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Saturday, February 22, 2025

"मैं गंगा तक नहीं जा सकती, तो गंगा को घर ले आई"

"मैं गंगा तक नहीं जा सकती, तो गंगा को घर ले आई"
कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ ज़िले की 57 वर्षीय गौरी ने अपनी हिम्मत और संकल्प से ऐसा काम कर दिखाया, जो किसी के लिए भी प्रेरणा बन सकता है। आर्थिक तंगी के चलते जब वह प्रयागराज महाकुंभ नहीं जा सकीं, तो उन्होंने घर में ही 40 फीट गहरा कुआं खोदकर अपने संकल्प को पूरा कर दिया।
*दो महीने की मेहनत से खोदा कुआं*

गौरी ने यह कुआं अपने घर में महज दो महीनों में खुद ही खोद डाला। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह लंबे समय से महाकुंभ में गंगा स्नान करने की इच्छा रखती थीं, लेकिन पैसों की तंगी के कारण यात्रा संभव नहीं हो पाई। तब उन्होंने ठान लिया कि अगर गंगा तक नहीं जा सकतीं, तो 'गंगा' को अपने घर बुला लेंगी। इस सोच के साथ उन्होंने बिना किसी मशीनरी के, सिर्फ अपने हाथों और मेहनत के दम पर यह अद्भुत कार्य कर दिखाया।
"मैं गंगा तक नहीं जा सकती, तो गंगा को घर ले आई"

गौरी के इस कदम ने सभी को हैरान कर दिया है। खुद उन्होंने कहा, "मैं गंगा तक नहीं जा सकती, तो मैंने गंगा को अपने घर बुला लिया।" उनका यह जज़्बा दिखाता है कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो कुछ भी असंभव नहीं।
*गांववालों ने की सराहना*

गौरी की मेहनत और संकल्प को देखकर गांव के लोग भी हैरान हैं। उनकी इस उपलब्धि की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है। लोग इसे न केवल आस्था बल्कि आत्मनिर्भरता का प्रतीक मान रहे हैं।

गौरी की यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची श्रद्धा और मेहनत के आगे कोई भी मुश्किल टिक नहीं सकती। उनकी इच्छाशक्ति और समर्पण को सलाम!

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