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Wednesday, June 7, 2023

*रेलवे ट्रैक प्रभावितों के मुआवजे का मामला:पैमाइश में खुली पोल नगर निगम ने बेची थी रेलवे की जमीन, 15 की रजिस्ट्री की, अब 9 गज का दे रहे मुआवजा*

*रेलवे ट्रैक प्रभावितों के मुआवजे का मामला:पैमाइश में खुली पोल नगर निगम ने बेची थी रेलवे की जमीन, 15 की रजिस्ट्री की, अब 9 गज का दे रहे मुआवजा*
पैमाइश में खुली पोल नगर निगम ने बेची थी रेलवे की जमीन, 15 की रजिस्ट्री की, अब 9 गज का दे रहे मुआवजा|
यही रेलवे एलिवेटेड ट्रैक जिसका मुआवजा मिलना है।
अपना हक पाने को संघर्षरत रेलवे एलीवेटेड ट्रैक से प्रभावितों की राह आसान होने वाली नहीं है। क्योंकि मुआवजे के लिए हुई पैमाइश में नया पेंच फंस गया है। मतलब करीब 68 वर्ष पहले नगर निगम ने उनको पैसे लेकर 15 वर्ग गज जमीन की रजिस्ट्री के कागज दिए। लेकिन मकान-दुकान तोड़ने के बाद अब 9 वर्ग गज का ही मुआवजा देने की बात कह रहे हैं। उनका तर्क है कि बाकी 6 वर्ग गज जमीन रेलवे की है। ऐसे में पूरा 15 वर्ग गज का मुआवजा दिया जाना संभव नहीं है।

जबकि इस कटेगरी में आ रहे 30 दुकानदार 15 वर्ग गज का पूरा मुआवजा लेने पर अड़े हैं। बड़ा सवाल ये है कि जब 6 वर्ग गज जमीन रेलवे की है तो उसे निगम ने कैसे बेचा। इधर एसडीएम सदर राकेश कुमार के स्तर से इस बाबत रिपोर्ट सहित फाइल चंडीगढ़ मुख्यालय भेज दी गई है। इसमें इन दुकानदारों को रजिस्ट्री हुई जमीन के मुताबिक मुआवजा दिए जाने को ही उचित बताया गया है।

पूर्व मंत्री ने मकान के बदले मकान और दुकान के बदले दुकान देने का किया था वादा

दो दिन पहले शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी में नगर निगम के अफसरों की टीम के साथ चंडीगढ़ में विचार-विमर्श हुआ। इसमें भू अधिकारी की ओर से बताया गया कि लाभार्थी दुकानदार 15 वर्ग गज की रजिस्ट्री के हिसाब से मुआवजा लेने पर अड़े हुए हैं। इस पर मंथन कर मसौदा तैयार किया गया कि मुआवजा मौके पर मिली जमीन के ही हिसाब से प्रभावित दुकान व मकान अथवा खाली प्लाटधारकों को दिया जाएगा। लेकिन इन लोगों को पावर हाउस चौक पर बनकर तैयार स्वामी विवेकानंद शॉपिंग काम्प्लेक्स में दुकानों के आंवटन के समय रेट में 2 हजार रुपए वर्ग गज की छूट दी जा सकती है।

इधर दुकानदारों ने बताया कि रोहतक-पानीपत रूट पर उनके मकान तोड़ने से पहले ही तत्कालीन सहकारिता मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर ने मकान के बदले मकान और दुकान के बदले दुकान दिए जाने का वायदा किया था। अब सरकार उनकी रजिस्ट्री हुई जमीन के भी रकबे को कम करने पर तुली हुई है। 5 साल से मकान-दुकान टूटने के बाद से गांधी कैंप के प्रभावित दुकानदार मुश्किल झेल रहे हैं। लेकिन अपने साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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