 'इंपोर्टेड मोटर की यदि गारंटी भी है, तो जितना खर्च इसे दोबारा विदेशी मोटर मैन्युफैक्चरर्स को भेजने में लग जाएगा, उससे कम में नया मोटर खरीदा जा सकता है। यानी इससे इलेक्ट्रॉनिक कचरा बढ़ता है।
जब मैंने 2022 में मार्केट में पहला मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर लॉन्च किया, तो उसी वक्त भारत ड्रोन महोत्सव ऑर्गेनाइज किया गया था। मैंने ड्रोन मोटर डिस्प्ले किया, जहां दर्जनों ड्रोन मैन्युफैक्चरर से मेरी मुलाकात हुई, कई ऑर्डर भी मिले। कई मैन्युफैक्चरर ने आगे के बिजनेस के लिए मेरे साथ डील साइन किया।’

‘अब सोशल मीडिया का जमाना है। हम सोशल मीडिया के जरिए भी ड्रोन मोटर के वीडियो शूट करके बिजनेस को प्रमोट करते हैं। हालांकि 80% बिजनेस वेबसाइट के जरिए ही आते हैं। इन हाउस ही हम ड्रोन मोटर की मैन्युफैक्चरिंग करते हैं। अभी 4 लोगों की टीम काम कर रही है। जैसे-जैसे बिजनेस बढ़ रहा है, हम टीम बढ़ा रहे हैं।
आज मेरे साथ 15 से ज्यादा क्लाइंट जुड़े हुए हैं। अभी हम दो कैगेटरी- माइग्रो और स्मॉल ड्रोन के लिए मोटर बना रहे हैं। जल्द ही मीडियम और हैवी कैटेगरी के ड्रोन मोटर की मैन्युफैक्चरिंग भी करने का प्लान कर रहे हैं।’
मिलन कहते हैं कि अभी वो ड्रोन मोटर बनाने में इस्तेमाल होने वाले कुछ कंपोनेंट्स आउट सोर्स भी करते हैं। हालांकि आने वाले दिनों में वो सभी चीजों की इन हाउस मैन्युफैक्चरिंग करने पर फोकस कर रहे हैं। इस साल उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर एक करोड़ के होने का अनुमान है। जबकि पिछले साल उनकी कंपनी का टर्नओवर 50 लाख का था
ट्रेडिंग करके 3 हजार से बनाई एक करोड़ की कंपनी: जो सामान इंडिया में नहीं मिलता, उसे चीन से मंगाकर ऑनलाइन बेचते हैं

Saturday, May 6, 2023

May 06, 2023

लिंगानुपात में जींद जिला फिर से टॉप पर, चरखी दादरी सबसे फिसड्डी, जींद का 982, चरखी दादरी का 870

लिंगानुपात में जींद जिला फिर से टॉप पर, चरखी दादरी सबसे फिसड्डी, जींद का 982, चरखी दादरी का 870
जींद : हरियाणा प्रदेश के लिंगानुपात में जींद जिले ने इस साल मई महीने में भी (Sex Ratio 2023 ) अपनी बादशाहत पूरे प्रदेश में कायम रखी है। साल 2023 में जनवरी, फरवरी और मार्च के बाद अप्रैल महीने में भी जींद जिला लिंगानुपात के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर रहा है। जिले का लिंगानुपात मार्च के 996 से कम होकर अप्रैल में भले ही 982 पर पहुंच गया है, लेकिन जींद जिला इसके बावजूद अब भी प्रदेश में लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) में पहले स्थान पर है।
प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने 5 मई को सभी 22 जिलों के लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) के आंकड़े जारी किए। इनमें जींद जिला 982 के लिंगानुपात के साथ पूरे प्रदेश में पहले स्थान पर है। पिछले साल से इस साल तक लिंगानुपात के मामले में बहुत अच्छे स्थान पर चल रहा फतेहाबाद जिला 926 के लिंगानुपात के मामले में प्रदेश में पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। 952 के लिंगानुपात के साथ कुरुक्षेत्र जिला दूसरे और 946 के लिंगानुपात के साथ अंबाला जिला प्रदेश में तीसरे स्थान पर है। सिरसा जिला 937 के लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) के साथ प्रदेश में चौथे स्थान पर है।
हरियाणा के 8 जिले लिंगानुपात के मामले में 900 से कम लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) वाले क्लब में हैं। इनमें सबसे कम लिंगानुपात चरखी दादरी का है, जिसका लिंगानुपात 870 है। भिवानी जिले का लिंगानुपात 875, महेंद्रगढ़ का लिंगानुपात 877, सोनीपत का 879, पंचकूला का 881, गुरुग्राम का 889, रोहतक का लिंगानुपात 894 है, करनाल का 899 है।
अप्रैल महीने में जिले का लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) भले ही 12 अंक कम हुआ है, मगर प्रदेश में जिले की बादशाहत इसके बावजूद कायम है। लिंगानुपात में इस साल जींद जिला प्रदेश में जनवरी से अप्रैल तक बराबर बना हुआ है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि हं हहजपहले स्थान पर अपना कब्जा और दबदबा इस साल लगातार तीसरे महीने बनाए रखा है। फरवरी में जींद जिले का लिंगानुपात 993 था, जो मार्च में बढ़कर 996 पर पहुंच गया था। इस साल जनवरी, फरवरी और मार्च में भी जींद जिला लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर रहा था।
*खाप पंचायतों का गढ़ भा रहा बेटियों को*

जींद जिला प्रदेश में खाप पंचायतों का सबसे मजबूत गढ़ है। खाप पंचायतों की धरती अब बेटियों को जन्म लेने के मामले में खूब भा रही है। 2022 में भी जींद जिला पहले 4 महीने प्रदेश में लिंगानुपात के मामले में प्रथम स्थान पर रहा था। उसके बाद लगातार 8 महीने जींद जिला लिंगानुपात में दूसरे स्थान पर रहा था। जींद जिले ने साल 2023 में भी लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) के मामले में धमाकेदार एंट्री की और इस साल के पहले चारों महीने में जींद जिला लिंगानुपात में प्रदेश में पहले स्थान पर रहा है।
जिले की लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) के मामले में प्रदेश में बादशाहत इस कारण और खास बन जाती है कि जींद उन खाप पंचायतों का गढ़ है, जिन्हें लेकर मीडिया का एक वर्ग उसे महिला और बेटी विरोधी बताता रहा। जिस तरह जिले का लिंगानुपात लगातार बढ़ रहा हैए और जिला प्रदेश में पहले स्थान पर आ रहा हैए उससे साफ है कि खाप पंचायतें बेटियों को बचाने और पढ़ाने की मुहिम में पूरा सहयोग दे रही हैं।
*डीसी और सिविल सर्जन ने कहा, शानदार*

लिंगानुपात के मामले में जींद जिले के अप्रैल में भी प्रदेश में पहले स्थान पर रहने को डीसी डॉ मनोज कुमार और सिविल सर्जन डॉ मंजू कादियान ने जींद की बहुत बड़ी उपलब्धि बताया और कहा की जिले का प्रदर्शन शानदार है। सिविल सर्जन डॉ मंजू कादियान ने कहा कि डीसी डॉ मनोज कुमार के मार्गदर्शन और पूर्व एसपी नरेंद्र बिजारनिया के मार्गदर्शन और सहयोग से स्वास्थ्य विभाग लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) सुधारने में कामयाब हो रहा है। इसमें और सुधार होगा।
*यह कहते हैं डिप्टी सिविल सर्जन*

लिंगानुपात में जिले के प्रदेश में अप्रैल में भी पहले स्थान पर आने को लेकर पीएनडीटी के प्रभारी डिप्टी सिविल सर्जन डॉ पालेराम कटारिया ने कहा कि पीएनडीटी एक्ट को जिले में पूरी सख्ती से लागू किया गया है। प्रशासन और पुलिस का पूरा सहयोग स्वास्थ्य विभाग को इसमें मिल रहा है। बेटियों को लेकर लोगों की सोच बदल रही है। (Sex Ratio 2023 )
May 06, 2023

*फोटो खिंचवाने को लेकर विवाद:सिर में डंडा लगने से पिता हुए बेहोश, दुल्हन ने शादी से किया इंकार, बैरंग लौट गई बारात*

फोटो खिंचवाने को लेकर विवाद:सिर में डंडा लगने से पिता हुए बेहोश, दुल्हन ने शादी से किया इंकार, बैरंग लौट गई बारात
         मां हिंगलाज के दरबार में चल रहे शादी समारोह के दौरान उस समय एक दुल्हन ने शादी करने से मना कर दिया, जब शादी के स्टेज पर फोटो खिंचवाने को लेकर विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि दूल्हा पक्ष के लोगों ने लाठी-डंडों से मारपीट कर दी। डंडा दुल्हन के पिता के सिर में लगने से वे बेहोश हो गए। उन्हें बेहोशी की हालत में अस्पताल पहुंचाया गया। इस घटना से दुखी दुल्हन ने उस लड़के के साथ शादी करने से मना कर दिया, जिसने छोटी से बात पर इतना बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया। बारात मेहरागांव गाडरवारा जिला नरसिंहपुर से आई थी।
यह मामला बाड़ी थाना भी पहुंच गया था, लेकिन दोनों पक्षों ने आपसी सहमति बनने के बाद रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है। दुल्हन के शादी से मना करने पर दूल्हा सुरेंद्र पुत्र दौलत राम को बिना दुल्हन के ही लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा। मारपीट में दोनों पक्ष के लोगों को चोटें आई हैं। घायलों को स्वास्थ्य केंद्र भी लाया गया था, जहां पर उनका उपचार किया गया।

Monday, January 16, 2023

January 16, 2023

हरियाणा में चुनाव हारे प्रत्याशी का सम्मान:समर्थकों ने 31.31 लाख रुपए दिए, पंचायत इलेक्शन में 157 वोटों से मिली थी हार

हरियाणा में चुनाव हारे प्रत्याशी का सम्मान:समर्थकों ने 31.31 लाख रुपए दिए, पंचायत इलेक्शन में 157 वोटों से मिली थी हार
हिसार : हरियाणा में पंचायती चुनावों में पहले समर्थकों ने उम्मीदवारों को वोटों का सहयोग दिया, अब जब उम्मीदवार हार गया तो उसे नोटों का सहयोग दे रहे हैं। हिसार के बूडाखेड़ा गांव के हारे हुए उम्मीदवार सुभाष नंबरदार को उनके समर्थकों ने 31 लाख 31 हजार रुपए का सम्मान दिया।

समर्थकों का कहना है कि सुभाष नंबरदार का मान सम्मान के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। सुभाष ने कहा कि यह पैसा सामाजिक कार्यों पर लगाए जाएंगे। इसके लिए जल्द ही मीटिंग की जाएगी।
*समर्थकों की थी इच्छा: शमशेर*

गांव के पूर्व सरपंच शमशेर कड़वासरा का कहना है कि सुभाष नंबरदार का मान सम्मान किया गया और उनके समर्थकों की इच्छा थी। समर्थकों ने कहा कि वे सुभाष नंबरदार के साथ हैं और अगले चुनाव में भी साथ देंगे। उम्मीदवार के सम्मान में बाकायदा गांव में एक समारोह किया गया। पंचायत चुनाव में उम्मीदवार सुखविंदर भादू ने सुभाष नंबरदार को 157 वोटों से हराया।
हारे हुए उम्मीदवार के समर्थक सम्मान समारोह में। 

*ढाणा कला और किरतान में हारे का किया सम्मान*

हिसार में ढाणा कला में हारे उम्मीदवार हरेंद्र सिंह को उसके समर्थकों ने 16 लाख 50 हजार रुपए की राशि सहयोग के लिए दी। इसी प्रकार से इंदवान और किरतान गांव में हारे हुए उम्मीदवार को करीब 5 लाख रुपए दिए गए। हालांकि अभी तक प्रदेश में सबसे बड़ा सम्मान रोहतक के गांव में हारे हुए उम्मीदवार धर्मपाल को 2 करोड़़ 11 लाख रुपए और गाड़ी भेंट की थी।