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Wednesday, April 22, 2020

निजी शिक्षण संस्थान समाजसेवा या निज हित व्यवसाय


स्पेशल स्टोरी (नेहा) आज के समय में ये बड़ा सवाल है कि जो निजी शिक्षण संस्थान प्रदेश में खुले है, वो समाजसेवा के लिए खोले गए है या वो उक्त लोगो के निजी व्यवसाय है । अक्सर आम व्यक्ति यही कहता है उक्त निजी स्कूल या शिक्षण संस्थान उस/ABC व्यक्ति का है लेकिन क्या आप जानते है अधिकतर शिक्षण संस्थान किसी एक व्यक्ति के नहीं बल्कि संस्था के होते है । लेकिन वो लोग उस संस्था में आम जनभागीदारी को बढ़ावा न देकर अपनी निजी संपत्ति मान लेते है वो अवैध है ।

आप ये बात जानकर आश्चर्य में होगे या कहोगे कि आप गलत कह रहे हो संस्था के संस्थान तो प्रदेश के हर जिले में जाट संस्था या रोहतक में वैश्य संस्था या सोनीपत में हिन्दू संस्था या पानीपत में आर्य संस्था आदि आदि है जी बिल्कुल ये वो संस्था है जिनके आम जनभागीदारी है और हो सकता है समय के साथ इनमें सरकार की भी हिस्सेदारी हो, लेकिन जो आप अपने आस पास बड़े बड़े प्राइवेट स्कूल या कॉलेज देख रहो हो इनमें से ऐसा शायद ही कोई विरला स्कूल या कॉलेज होगा जो किसी न किसी संस्था का न हो । हां, जी हां बिल्कुल आप यदि इस विषय की गहनता से जांच करेगे तो पाओगे की इनमें से कोई भी शिक्षण संस्थान प्राइवेट लिमिटेड, लिमिटेड, प्रोप्राइटर या साझेदारी फर्म के तहत नहीं है बल्कि सभी किसी न किसी संस्था के द्वारा खोले गए और इनमें जो सदस्य होते है वो या तो परिवार के होते है या निजी मित्र या बिजनेस साझेदार होते है जो कहने को कागजों में तो समाजसेवा कर रहे होते है लेकिन हकीकत में व्यवसाय कर रहे होते है ।

जी हां, इतना ही नहीं बल्कि अधिकतर शिक्षण संस्थान कागजों में नुकसान में चल रहे होते है जिसको दिखा कर हर बार फीस व दाखिला फीस बढ़ा दी जाती है , जबकि हकीकत में इन शिक्षण संस्थानों से अच्छी मोटी खासी रकम अवैध तरीके से निकाल ली जाती है, और संस्था को नुकसान में दिखाया जाता है ।

ठीक है जो जैसा कर रहा है करो आम आदमी को इससे कोई ज्यादा मतलब है भी नहीं, क्योंकि हम केवल इतना चाहते है कि हमारे बच्चे अच्छे स्कूल में जाए, जहा अच्छे अध्यापक उन्हें अच्छी व आधुनिक शिक्षा दे । लेकिन आज की विकट परिस्थितियों में एक ओर तो लोगो की नौकरी को ले कर हाहाकार मचा है वहीं महगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है । हर कोई उम्मीद करता है कि बच्चे अच्छे स्कूल में तो पढ़े लेकिन इतने पैसे देने को है नहीं ।

वही सरकार भी कह चुकी है कि बच्चो को केवल एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई हो व फीस लेकर दबाव न बनाया जाए । वही स्कूल प्रबंधन को चाहिए कि बच्चो की तीन माह की फीस माफ कर दे या एडमिशन चार्ज न लेकर हर महीने केवल फीस लेते रहे व निजी प्रकाशक की किताबों कि जगह केवल NCERT कि किताबों से ही पढ़ाई करवाए । लेकिन स्कूल प्रबंधक मनमानी कर रहे है शायद वो ये नहीं जानते कि अब स्थिति पानी सर के ऊपर आने वाली हो गई है मतलब या तो समस्या का समाधान हो नहीं तो आम आदमी मारा जाएगा और उसकी हैसियत बच्चो को अच्छे स्कूलों में पढ़ाने की नहीं रहेगी और जब ग्राहक नहीं रहेंगे तो आप क्या करेगे

हरियाणा बुलेटिन न्यूज निवेदन करता है प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थानों से या तो कुछ सोच समझकर आम जन हित को ध्यान रखते हुए निर्णय ले लो नहीं तो आर पार की लड़ाई के लिए तैयार हो जाए ।

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