Breaking

Monday, June 5, 2023

*नेशनल फॉरेस्ट पॉलिसी के अनुसार:कुरुक्षेत्र में 4550 हेक्टेयर वनभूमि, 20% बढ़ाना है वन एरिया, महज 3 प्रतिशत वन क्षेत्र, 8 लाख पेड़*

*नेशनल फॉरेस्ट पॉलिसी के अनुसार:कुरुक्षेत्र में 4550 हेक्टेयर वनभूमि, 20% बढ़ाना है वन एरिया, महज 3 प्रतिशत वन क्षेत्र, 8 लाख पेड़*
कुरुक्षेत्र में 4550 हेक्टेयर वनभूमि, 20% बढ़ाना है वन एरिया, महज 3 प्रतिशत वन क्षेत्र, 8 लाख पेड़|
वृक्ष ही जीवन है। वृक्षों से ही सीधे तौर पर पर्यावरण की सेहत जुड़ी है। जब भी पर्यावरण का जिक्र होता है तो सबसे पहले बात वनों की बात होती है। पिछले ढाई दशक से वन क्षेत्र बढ़ाने को लेकर तमाम दावे हो रहे हैं, लेकिन न तो स्टेट पॉलिसी और न ही नेशनल फॉरेस्ट पॉलिसी के तहत निर्धारित वन एरिया बढ़ाने का लक्ष्य हासिल हो पा रहा है। कुरुक्षेत्र में तमाम प्रयासों के बावजूद 3 प्रतिशत ही वन भूमि का लक्ष्य हासिल हो पाया है। जितने पेड़ लगते हैं, उससे कई गुना पेड़ डिवेलपमेंटस प्रोजेक्टस की वजह से कट रहे हैं।

शहर में ही 5 साल में हरियाली घट गई। हालांकि जिले में जरूर पिछले 5 सालों में कुछ वन एरिया बढ़ा है। लक्ष्य न मिलने का सबसे बड़ा कारण जगह की कमी है। हर साल किसानों व आम लोगों को लाखों पेड़ बांटा जाता है, लेकिन उसका आधा भी पनपा हुआ नहीं दिखता। उधर वन विभाग को वन एरिया बढ़ाने को जगह की दिक्कत का सामना करना पड़ता है। 55 हजार की जगह साढ़े 4 हजार वनभूमि कुरुक्षेत्र में नेशनल फॉरेस्ट पॉलिसी के तहत कुल भूमि का एक तिहाई हिस्सा वन एरिया होना चाहिए।

जबकि स्टेट पॉलिसी के मुताबिक करीब 20 प्रतिशत वन एरिया हो, लेकिन इन दोनों मानकों पर कुरुक्षेत्र खरा नहीं। कुरुक्षेत्र में वन विभाग के अधीन समेत कुल 4450 हेक्टेयर वन एरिया है। जबकि कम से कम 55 हजार हेक्टेयर वन एरिया होना चाहिए। इसमें स्योंसर व सौंटी के जंगल शामिल नहीं हैं। 2 जिलों में स्योंसर 12 हजार एकड़ में है, जिसमें से 4 हजार एकड़ कुरुक्षेत्र में है। कुरुक्षेत्र 1538 स्केवयर किमी में है। इसमें से ओपन फॉरेस्ट एरिया 22.15 स्केवयर किमी का है। 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक 2.60 प्रतिशत वन भूमि थी।

अवेयरनेस से कुछ बदली तस्वीर | हालांकि पिछले कुछ सालों से पौधारोपण को लेकर अवेयरनेस आई है। यही वजह है कि 5 साल में वन एरिया बढ़कर 3 प्रतिशत हो गया। हालांकि शहर में हरियाली घटी है। 1600 पेड़ तो पिपली से थर्डगेट के बीच ही काटे गए। वहीं एलिवेटिड ट्रेक के लिए भी सैकड़ों पेड़ भेंट चढ़ गए। ऐसे ही रेलवे रोड नवीनीकरण से 90 से ज्यादा पुराने पेड़ काटने पड़े। झांसा रोड का भी यही हाल हुआ। 55 हेक्टेयर में लगेंगे 60500 पेड़ |

पिछले साल वन विभाग ने खुद करीब 70 हजार पौधे लगाए। इस साल अभी तक करीब 65 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य है। इसमें से 55 हेक्टेयर में करीब 60500 पौधे लगाएगा। जबकि दस आरकेएम के तहत ढाई हजार पौधे विभाग लगाएगा। जिला वन अधिकारी रविंद्र धनखड़ के मुताबिक 8 बड़ी नर्सरियों में 5 लाख पौधे तैयार हैं। 3 लाख पौधे किसानों व आमजन को बांटे जाएंगे। विभाग खुद करीब 65 हजार पौधे लगाएगा। प्लांटेशन को जगह की कमी | वन अधिकारियों का कहना है कि प्लांटेशन के लिए जगह की कमी है। निजी जमीनों पर भी लोग प्लांटेशन कम कर रहे हैं। धान का एरिया होने के कारण खेतों से भी धड़ाधड़ पेड़ कटे। बिगाड़ा पर्यावरण, 33 को देंगे नोटिस | एनजीटी के आदेश हैं कि पेड़ पौधों को पूरी प्रोटेक्शन दी जाए, लेकिन शहर में अधिकांश बड़े पेड़ों के नीचे टाइल्स लगाई जा चुकी हैं। वहीं प्राइवेट स्कूल, कोचिंग सेंटर व विभिन्न संस्थानों ने पेड़ों पर अपने बोर्ड व बैनर लगाए हुए हैं, नियमानुसार ऐसा नहीं कर सकते।

ग्रीन अर्थ एनजीओ के निदेशक नरेश कुमार का कहना है कि उन लोगों ने कई बार मुहिम चला टाइलस हटाई। अब 33 ऐसी संस्थाओं, स्कूल, कॉलेज व सेंटर चिन्हित करे हैं, जिनके बोर्ड लगे हैं। इन सभी को एनजीओ की तरफ से एक सप्ताह में हटाने का नोटिस सोमवार को देंगे। नहीं हटाए तो एनजीटी में केस दायर करेंगे।

जगह की कमीः आदेश दरकिनार

एनजीटी के आदेश हैं कि जिस शहर में पेड़ डिवेलपमेंट को काटे जाएं, वहीं कंप्लसेटरी प्लांटेशन हो, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। जगह की कमी के कारण दूसरे जिलों तक में पौधे लगाने पड़े। कुछ वर्ष पहले कुरुक्षेत्र में काटे पेड़ के बदले पानीपत में पेड़ लगाने का प्रपोजल विभाग ने बनाया। ग्रीन अर्थ एनजीओ एनजीटी में केस दायर किया, तब पेड़ कुरुक्षेत्र में ही लगाए।

No comments:

Post a Comment