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Wednesday, July 10, 2024

आंखें नहीं फिर भी मन की आंखों से देखते हैं श्री राम को ये बच्चे, रोजाना सुंदरकांड का पाठ करते हैं छात्र

आंखें नहीं फिर भी मन की आंखों से देखते हैं श्री राम को ये बच्चे, रोजाना सुंदरकांड का पाठ करते हैं छात्र
नई दिल्ली::अयोध्या में भगवान राम का मंदिर तैयार होने के बाद पूरे देश में एक अलग ही अलख जगी हुई है। हर तरफ रामधुन सुनाई दे रही है। आज आपको जयपुर के उन रामभक्त बच्चों की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनकी आंखें नहीं हैं, लेकिन उनके हृदय में प्रभु श्रीराम बसे हैं। वो मन की आंखों से श्रीराम को देखते हैं और उनके भजन गाते हैं। जयपुर की लुई ब्रेल दृष्टिहीन विकास संस्थान के ये बच्चे हैं।  अपने शिक्षकों के साथ इन दिव्यांग बच्चों के मुख से रामायण के पाठ सुनकर हर कोई भाव विह्वल हो जाता है। भगवान राम के प्रति इन बच्चों का समर्पण भाव श्रद्धाभक्ति से भर देने वाला है। इनके बीच आकर ऐसा महसूस होता है, मानो राम नाम की गंगा बह रही है।भगवान राम की मूरत इन बच्चों ने नहीं देखी है, भगवान राम कैसे दिखते हैं। अयोध्या के भव्य मंदिर में भगवान राम कैसे विराजमान हैं, ये बच्चे नहीं जानते हैं, लेकिन अपनी मन की आंखों से ये बच्चे रोज भगवान राम के दर्शन करते हैं, रामायण की चौपाई गाते हैं।
*ब्रेल लिपि के जरिए सीखते हैं छात्र*

इन दृष्टिहीन बच्चों को रामायण की चौपाइयों को इस तरह से गाते देखकर लोग हैरान रह जाते हैं । ब्रेल लिपि के जरिए ये बच्चे चौपाइयों को पढ़ते हैं और हर रोज सुबह ऐसे ही पाठ करते हैं। इस संस्थान के छात्र हेमंत कहते हैं, कि रामायण का पाठ करते हुए एक असीम शांति का अनुभव होता है। हेमंत कहते हैं हो सकता है हम लोग सही उच्चारण ना कर पाते हों कई चौपाइयां गलत गाते हों, लेकिन हमारी श्रद्धा और हमारी भक्ति भगवान राम से छिपी नहीं है। हम अपने मन की आंखों से उनके दर्शन करते हैं। 
*दिव्यांग छात्रों को कंप्यूटर की भी शिक्षा*

ब्रेल लिपि में लिखे रामायण पाठ को ये बच्चे पढ़ते हैं। पुस्तक पर अंगुलियां फेरते हैं, शब्दों को पहचानते हैं और एक- एक चौपाइयों को पढ़ते जाते हैं। देखकर ऐसा लगता है कि इनकी अंगुलियां कागज पर फेरते हुए खुद ब खुद रामायण कथा सुना रही हों। इस संस्थान में आठवीं तक ब्रेल लिपि में पढ़ाई होती है। इसके बाद इन दिव्यांग छात्रों
को रोजगार परक शिक्षा दी जाती है। इन्हें कंप्यूटर भी पढ़ाया जाता है, इनको कंपटीशन एग्जाम की भी तैयारियां कराई जाती हैं। लेकिन इन सबके साथ-साथ संगीत की भी
शिक्षा दी जाती है. इसी के तहत ये बच्चे रामायण और सुंदरकांड का पाठ भी सीखते हैं।

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