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Monday, May 25, 2020

जल्द प्रदेश को मिलेगी पहली सरकारी जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार मे होगी स्थापित


(मनोज)चंडीगढ़, 25 मई- हरियाणा सरकार ने प्रदेश की पहली सरकारी जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी स्थापित करने का निर्णय लेते हुए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार को यह एजेंसी स्थापित करने की अनुमति प्रदान की है।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि यह एजेंसी हरियाणा जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी (होका) के रूप में जानी जाएगी।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने हरियाणा पंजीकरण एवं विनियमन अधिनियम, 2012 (हरियाणा अधिनियम संख्या नं. 1, 2012) के तहत होका का सोसायटी के रूप में पंजीकरण करवा लिया है और यह सोसायटी एक राज्य सहायता प्राप्त जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण एजेंसी के रूप में काम करेगी। विश्वविद्यालय के कुलपति सोसाइटी के पदेन अध्यक्ष/अध्यक्ष तथा दीनदयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केन्द्र के नियन्त्रण अधिकारी इसके सदस्य सचिव होंगे।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (ए.पी.ई.डी.ए.), केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से होका को मान्यता दिलाने के लिए प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी है। इसके बाद प्रदेश व प्रदेश से बाहर जैविक उत्पादों के विपणन व निर्यात में कोई बाधा नहीं आएगी।
उन्होंने बताया कि हरियाणा जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी व दीनदयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केन्द्र आपस में साथ मिलकर कार्य करेंगे। विश्वविद्यालय अपनी प्रयोगशालाओं को और अधिक मजबूत करने के साथ-साथ परीक्षण सेवाओं को भी बढ़ावा देगा।  इस संस्था के स्थापित होने पर प्रदेश के किसानों को जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण से जुड़ी सभी जानकारियों का समय पर पता चल सकेगा और वे अपने जैविक उत्पाद को उचित मूल्य पर बेच पायेंगे। इसके अतिरिक्त, राज्य के लोगों को शुद्ध जैविक खाद्य उत्पाद प्राप्त होंगे और उनका विश्वास प्रदेश के किसानों में बढ़ेगा।
हरियाणा जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी तथा दीनदयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केन्द्र के उद्देश्यों में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार जैविक खेतों एवं प्रक्रियाओं का प्रमाणन, आमजन के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देना, जैविक खेतों व जैविक उद्योगों के विभिन्न उत्पादों का परीक्षण, जैविक प्रमाणीकरण के लिए जैविक किसानों व उत्पादकों को वैज्ञानिक ढंग से प्रशिक्षित करना व उनकी क्षमता का निर्माण करना, स्वस्थ, शुद्ध एवं पौष्टिक खाद्य उत्पादन तक आमजन की पहुंच सुनिश्चित करना, उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल हों और स्थायी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा मिलने के अलावा उनका शोधन, सत्यापन और संवर्धन करना, जैविक बीज से लेकर जैविक उत्पादों के विपणन के लिए बेहतर और अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित करना शामिल है।
प्रो. के.पी. सिंह ने इसके लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में ऐसी एजेंसी को स्थापित करने की मान्यता देना जैविक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में बहुत ही सराहनीय कदम है। इससे किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि किसान जैविक प्रमाणीकरण की दो प्रणाली अपनाते हैं। इसमें पहली प्रणाली स्व-प्रमाणन प्रणाली (पार्टिसिपेटरी गारंटी स्कीम) होती है जो किसानों की फसल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विपणन के लिए प्रभावी नहीं करती। दूसरी प्रणाली थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन की है, जो ज्यादातर निर्यात के उद्देश्य से अपनायी जाती है।  अब किसानों को कम खर्च में जैविक उत्पादकों की लागत प्रभावी बनाने और पारदर्शी तरीके से तीसरे पक्ष का प्रमाणन प्राप्त करने में मदद मिलेगी और वे अपने उत्पादों को घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रमाणन के साथ बेच सकेंगे।
प्रो. के.पी. सिंह ने बताया कि दीनदयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केन्द्र पर उत्पादित जैविक उत्पादों की रोजाना बिक्री हो जाती है, जिससे पता चलता है कि एक आम ग्राहक भी जैविक उत्पादों की आवश्यकता अनुभव करता है। इसलिए हरियाणा जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी के स्थापित होने पर जैविक खाद्यान्न का उत्पादन सम्भव हो सकेगा और किसानों को अपना उत्पाद बेचने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न फसलों की सिफारिशें भी तैयार करेगा, जिसके लिए अन्य राज्यों की जैविक फसल सिफारिशों का अवलोकन किया जा रहा है। हरियाणा प्रदेश के लिए समग्र जैविक फसल सिफारिशों को किसानों के लिए लागू करेगा। इस तरह जैविक खेती में बीमारी, कीट इत्यादि के सम्बन्ध में आ रही विभिन्न समस्याओं का निवारण हो सकेगा।

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