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Sunday, August 21, 2022

August 21, 2022

VIP कल्चर बना बांके बिहारी हादसे की वजह:मंदिर में लोग कुचले जा रहे थे, SSP वीडियो बना रहे थे, DM बगल में खड़े थे

VIP कल्चर बना बांके बिहारी हादसे की वजह:मंदिर में लोग कुचले जा रहे थे, SSP वीडियो बना रहे थे, DM बगल में खड़े थे

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में शुक्रवार और शनिवार की दरम्यानी रात मंगला आरती के बाद हुए हादसे में दो लोगों की मौत हो गई और दम घुटने से 6 लोग बीमार हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जो कुछ हुआ उसके लिए अफसरों की लापरवाही और VIP कल्चर जिम्मेदार है। जिस वक्त मंदिर के आंगन में भीड़ बेकाबू हो रही थी, उस समय अफसर वीडियो बना रहे थे।

घटना के समय मथुरा के DM, SSP और नगर आयुक्त मंदिर में अपने परिवार के साथ मौजूद थे। SSP, नगर आयुक्त वीडियो बना रहे थे, जबकि DM बगल में खड़े थे। इन अफसरों ने भीड़ में दब रहे लोगों की चीखें सुनकर भी व्यवस्था बनाने की जहमत नहीं उठाई, बल्कि वे परिवार के साथ मंदिर की बालकनी में खड़े होकर वीडियो बनाने में व्यस्त थे
*सीएम के वृंदावन से जाते ही अफसर बेफ्रिक हुए*

उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ जन्माष्टमी पर वृंदावन आए थे। वे बांके बिहारी मंदिर तो नहीं गए, लेकिन उन्होंने जन्मभूमि में पूजा की। वृंदावन से योगी के जाते ही अफसर बेफिक्र हो गए। बांके बिहारी मंदिर के सेवायत और श्रद्धालुओं ने बताया कि सीएम के रवाना होने के बाद भीड़ कंट्रोल करने वाला कोई नहीं था।

लोगों ने बताया कि मंदिर के किसी भी एंट्री गेट पर कोई बैरिकेडिंग नहीं थी। एक-दो जगह बैरिकेड लगे थे, तो वहां भी लोगों को रोकने के लिए कोई पुलिसकर्मी तैनात नहीं था। इसका नतीजा यह हुआ कि लोग एंट्री के साथ एग्जिट गेट से भी मंदिर के अंदर आते गए। आरती के समय मंदिर के आंगन में हालात बेकाबू हो गए।
जिस वक्त हादसा हुआ, उस वक्त मंदिर की बालकनी में एसएपी और नगर आयुक्त वीडियो बना रहे थे, जबकि डीएम उनके बगल में खड़े हुए थे। 


इस हादसे में बचकर आए श्रद्धालुओं ने उस भयावह मंजर को बयां किया। हादसे की कहानी, प्रत्यक्षदर्शियों की जुबानी... लेकिन इससे पहले आप इस पोल में शामिल होकर अपनी राय दे सकते हैं...
*दो मिनट और रुकते तो मौत के मुंह में समा जाते*

आगरा के ट्रांस यमुना निवासी राघवेंद्र सिंह भी जन्माष्टमी पर बांके बिहारी मंदिर में फंस गए थे।
हादसे में आगरा के ट्रांस यमुना निवासी राघवेंद्र सिंह भी फंस गए थे। उन्होंने जो कुछ बताया, उसे आसानी से समझने के लिए यहां हम पॉइंट्स में लिख रहे हैं...

'मैं अपने ममेरे भाई के साथ बांके बिहारी मंदिर गया था। रात 1.40 बजे गेट नंबर एक पर पहुंचे तो वहां पर बैरिकेडिंग हो रही थी। बताया कि यहां से केवल VIP की एंट्री है। इस पर वहां मौजूद लोगों ने नाराजगी भी जताई थी। इसके बाद मैं गेट नंबर दो पर पहुंचा। वहां पर जैसे ही पट खुले, भीड़ का रैला आया और सब अंदर घुसते चले गए।'
'पांच मिनट में 800 की कैपेसिटी वाले मंदिर परिसर में करीब 20 हजार से ज्यादा लोग भर गए। चंद मिनटों में अंदर घुटन हो गई। सांस फूलने लगी। पीछे से आवाज आने लगी कि कुछ लोग गिर गए हैं। मैं भी भीड़ में दब गया। अचानक तेज धक्का लगा तो मैं मंदिर की सीढ़ियों से नीचे आ गया। मैं बीच में बने छोटे मंदिर से टकराया। मेरे ऊपर लोग गिरते गए। दबने के कारण मेरी आवाज भी नहीं निकल रही थी।'
'इस बीच पर्दा हटा तो लोग दर्शन को पीछे हटे। मैं जैसे-तैसे बाहर निकलकर आया। अगर मैं दो मिनट और अंदर रहता तो शायद बच नहीं पाता। दम घुटने के कारण मैंने मंगला आरती भी नहीं की। बहुत सारे लोग बाहर निकलना चाह रहे थे, लेकिन वहां तक नहीं पहुंच पा रहे थे। 10 कदम की दूरी तय करना मुश्किल लग रहा था।'
'जब लोग बेहोश होने लगे तो वहां मौजूद सेवायत ने उन्हें खींचकर बाहर निकाला। ये हादसा केवल VIP कल्चर की वजह से हुआ है। VIP भीड़ में फंसे बिना सीधे मंदिर तक पहुंचें, इसके लिए अलग इंतजाम किए गए थे। कालीदेह से मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते को VIP के लिए रखा गया था। यहां पर अधिकारियों की गाड़ियां भी खड़ी थीं।'
*हादसे के समय अफसर मंदिर की बालकनी पर खड़े थे*


हादसे के वक्त रामबाग निवासी विकास भी वहीं मौजूद थे। उन्होंने कहा, 'मंगला आरती के चलते मैं अंदर था। बाहर निकलने का एक गेट बंद था। भीड़ बहुत थी। लोग दबकर चीख रहे थे। भीड़ कंट्रोल करने वाला कोई नहीं था। अधिकारी ऊपर बालकनी में खडे़ थे। लोग जान बचाने के लिए बाहर भाग रहे थे। अगर मैं दो मिनट और बाहर नहीं आ पाता, तो मेरे साथ भी अनहोनी हो जाती। VIP के लिए बालकनी की सीढ़ी बंद थी। वहां से आम श्रद्धालुओं को हटा दिया गया था।'
आगरा निवासी विकास भी बांके बिहारी में हुए हादसे के समय मंदिर परिसर में मौजूद थे।

पुलिस VIP की सेवा में व्यस्त रही: सेवायत

बांके बिहारी मंदिर के सेवायत दिनेश गोस्वामी ने हादसे के लिए पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। वह कहते हैं, 'जब मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं को फोटो खींचना मना है, तब भी अधिकारी वीडियो बना रहे थे। उनका पूरा ध्यान अपने परिवार पर था। इसके अलावा जो पुलिसकर्मी तैनात थे, वो VIP लोगों को मंदिर लाने-ले जाने में व्यस्त थे। व्यवस्था बनाने पर उनका कोई ध्यान नहीं था। पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।'

मंदिर के सेवायत दिनेश गोस्वामी ने हादसे के लिए पुलिस-प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है।

*बांके बिहारी हादसे से जुड़े 5 सबसे अहम सवाल...*
हादसे के बाद ADG की सफाई- मामले की जांच होगी

हादसे के पीछे पुलिस-प्रशासन की लापरवाही को लेकर उठ रहे सवालों पर आगरा जोन के ADG राजीव कृष्ण ने सफाई दी है। उनका कहना है कि जन्माष्टमी पर मंगला आरती साल में एक बार होती है, ऐसे में हर श्रद्धालु चाहता है कि वह मंगला आरती के दौरान अंदर रहे। ऐसे में मंदिर परिसर में भीड़ बढ़ती गई।
इसके अलावा एक एग्जिट गेट पर एक महिला की तबीयत खराब होने के चलते उन्हें हटाने में दो-तीन मिनट लगे। इसके चलते गेट नंबर चार ब्लॉक हो गया। अधिकारियों के वीडियो बनाने और VIP को एंट्री देने की बात पर वे जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ते नजर आए।
सांस लेने में दिक्कत के चलते 6 श्रद्धालुओं को 3 अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
August 21, 2022

मेगा एम्पायरजॉनसन एंड जॉनसन 136 साल पुरानी कंपनी:8 महिलाओं के साथ शुरू हुई, अब महिलाओं ने कंपनी पर 38 हजार केस किए

मेगा एम्पायरजॉनसन एंड जॉनसन 136 साल पुरानी कंपनी:8 महिलाओं के साथ शुरू हुई, अब महिलाओं ने कंपनी पर 38 हजार केस किए

जॉनसन एंड जॉनसन…फार्मा जगत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक जिसकी 60 से अधिक देशों में 275 से अधिक ऑपरेटिंग कंपनियां हैं। दुनिया भर में करीब डेढ़ लाख कर्मचारी, वहीं भारत में लगभग 6 हजार लोग इस कंपनी में काम करते हैं। 1886 में जॉनसन एंड जॉनसन की स्थापना हुई थी, तब कंपनी के पहले 14 कर्मचारियों में से 8 महिलाएं थीं। 2013 में "वर्किंग मदर" मैगजीन ने जॉनसन एंड जॉनसन को वर्किंग मदर्स के लिए सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में से एक बताया था। आज यही कंपनी महिलाओं द्वारा दायर लगभग 38 हजार से ज्यादा मुकदमों का सामना कर रही है।

*आज मेगा एम्पायर में जानिए जॉनसन एंड जॉनसन के बारे में…*

एक भाषण से प्रेरित होकर तीन भाइयों ने शुरू की थी जॉनसन एंड जॉनसन
जॉनसन ब्रदर्स: रॉबर्ट वुड, जेम्स वुड और एडवर्ड मीड जॉनसन (बाएं से दाएं)

साल था 1886, जब तीन भाइयों - रॉबर्ट वुड जॉनसन, जेम्स वुड जॉनसन और एडवर्ड मीड जॉनसन ने अमेरिका के न्यू जर्सी में जॉनसन एंड जॉनसन की नींव रखी। कहा जाता है कि 1885 में एंटीसेप्टिक एडवोकेट जोसेफ लिस्टर के एक भाषण को सुनने के बाद जॉनसन भाइयों को यह बिजनेस शुरू करने की प्रेरणा मिली। यह वो वक्त था, जब अमेरिका में बहुत बड़े स्तर पर इंफ्रा का निर्माण हो रहा था। रेल लाइंस बिछाई जा रही थीं। ऐसे में छोटी-छोटी दुर्घटनाएं बहुत होती थीं। इस समय तक रेडी टू यूज सर्जिकल किट के बारे में किसी ने सोचा तक नहीं था। इसी विचार ने तीनों जॉनसन भाइयों को यह कंपनी बनाने का आइडिया दिया।रॉबर्ट वुड जॉनसन कंपनी के पहले प्रेसिडेंट बने और सैनिटेशन प्रैक्टिस में सुधार के लिए काम शुरू किया। जॉनसन एंड जॉनसन ने सबसे पहले एक फर्स्ट एड किट बनाई, जिसे रेलकर्मियों की मदद के लिए डिजाइन किया गया था।
*मैटरनिटी किट और बेबी पाउडर से हर घर तक पहुंचा जॉनसन*

1894 में मैटरनिटी किट के लॉन्च के साथ जॉनसन एंड जॉनसन का हेरिटेज बेबी बिजनेस शुरू हुआ। इन किट का उद्देश्य बच्चे के जन्म के वक्त मां और बच्चे को हर रुप से सुरक्षित रखना था। इसी साल जॉनसन का बेबी पाउडर भी बिक्री के लिए मार्केट में आया। यह बेहद सफल रहा। रॉबर्ट वुड जॉनसन की पोती- मैरी ली की तस्वीर बेबी पाउडर के डिब्बे पर आई। मैरी…पहली वो बच्ची थी, जिसकी तस्वीर को बेबी पाउडर के प्रचार के लिए इस्तेमाल किया गया।

*जॉनसन एंड जॉनसन के फार्मा किंग बनने की कहानी*

1959 में, जॉनसन एंड जॉनसन ने अमेरिका में McNeil Laboratories का अधिग्रहण किया और यूरोप में Cilag Chemie, AG का भी अधिग्रहण किया। इन दो अधिग्रहणों ने कंपनी को पहली बार फार्मा के क्षेत्र में एक एंपायर के रूप में स्थापित किया। इसके बाद जॉनसन एंड जॉनसन ने बच्चों के लिए पहला एस्पिरिन मुक्त पेन रिलीवर लॉन्च किया, जो बेहद हिट रहा।
*एक कर्मचारी की पत्नी को चोट लगी…तब डेवलप हुई बैंड एड*

अर्ले डिक्सन जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी में काम करते थे। उनकी पत्नी जोसेफिन जब भी किचन में काम करतीं तो कई बार उन्हें चोट लग जाती थी। वे चोट पर तुरंत कपड़े की पट्टी लगा लेती थीं, लेकिन बिना प्रॉपर सपोर्ट के कारण पट्टी जल्द ही सरक कर गिर जाती था। इसी से अर्ले डिक्सन को एक आइडिया आया। उन्होंने दवाओं की ढेर सारी रेशमी पट्टियों को स्क्वायर में काटा और उसको टेप के ऊपर चिपका दिया। कंपनी के मालिक जेम्स वुड ने जब अर्ले से इस बैंडेज के बारे में सुना तो वे भी चौंक गए। यह आइडिया कंपनी में सभी को इतना पसंद आया कि उसी तर्ज पर कंपनी ने 1920 के बाद से ‘बैंड-एड’ बनाने शुरू कर दिए। और जल्द ही अर्ले डिक्सन को कंपनी का वाइस प्रेसिडेंट भी बना दिया गया।

*कोविड में कंपनी ने बनाई फ्रीज ना करने वाली सिंगल डोज वैक्सीन*

कोविड से लड़ने के लिए जॉनसन एंड जॉनसन ने जिस सिंगल डोज वैक्सीन का निर्माण किया, उसे अस्पताल भेजे जाने तक फ्रीजर में रखने की जरूरत नहीं थी। इससे पहले कभी भी वैक्सीन टेस्टिंग और उसका निर्माण इतनी तेजी से नहीं हुआ था। जॉनसन एंड जॉनसन ने कोरोना वायरस से जीन लेकर ह्यूमन सेल तक पहुंचाने के लिए एडीनोवायरस का इस्तेमाल किया था। एडीनोवायरस का काम वैक्सीन को ठंडा रखना होता है, लेकिन इसे फ्रीज करने की जरूरत नहीं होती है।
*रेवेन्यू में आज भी जॉनसन सबसे बड़ी फार्मा कंपनियों में से एक*

जॉनसन एंड जॉनसन ने कोविड-19 से लड़ने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ साझेदारी कर स्वयं के टीके पर काम शुरू किया था। शुरुआत में कंपनी की स्थिति बाकी कंपनियों की तरह कोविड से प्रभावित हुई। लेकिन कंपनी अपने कई प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों के डबल डोज वाले दृष्टिकोण के विपरीत, अपनी सिंगल डोज वैक्सीन के साथ आगे बढ़ी। मौजूदा समय में कंपनी कई अहम प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। जिसमें लीजेंड बायोटेक के साथ साझेदारी में विकसित सीएआर-टी थेरेपी शामिल है। रेवेन्यू के मामले में आज भी जॉनसन एंड जॉनसन दुनिया की सबसे बड़ी फार्मा कंपनियों में से एक बनी हुई है। 2021 में कंपनी का रेवेन्यू 93.77 बिलियन डॉलर(करीब 7 करोड़ रुपए) था।
*हर घर में मिलने वाला 128 साल पुराना जॉनसन पाउडर बंद हो रहा है*

जॉनसन बेबी टैल्क पाउडर 1894 से बेचा जा रहा है। फैमिली फ्रेंडली होने की वजह से यह कंपनी का सिंबल प्रोडक्ट बन गया था। जॉनसन एंड जॉनसन का बेबी पाउडर सबसे प्रसिद्ध टैल्कम पाउडर में से एक रहा है। 128 सालों से यह हर घर का हिस्सा बना हुआ है। भारत में 1947 से जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा स्थानीय रूप से टैल्कम पाउडर बेचा जाता है। भारत में निर्मित टैल्कम पाउडर को श्रीलंका, नेपाल, मालदीव जैसे पड़ोसी देशों में भी बेचा जाता है। जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी अपना बेबी पाउडर 2023 से बेचना बंद कर देगी। अब कंपनी टैल्क बेस्ड पाउडर की जगह कॉर्न स्टार्च बेस्ड पाउडर लाएगी। कंपनी का पाउडर अमेरिका और कनाडा में सालभर पहले ही बंद हो चुका है। कंपनी ने कहा है कि अमेरिका में चल रहे हजारों कंज्यूमर सेफ्टी केस के चलते इस प्रॉडक्ट की बिक्री बंद कर दी गई है। हालांकि जॉनसन एंड जॉनसन ने लगातार इन दावों से इनकार किया है कि उसके प्रोडक्ट कैंसर का कारण बन सकते हैं।

Tuesday, March 29, 2022

March 29, 2022

राजवंशो के 500 सिक्कों के संग्राहलय के मालिक हैं विवेक अरोड़ा

राजवंशो के 500 सिक्कों के संग्राहलय के मालिक हैं विवेक अरोड़ा 

भिवानी : भिवानी के रहने वाले विवेक अरोड़ा को राजवंशों के सिक्के एकत्रित करने  का शोक है। 35 वर्षीय विवेक अरोड़ा एक निजी कम्पनी में मैनेजर की जॉब करते हैं। 
सिक्का संग्रह करना विवेक अरोड़ा का शौक है और पिछले 10 वर्षों से सिक्के एकत्र किए हुए हैं। विवेक के संग्रह में  विभिन्न राजवंशों के 400-500 सिक्के हैं। जैसे मौर्य काल के पंच चिह्न सिक्के, गुप्त साम्राज्य के सिक्के , कुषाण काल के सिक्के, नागा वंश, गजनी वंश, चौहान वंश दिल्ली के शासक, कश्मीर शासक, दिल्ली सल्तनत, भारतीय भारतीय रियासत इंडियन प्रिंसली स्टेट लिखे पटिआला, कपूरथला, जींद, जयपुर,बीकानेर, बांसवाड़ा, अलवर, जोधपुर, मुगल सम्राट, सिंध शासक, बहमनी सुल्तान, गुजरात सल्तनत, मलवा सल्तनत आदि।
इस संग्रह में तांबे के सिक्के, अरब सिक्के (तांबा + चांदी धातु), चांदी के सिक्के और कुछ सोने के सिक्के हैं।
विवेक ने अपने पुराने सिक्कों का संग्रह दिखाने वाले अपने एक परिचित से प्रेरणा लेकर वर्ष 2012-13 में सिक्का संग्रह शुरू किया था।
सिक्के...इस तरह से विवेक अरोड़ा ने सिक्का संग्रह की अपनी यात्रा शुरू की।
इनके  कुछ सिक्कों के सिक्कों के संग्रह की छवियां विवेक के संदर्भ के लिए संलग्न हैं।

Friday, May 14, 2021

May 14, 2021

हरियाणा मे होम आइसोलेशन में रह रहे 2346 जरूरतमंद मरीजों को घर पर मिली ऑक्सीजन - स्पेशल रिपोर्ट

 हरियाणा मे होम आइसोलेशन में रह रहे 2346 जरूरतमंद मरीजों को घर पर मिली ऑक्सीजन - स्पेशल रिपोर्ट 

जी हाँ, अब हरियाणा मे जरूरतमंद मरीजों को डोर टू डोर आक्सीजन सिलेंडर रिफिल करने की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। जो व्यक्ति कोरोना संक्रमण के चलते होम आइसोलेशन में है और उन्हें डॉक्टर द्वारा ऑक्सीजन लेने की सिफारिश की जाती है। ऐसे व्यक्ति ऑनलाइन व्यवस्था से आवेदन कर सकते हैं, जिन्हें घर बैठे ही ऑक्सीजन मुहैया करवाई जाएगी।

अभी तक प्रदेश मे 2346 जरूरतमंद व्यक्तियों को घर बैठे ही ऑक्सीजन पहुंचाई गई है। ऑक्सीजन लेने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल  http://www.oxygenhry.in/  पर अपना पंजीकरण करवाना होता है। इस पोर्टल पर पंजीकृत होने के बाद आवेदन समाज सेवी संस्था और रेडक्रास सोसायटी के पास रिफलेक्ट हो जाएगा। इस पंजीकरण के बाद जरूरतमंद मरीज के पास रेडक्रॉस सोसायटी के वॉलिटियर्स और समाज सेवी संस्थाओं के सहयोग से आक्सीजन पहुंच जाति है। इस प्रणाली के लिए प्रशासन ने हर जिले मे नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए गए हैं।

आवेदन प्रक्रिया -

इस प्रक्रिया में आवेदक को आवेदन करने के दौरान आधार नम्बर, ऑक्सीजन लेवल के लिए आक्सीमीटर की फोटो भी अपलोड करनी होगी। इतना ही नहीं आवेदक के पास खाली सिलेंडर होना भी अनिवार्य है।  विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाएं इस कार्य को करने के लिए प्रशासन का सहयोग कर रही है। संबंधित व्यक्ति द्वारा आवेदन करने के बाद टीम उसके घर जाएगी और जांच करेगी कि इस व्यक्ति को सिलेंडर की जरूरत है या नहीं। आक्सीजन की कालाबाजारी किसी सूरत में सहन नहीं की जाएगी। अगर कोई व्यक्ति आक्सीजन की कालाबाजारी करते हुए मिला तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी

8 जिले आवेदन स्वीकृत करने मे अव्वल

हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ को मिले ताजा आकडों के अनुसार प्रदेश मे हिसार,करनाल,पंचकुला, पानीपत, रेवाड़ी,रोहतक , सोनीपत, यमुनानगर  होम आइसोलेशन में  जरूरतमंद मरीजों को घर पर ऑक्सीजन देने मे रूचि दिखा रहे है जहा ऑक्सीजन लेने वाले आवेदनों  को स्वीकृत  ज्यादा किया गया है | आकडों के अनुसार  पानीपत प्रदेश मे अव्वल है जहा अब तक 380 लोग घरो मे ऑक्सीजन ले चुके है व 3 लोगो को ऑक्सीजन देने की  प्रक्रिया जारी है व एक व्यक्ति का आवेदन विचाराधीन है व 58 लोगो के आवेदन अस्वीकृत कर दिए गये है | 

14 जिले आवेदन अस्वीकृत करने मे अव्वल

प्रदेश के कुछ जिले ऑक्सीजन घरों तक पहुचाने मे अव्वल है तो कुछ ऐसे भी जिले है जहा जरूरतमंद लोगो द्वारा  किये गये आवेदन स्वीकृत  कम ,अस्वीकृत ज्यादा हुए है  ऐसे जिलों मे अम्बाला, भिवानी, चरखी दादरी , फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुरुग्राम,झज्जर, जींद,कैथल,कुरुक्षेत्र,महेंद्रगढ़, नुह, पलवल, सिरसा का नुम्बर आता है जहा आकडे दिखाते है कि जिला प्रसाशन ऑक्सीजन घरो तक पहुचाने के बजाय उनके आवेदनो को अस्वीकृत करने पर ज्यादा काम कर रहा है | सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन जिलों  मे जिन लोगो को ऑक्सीजन मिली है वो रसूखदार लोग है आम लोगो के आवेदन बिना बात कि कमी निकाल कर अस्वीकृत कर दिए जाते है |

जरूरतमंद को ऑक्सीजन न मिले तो हमे करे शिकायत 

कोरोना काल के कठिन दौर मे हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ अपनी जिम्मेदारी समझते हुए आम जनता से अपील करता है यदि आपके किसी जरूरतमंद को घर पर ऑक्सीजन मिलने मे समस्या आ रही है तो हमसे 9802110050 पर साँझा  करे  या ईमेल करे haryanabulletinnews@gmail.com  हमारा जनहित मे प्रयास रहेगा की आपके जिलाधिकारीओ से सम्पर्क कर हर जरूरतमंद को समय पर मिले ऑक्सीजन |

Sunday, April 25, 2021

April 25, 2021

आपके जनधन खाते में है कितना बैलेंस ? इस नंबर पर मिस्ड कॉल देकर करें पता

आपके जनधन खाते में है कितना बैलेंस ? इस नंबर पर मिस्ड कॉल देकर करें पता

नई दिल्ली : देश में एक बार फिर से कोरोना का संकट फैल रहा है। एक बार फिर से लोग घरों में बंद है। बच्चों की पढ़ाई हो या बैंक का कोई काम सब ऑनलाइन किया जा रहा है। बैंकों की तरफ से भी कई सुविधाएं की जा रही है ताकि बैंक में भीड़ जमा ना हो।
अगर आप अपने खाते का बैलेंस जाना चाहते है तो इसके लिए आपको बैंक के चक्कर लगाने की जरुरत नहीं है। अब आप घर बैठे अपने जनधन खाते का बैलेंस चेक कर सकते हैं। आप एक मिस्ड कॉल और PFMS पोर्टल के जरिए बैलेंस पता कर सकते हैं।
मिस्ड कॉल से लगाएं पता

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में जन धन खाता के ग्राहक मिस्ड कॉल के जरिए बैलेंस पता लगा सकते हैं। इसके लिए आपको 18004253800 या फिर 1800112211 नंबर पर मिस्ड कॉल देना है। लेकिन ग्राहकों को अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से मिस्ड कॉल करना होगा।
PFMS पोर्टल से लगाएं पता

इसके लिए आपको https://pfms.nic.in/NewDefaultHome.aspx# पर जाना होगा।

यहां आपको ‘Know Your Payment’ पर क्लिक करना होगा।
इसके बाद में आपको अपना अकाउंट नंबर एंटर करना होगा। यहां आपको दो बार अकाउंट नंबर डालना है।इसके बाद में कैप्चा कोड भरना है। अब आपके खाते का बैलेंस आपके सामने आ जाएगा।

कैसे खोले नया खाता ?

अगर आप अपना जनधन खाता खुलवाना चाहते हैं तो आपको अपने नजदीकी बैंक में जाना होगा। यहां पर आपको जनधन खाते का फॉर्म भरना होगा। आप पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड नंबर, चुनाव आयोग द्वारा जारी वोटर आइडी कार्ड, राज्य सरकार के अधिकारी के हस्ताक्षर वाले मनरेगा जॉब कॉर्ड जैसे दस्तावेजों के जरिए आप जनधन खाता खोलवा सकते हैं।
April 25, 2021

जानिए कब मिलेगी कोरोना महामारी से छुट्टी, क्यों अशुभ है साल 2021

जानिए कब मिलेगी कोरोना महामारी से छुट्टी, क्यों अशुभ है साल 2021

नई दिल्ली :  एक साल से ज्यादा का वक्त हो गया है लेकिन ये कोरोना है की जाता ही नहीं है हर तरफ तबाही का मंजर मचा रखा है। अब इन सबके बीच सबके मन में सिर्फ एक ही सवाल उठता है कि आखिर इस कोरोना काल से कब छुटकारा मिलेगा। और कब पूरा देश मास्क फ्री होगा। मानो जैसे हर तरफ से बस एक ही आवाज आती हो कि मुझे इस महामारी से आजादी चाहिए। तो इस कड़ी में ज्योतिष क्या कहते है। बता दें कि ज्योतिष के ग्रंथों महुर्त चिंतामणि और वशिष्ठ संहिता के अनुसार यदि गुरु किसी हिंदू नववर्ष में तीन राशियों को स्पर्श कर ले तब उससे अगले हिंदू नववर्ष में एक संवत्सर लुप्त हो जाता है। आपको बता दें कि, ज्योतिषीय काल गणना पद्धति में कुल 60 संवत्सर बताए गए हैं जिनके नाम प्रभव, विभव, शुक्ल, प्रमोद, प्रजापति आदि हैं और यह एक विशेष क्रम से चलते हैं। पिछले वर्ष 24 मार्च 2020 को हिंदू नववर्ष यानि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रमादी संवत्सर था जिसके फलों में ‘प्रजा में रोग पीड़ा और राजाओं में विग्रह आदि कहे गए थे।

संयोग से 24 मार्च 2020 को ही भारत में कोरोना महामारी के चलते ‘संपूर्ण तालाबंदी’ की गई थी। उस समय गुरु धनु राशि में गोचर कर रहे थे और कुछ दिनों में ही वह मकर राशि में आ कर अतिचारी हो गए। गुरु सामान्यता एक राशि में एक वर्ष तक रहते हैं लेकिन मकर राशि में वह 10 माह तक रहने के बाद इस वर्ष हिंदू नववर्ष आरंभ के तीन दिन पूर्व ही कुंभ राशि में प्रवेश कर चुके थे। इस कारण से गुरु ने धनु, मकर और कुंभ तीनों राशियों को एक हिंदू नववर्ष के समय स्पर्श कर लिया था अत: ‘प्रमादी’ के बाद ‘आनंद’ संवत्सर का लोप हो गया और राक्षस संवत्सर का उदय हुआ है।
आनंद नाम के शुभ संवत्सर का गुरु की अतिचारी गति के कारण लुप्त हो जाने से ‘राक्षस’ नामक अशुभ संवत्सर अभी चल रहा है जिसके कुप्रभाव से 12 अप्रैल को शुरू हुए हिंदू नववर्ष के बाद से कोरोना महामारी की स्थिति विकराल रूप ले रही है। मई और जून के महीनों में राहु वृष राशि में चलते हुए अपनी प्रतिकूलता को बढ़ा देंगे। इससे कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को अभी और सतर्कता और सजगता से काम लेना होगा। 23 मई को शनि जब मकर राशि में श्रवण नक्षत्र में वक्री होंगे तब केंद्र सरकार को कोई बड़ा फैसला लेना पड़ सकता है।

सामान्यता एक पूर्णिमा से अमावस्या तक 15 दिनों में 15 तिथियां होती हैं लेकिन कभी-कभी किसी एक तिथि के क्षय या लुप्त हो जाने से पक्ष 14 दिनों का होता है तो कभी एक तिथि के बढ़ जाने पर पक्ष 16 दिनों का भी हो जाता है। लेकिन इस वर्ष दशकों बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब कोई पक्ष 13 दिनों का हो रहा है। इस पक्ष में दो तिथियों का क्षय यानी लोप हो जाएगा। भाद्रपद शुक्ल पक्ष यानी सितंबर के महीने में प्रतिपदा और त्रियोदशी तिथि का क्षय हो जाएगा। अत: सितंबर महीने में पड़ रहा भाद्रपद शुक्ल पक्ष केवल 13 दिनों का ही होगा। 8 सितंबर से 20 सितंबर तक रहने वाले 13 दिनों के इस अशुभ पक्ष के बाद कोरोना महामारी की तीसरी लहर भी भारत में आ सकती है ऐसी आशंका है। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के समय भी 13 दिनों का पक्ष पड़ा था अत: सितंबर और उसके बाद का कुछ समय भी देश के लिए चुनौती पूर्ण हो सकता है।

Monday, September 7, 2020

September 07, 2020

जानें श्राद्धों से जुड़े ये अनोखे तथ्य, क्यों मनाते हैं श्राद्ध ?

जानें श्राद्धों से जुड़े ये अनोखे तथ्य, क्यों मनाते हैं श्राद्ध ?

एक तरफ तो यह माना जाता है कि जब इंसान मरता है तो उसका पुनर्जन्म होता है.. मतलब अगर घर में किसी बुजुर्ग की मृत्यु हुई है तो वे अगले जन्म में कहीं पैदा हो गए होंगे। दूसरी तरफ श्राद्ध में पितरों को खिला कर हम यह सिद्ध करते हैं कि वह बेचारे कहीं भूख से तड़प रहे हैं पर उन्हें खीर हलवे की जरूरत है। अब यह सोचिए अगर तो उनका जन्म कहीं पर हो गया है तो उन्हें हमारा पहुंच दिया खाना नहीं पहुंचेगा। दूसरी बात अगर जन्म नहीं हुआ वह अभी भी ब्रह्मांड में घूम रहे हैं तो पुनर्जन्म की थ्योरी गलत हो जाती है। लेकिन कोई इस बात पर विचार ही नहीं करना चाहता!
घरों में सुख शांति समृद्धि के लिए श्राद्ध जरूरी है, यह कहकर हम सदियों से श्राद्ध कर रहे हैं। लेकिन क्या हमारे देश से गरीबी दूर हो गई ?ठीक है ,आप कहें कि एक तरह का दान ही है, अगर दान है तो कृपया जरूरतमंद को दीजिए। पंडितों को खिलाने से कोई फायदा नहीं( कृपया पंडित जन क्षमा करें) अब तो पंडित लोग भी श्राद्ध में परेशान हो जाते हैं।
अब इस के वैज्ञानिक कारण पर आते हैं जो कि बहुत ही उचित और सार्थक है। आप जानते हैं कि पितृ पक्ष पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक 15- 16 दिन का होता है और यह वर्षा ऋतु के बाद आता है.. परंतु पितृपक्ष मेँ कौवे को ही भोजन क्यों ?
आप ने कभी पीपल या बड का पेड लगाया?अथवा किसी को लगाते देखा?"नहीं।"यह दोनों पेड बीज के रोपने से नहीं उगते।ये दोनों अति उपयोगी पेड को उगाने की प्रकृति माँ ने अलग ही प्रबंध किया है।इनके बीजों को जब कौवे खाते हैं , तब उनके पेट में एक विशेष क्रिया से इनके बीजों में विशेष परिवर्तन होता है। जो बीजों को पेड़ उगने के लिए परिपक्व करता है।इसके सिवा और कोइ रीत नहीं है !फिर जहाँ कौवे बीट करते है वहाँ ये पेड उगते हैं ।
पीपल वह एकमात्र पेड है, जो सबसे अधिक प्राणवायु ( O2) देता है। पीपल ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों में सबसे पहला स्थान रखता है। बड के गुण भी बहुत हैं। वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड खींचने और ऑक्सीजन देने की इसकी क्षमता बेजोड़ है। दवाओं में तो इसका बहुत ही ज्यादा प्रयोग होता है। ये दोनों पेड तभी तक रहेंगे जब तक कौवे रहेंगे। वर्षा ऋतु के बाद वे अँडे देते हैं। तो उनकी नयी पीढी के भोजन का उपयुक्त प्रबंध करने के लिए हमारे ऋषि मुनियों ने समाज में प्रथा डाली कि श्राद्ध में लोग छतों पर भोजन अवश्य रखें। उसके बीज पेड़ों को उगने में सहायक होंगे। ये हमारा प्रकृति रक्षण में सहयोग होगा। देखिए वह तब के समय में भी प्रकृति के प्रति कितने सजग थे?
मैंने बहुत से लोगों को श्राद्ध पर मजाक बनाते देखा है. अपनी परंपरा पर हँसे नहीं , सहर्ष पालन करें। सनातन धर्म जितना वैज्ञानिक और सार्थक कुछ भी नहीं, हर एक प्रथा, रिवाज के पीछे एक बहुत बड़ा तर्क और विज्ञान कार्य करता है!बस उस तर्क को जानने की जरूरत है। आज के बाद आपसे कोई पूछे कि आप लोग श्राद्ध क्यों करते हो? तो यह कारण बतलाएं कि आपके पूर्वजों ने प्रकृति की रक्षा के लिए एक महान व्यवस्था की है ना कि पितरों को खिलाने वाला। यह कौवे कोई हमारे पितृ बन कर नहीं हमारी प्रकृति के रक्षक बनकर आते हैं। इसलिए उन दिनों में इन्हें जरूर भोजन दें क्योंकि प्रकृति नहीं तो हम भी नहीं।