हरियाणा पत्रकार संघ ने मुख्यमंत्री से पत्रकारों को 5 लाख रुपए का चिकित्सा बीमा सरंक्षण देने के लिए कैशलेस योजना को तुरंत लागू करने की मांग की
करनाल : हरियाणा पत्रकार संघ ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से पत्रकारों को 5 लाख रुपए का चिकित्सा बीमा संरक्षण देने के लिए कैशलेस योजना को तुरंत लागू करने की मांग की है। यहां यह उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ के पत्रकारों से बातचीत करते हुए गत 16 नवम्बर प्रेस दिवस के अवसर पर कैशलेस योजना को लागू करने की घोषणा की थी। लेकिन सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए अभी तक कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। यह योजना गत 7 वर्षों से लंबित पड़ी है।
हरियाणा पत्रकार संघ के अध्यक्ष के.बी. पण्डित ने मुख्यमंत्री को लिखे गए एक पत्र में एक बात पर खेद व्यक्त किया है कि मुख्यमंत्री द्वारा 16 नवम्बर को इस योजना को लागू करने की घोषणा की थी। उन्होंने बताया कि लोक सम्पर्क विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस योजना को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से अभी तक कोई आदेश नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का पद बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और उनके द्वारा किए गए वायदे को तुरंत पूरा किया जाना चाहिए।
श्री पण्डित ने अपने पत्र में वृद्ध पत्रकारों के लिए लागू की गई मासिक पेंशन योजना में वृद्धि कर उसे कम से कम 20 हजार रुपए मासिक किया जाना अपेक्षित है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि वृद्ध पत्रकारों की इस पेंशन वृद्धि पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पेंशन योजना के कड़े नियमों के कारण अभी तक राज्य के कुल 160 पत्रकारों को ही इसका लाभ मिल रहा है। यदि वे पेंशन योजना की शर्तों में से पांच साल का राज्य सरकार का एक्रिडिटेशन जरुरी होने की शर्त को हटा दिया जाए तो राज्य के कम से कम 600 से 700 पत्रकारों को इसका लाभ मिलना चाहिए। पेंशन की पात्रता के लिए 60 वर्ष आयु को घटाकर 58 वर्ष की जानी चाहिए। यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष है इसलिए पत्रकारों की पेंशन के लिए भी आयु को 58 वर्ष करना न्यायसंगत होगा।
पत्र में श्री पंडित ने कहा है कि राज्य में नवोदित पत्रकारों को मान्यता देने के लिए गत 10 वर्षों से मीडिया एक्रिडिटेशन कमेटी के गठन की मांग भी लंबित पड़ी है। यथाशीघ्र इस कमेटी का गठन किया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक पत्रकारों को इसका लाभ मिल सके। अभी तक सभी एक्रिडिटेशन के मामले तदर्थ आधार पर निपटाये जा रहे हैं। इनकी पुष्टि भी राज्य मीडिया एक्रिडिटेशन कमेटी कराया जाना अनिवार्य है।
श्री पंडित ने कहा कि इसी प्रकार लघु समाचार पत्रों की शिकायत है कि उन्हें गत कई वर्षों से राज्य सरकार के विज्ञापन नहीं मिल रहे हैं। ऐसी नई विज्ञापन नीति बनाई जानी चाहिए जिनसे लघु समाचार पत्रों को अधिकाधिक विज्ञापन मिल सके और उन्हें अपना पत्र निकालने में सुविधा हो। उन्होंने कहा कि इस समय राज्य में डिजिटल मीडिया (यूट्यूबर्स) को भी पर्याप्त मात्रा में विज्ञापन नहीं मिल रहे और न ही उनमें कार्यरत पत्रकारों का एक्रिडिएशन होता है। डिजिटल मीडिया को मान्यता देने के लिए सुस्पष्ट नीति बनाई जानी चाहिए ताकि उन्हें भी उनका हक (विज्ञापन) मिल सके।
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