(संजय) जींद - आज उपस्वास्थ्य केंद्र रुपगढ़ पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता देवीराम कौशिक द्वारा विश्व मलेरिया दिवस मनाया गया। हर साल 25 अप्रैल को मलेरिया जैसी गम्भीर बीमारी पर काबू पाने के लिए विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है ।इसका मुख्य उद्देश्य मलेरिया से लोगो को जागरूक ओर उनकी जान की रक्षा करना है। इस अवसर पर कौशिक ने गावँ की महिलाओं ,युवाओ को मलेरिया बुखार की जानकारी के पम्पलेट देकर जागरूक किया ।
उन्होंने विश्व मलेरिया दिवस पर सबसे पहले सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मलेरिया दिवस की बधाई दी और सभी साथियों का आभार भी जताया कि सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ता कोरोना महामारी में भी अपनी ड्यूटी पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी से करके दिन रात जनता को जागरूक करने व उनकी सेवा में समर्पित हैं।कौशिक ने बताया कि जब भी ऋतु परिवर्तन होता है तो मच्छरों की संख्या भी बढ़ती है और उसी के साथ मलेरिया बुखार के शिकार होने की संभावना भी बढ़ जाती है। मलेरिया रोग के मच्छर गन्दे पानी मे पैदा होते हैं।जोकि हमारे घरों के आस पास गन्दा पानी होने से इन मच्छरों से मलेरिया की दस्तक घर-घर तक पहुँच जाती है। जरा-सी असावधानी इस रोग को पनपने की मुख्य वजह बनती है। मलेरिया के लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के 10 / 15 दिन के बाद दिखाई देते हैं। मौसम के बदलने पर यदि बुखार आ रहा है, सिर में दर्द है और कमजोरी लग रही है, तो लापरवाही न करें, तुरंत चिकित्सक की सलाह लें। हो सकता है ये छोटी-छोटी परेशानियाँ आगे चलकर मलेरिया बुखार का रूप ले लें। मलेरिया बुखार एक ऐसी बीमारी है जिससे सावधानियाँ रखकर ही बचा जा सकता है। मलेरिया के विषय में जागरूकता लाने के लिए ही आज विश्व मलेरिया दिवस मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य के तहत स्वास्थ्य कर्मी चयनित एरिया में जाकर मलेरिया के परीक्षण के लिए स्लाइड बनाते हैं, जिसे एक्टिव सर्वे कहते हैं। जो स्लाइड अस्पतालों में बनाई जाती है उसे पैसिव सर्वे कहते हैं।
मच्छरों को कम करने के लिए फॉगिंग मशीन का उपयोग किया जाता है। ये मशीन स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम द्वारा संचालित की जाती है। ठंड के बाद जैसे ही गर्मी बढ़ी है वैसे ही अचानक से मच्छर भी बढ़ गए हैं। चाहे कोई भी क्षेत्र हो मच्छरों से अछूता नही है।
देवीराम ने बताया कि कुछ समय पूर्व टोमोफॉस युक्त मच्छरदानी प्रदान करने की मुहिम प्रारंभ की गई थी, जो अब भी जारी है। इस अभियान में मलेरिया के संक्रमण को रोकने के लिए टोमोफॉस नामक घोल में मच्छरदानी को डुबोकर दो घंटे तक सुखाया जाता है उसके बाद मच्छरदानी पूरी तरह से मलेरिया रोधक हो जाती है जो छह महीने तक कारगर होती है। मलेरिया बुखार बारे बताते हुए कहा कि मलेरिया एक प्रकार के परजीवी प्लाजमोडियम से फैलने वाला रोग है। जिसका वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर होता है। जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण फैलने से उसमें मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।मलेरिया परजीवी विशेष रूप से लाल रक्त कणिकाओं (आरबीसी) को प्रभावित करता है जिससे शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और मरीज कमजोर होता जाता है। यदि शुरुआत में ही ध्यान न दिया जाए तो इससे लीवर भी प्रभावित हो सकता है और रोगी पीलिया जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकता है।
देवीराम ने बताया कि कुछ समय पूर्व टोमोफॉस युक्त मच्छरदानी प्रदान करने की मुहिम प्रारंभ की गई थी, जो अब भी जारी है। इस अभियान में मलेरिया के संक्रमण को रोकने के लिए टोमोफॉस नामक घोल में मच्छरदानी को डुबोकर दो घंटे तक सुखाया जाता है उसके बाद मच्छरदानी पूरी तरह से मलेरिया रोधक हो जाती है जो छह महीने तक कारगर होती है। मलेरिया बुखार बारे बताते हुए कहा कि मलेरिया एक प्रकार के परजीवी प्लाजमोडियम से फैलने वाला रोग है। जिसका वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर होता है। जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण फैलने से उसमें मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।मलेरिया परजीवी विशेष रूप से लाल रक्त कणिकाओं (आरबीसी) को प्रभावित करता है जिससे शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और मरीज कमजोर होता जाता है। यदि शुरुआत में ही ध्यान न दिया जाए तो इससे लीवर भी प्रभावित हो सकता है और रोगी पीलिया जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकता है।
मलेरिया के पहचान का तरीके में बताया कि इस बुखार में
* ठंड के साथ बुखार आना
* सिददर्द होना
* उल्टी हो भी सकती है और नहीं भी
* कमर में दर्द होना
* कमजोरी लगना ये लक्षण दिखाई देते हैं
देवीराम कौशिक ने मलेरिया बुखार की सावधानी बारे बताया कि मलेरिया से बचने के लिए जरूरी है कि मच्छरों से बचा जाए। मच्छरों से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ अपनानी चाहिए। जैसे-
* जहाँ तक हो पूरी बाजू के कपड़ों का प्रयोग करें।
* सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
* बंद कमरे में जितना हो सके क्वॉइल का प्रयोग न करें।
* घर में पानी को जमा न होने दें।
* अगर आसपास पानी जमा हो तो उसमें काला तेल,मिट्टी का तेल,या अन्य प्रकार का तेल डाल दें जिससे मच्छर नहीं पनपेंगे।
* थोड़ा भी बुखार आने पर डॉक्टर से दवाई व परामर्श लें। इस मौके पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशा रानी, मंजू बाला, आशा वर्कर अनिता,सुमन, रेखा, कलावती ,राजरानी व ग्रामीण अजय कुमार, दीपक कुमार,आनंद,राजेश ,सुनील कुमारी,मूर्ति देवी,कमलेश,पूजा,सीमा, कविता,नीलम,कुशम इत्यादि ने भाग लिया।
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