Tuesday, March 29, 2022
Friday, May 14, 2021
हरियाणा मे होम आइसोलेशन में रह रहे 2346 जरूरतमंद मरीजों को घर पर मिली ऑक्सीजन - स्पेशल रिपोर्ट
हरियाणा मे होम आइसोलेशन में रह रहे 2346 जरूरतमंद मरीजों को घर पर मिली ऑक्सीजन - स्पेशल रिपोर्ट
अभी तक प्रदेश मे 2346 जरूरतमंद व्यक्तियों को घर बैठे ही ऑक्सीजन पहुंचाई गई है। ऑक्सीजन लेने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल http://www.oxygenhry.in/ पर अपना पंजीकरण करवाना होता है। इस पोर्टल पर पंजीकृत होने के बाद आवेदन समाज सेवी संस्था और रेडक्रास सोसायटी के पास रिफलेक्ट हो जाएगा। इस पंजीकरण के बाद जरूरतमंद मरीज के पास रेडक्रॉस सोसायटी के वॉलिटियर्स और समाज सेवी संस्थाओं के सहयोग से आक्सीजन पहुंच जाति है। इस प्रणाली के लिए प्रशासन ने हर जिले मे नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए गए हैं।
आवेदन प्रक्रिया -
इस प्रक्रिया में आवेदक को आवेदन करने के दौरान आधार नम्बर, ऑक्सीजन लेवल के लिए आक्सीमीटर की फोटो भी अपलोड करनी होगी। इतना ही नहीं आवेदक के पास खाली सिलेंडर होना भी अनिवार्य है। विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाएं इस कार्य को करने के लिए प्रशासन का सहयोग कर रही है। संबंधित व्यक्ति द्वारा आवेदन करने के बाद टीम उसके घर जाएगी और जांच करेगी कि इस व्यक्ति को सिलेंडर की जरूरत है या नहीं। आक्सीजन की कालाबाजारी किसी सूरत में सहन नहीं की जाएगी। अगर कोई व्यक्ति आक्सीजन की कालाबाजारी करते हुए मिला तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी
8 जिले आवेदन स्वीकृत करने मे अव्वल
हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ को मिले ताजा आकडों के अनुसार प्रदेश मे हिसार,करनाल,पंचकुला, पानीपत, रेवाड़ी,रोहतक , सोनीपत, यमुनानगर होम आइसोलेशन में जरूरतमंद मरीजों को घर पर ऑक्सीजन देने मे रूचि दिखा रहे है जहा ऑक्सीजन लेने वाले आवेदनों को स्वीकृत ज्यादा किया गया है | आकडों के अनुसार पानीपत प्रदेश मे अव्वल है जहा अब तक 380 लोग घरो मे ऑक्सीजन ले चुके है व 3 लोगो को ऑक्सीजन देने की प्रक्रिया जारी है व एक व्यक्ति का आवेदन विचाराधीन है व 58 लोगो के आवेदन अस्वीकृत कर दिए गये है |
14 जिले आवेदन अस्वीकृत करने मे अव्वल
प्रदेश के कुछ जिले ऑक्सीजन घरों तक पहुचाने मे अव्वल है तो कुछ ऐसे भी जिले है जहा जरूरतमंद लोगो द्वारा किये गये आवेदन स्वीकृत कम ,अस्वीकृत ज्यादा हुए है ऐसे जिलों मे अम्बाला, भिवानी, चरखी दादरी , फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुरुग्राम,झज्जर, जींद,कैथल,कुरुक्षेत्र,महेंद्रगढ़, नुह, पलवल, सिरसा का नुम्बर आता है जहा आकडे दिखाते है कि जिला प्रसाशन ऑक्सीजन घरो तक पहुचाने के बजाय उनके आवेदनो को अस्वीकृत करने पर ज्यादा काम कर रहा है | सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन जिलों मे जिन लोगो को ऑक्सीजन मिली है वो रसूखदार लोग है आम लोगो के आवेदन बिना बात कि कमी निकाल कर अस्वीकृत कर दिए जाते है |
जरूरतमंद को ऑक्सीजन न मिले तो हमे करे शिकायत
कोरोना काल के कठिन दौर मे हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ अपनी जिम्मेदारी समझते हुए आम जनता से अपील करता है यदि आपके किसी जरूरतमंद को घर पर ऑक्सीजन मिलने मे समस्या आ रही है तो हमसे 9802110050 पर साँझा करे या ईमेल करे haryanabulletinnews@gmail.com हमारा जनहित मे प्रयास रहेगा की आपके जिलाधिकारीओ से सम्पर्क कर हर जरूरतमंद को समय पर मिले ऑक्सीजन |
Sunday, April 25, 2021
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Monday, August 31, 2020
एक कहानी सुंदर सी - कर्म का सिद्धांत
कर्म का सिद्धांत
अस्पताल में एक एक्सीडेंट का केस आया ।
अस्पताल के मालिक डॉक्टर ने तत्काल खुद जाकर आईसीयू में केस की जांच की। दो-तीन घंटे के ओपरेशन के बाद डॉक्टर बाहर आया और अपने स्टाफ को कहा कि इस व्यक्ति को किसी प्रकार की कमी या तकलीफ ना हो। और उससे इलाज व दवा के पैसे न लेने के लिए भी कहा ।
तकरीबन 15 दिन तक मरीज अस्पताल में रहा।
जब बिल्कुल ठीक हो गया और उसको डिस्चार्ज करने का दिन आया तो उस मरीज का तकरीबन ढाई लाख रुपये का बिल अस्पताल के मालिक और डॉक्टर की टेबल पर आया।
डॉक्टर ने अपने अकाउंट मैनेजर को बुला करके कहा ...
इस व्यक्ति से एक पैसा भी नहीं लेना है। ऐसा करो तुम उस मरीज को लेकर मेरे चेंबर में आओ।
मरीज व्हीलचेयर पर चेंबर में लाया गया।
डॉक्टर ने मरीज से पूछा
प्रवीण भाई ! मुझे पहचानते हो!
मरीज ने कहा लगता तो है कि मैंने आपको कहीं देखा है।
डॉक्टर ने कहा ...याद करो ,अंदाजन दो साल पहले सूर्यास्त के समय शहर से दूर उस जंगल में तुमने एक गाड़ी ठीक की थी। उस रोज मैं परिवार सहित पिकनिक मनाकर लौट रहा था कि अचानक कार में से धुआं निकलने लगा और गाड़ी बंद हो गई। कार एक तरफ खड़ी कर हम लोगों ने चालू करने की कोशिश की, परंतु कार चालू नहीं हुई।
अंधेरा थोड़ा-थोड़ा घिरने लगा था। चारों और जंगल और सुनसान था।
परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर चिंता और भय की लकीरें दिखने लगी थी और सब भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि कोई मदद मिल जाए।
थोड़ी ही देर में चमत्कार हुआ। बाइक के ऊपर तुम आते दिखाई पड़े ।
हम सब ने दया की नजर से हाथ ऊंचा करके तुमको रुकने का इशारा किया।
तुमने बाईक खड़ी कर के हमारी परेशानी का कारण पूछा।
तुमने कार का बोनट खोलकर चेक किया और कुछ ही क्षणों में कार चालू कर दी।
हम सबके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। हमको ऐसा लगा कि जैसे भगवान ने आपको हमारे पास भेजा है क्योंकि उस सुनसान जंगल में रात गुजारने के ख्याल मात्र से ही हमारे रोगंटे खड़े हो रहे थे। तुमने मुझे बताया था कि तुम एक गैराज चलाते हो ।
मैंने तुम्हारा आभार जताते हुए कहा था कि रुपए पास होते हुए भी ऐसी मुश्किल समय में मदद नहीं मिलती। तुमने ऐसे कठिन समय में हमारी मदद की, इस मदद की कोई कीमत नहीं है, यह अमूल्य है।
परंतु फिर भी मैं पूछना चाहता हूँ कि आपको कितने पैसे दूं ?
उस समय तुमने मेरे आगे हाथ जोड़कर जो शब्द कहे थे, वह शब्द मेरे जीवन की प्रेरणा बन गये हैं।
तुमने कहा था कि.....
"मेरा नियम और सिद्धांत है कि मैं मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद के बदले कभी कुछ नहीं लेता। मेरी इस मजदूरी का हिसाब भगवान् रखते हैं। "
उसी दिन मैंने सोचा कि जब एक सामान्य आय का व्यक्ति इस प्रकार के उच्च विचार रख सकता है, और उनका संकल्प पूर्वक पालन कर सकता है, तो मैं क्यों नहीं कर सकता। और मैंने भी अपने जीवन में यही संकल्प ले लिया है। दो साल हो गए है,मुझे कभी कोई कमी नहीं पड़ी, अपेक्षा पहले से भी अधिक मिल रहा है।
यह अस्पताल मेरा है।तुम यहां मेरे मेहमान हो और तुम्हारे ही बताए हुए नियम के अनुसार मैं तुमसे कुछ भी नहीं ले सकता।
ये तो भगवान् की कृपा है कि उसने मुझे ऐसी प्रेरणा देने वाले व्यक्ति की सेवा करने का मौका मुझे दिया।
ऊपर वाले ने तुम्हारी मजदूरी का हिसाब रखा और वो हिसाब आज उसने चुका दिया। मेरी मजदूरी का हिसाब भी ऊपर वाला रखेगा और कभी जब मुझे जरूरत होगी, वो जरूर चुका देगा।
डॉक्टर ने प्रवीण से कहा ....
तुम आराम से घर जाओ, और कभी भी कोई तकलीफ हो तो बिना संकोच के मेरे पास आ सकते हो।
प्रवीण ने जाते हुए चेंबर में रखी भगवान् कृष्ण की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर कहा कि....
हे प्रभु आपने आज मेरे कर्म का पूरा हिसाब ब्याज समेत चुका दिया।
" याद रखें कि एक बार भगवान् चाहे माफ कर दे, परंतु कर्मों का हिसाब चुकाना ही होगा"