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Wednesday, June 7, 2023

*हे सरकार...:9 साल में अस्पतालों और पीएचसी की बिल्डिंग पर 115 करोड़ रुपए खर्च किए, पर जरूरी मशीनें ही नहीं*

*हे सरकार...:9 साल में अस्पतालों और पीएचसी की बिल्डिंग पर 115 करोड़ रुपए खर्च किए, पर जरूरी मशीनें ही नहीं*
9 साल में अस्पतालों और पीएचसी की बिल्डिंग पर 115 करोड़ रुपए खर्च किए, पर जरूरी मशीनें ही नहीं|प
सिविल अस्पताल में प्ले एरिया दाे महीने से बंद।
पिछले 9 साल में जिले में सरकारी अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों की इमारतें बनाने पर 115 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं लेकिन मरीजों का इसका फायदा नहीं मिल रहा। वजह, कहीं जांच में जरूरी मशीनें नहीं हैं और जहां मशीनों हैं वहां उन्हें चलाने वाले नहीं मिल रहे।

पानीपत सिविल अस्पताल की बिल्डिंग पर 44 करोड़, समालखा अस्पताल की बिल्डिंग पर 33 करोड़ और 8 स्वास्थ्य सामुदायिक केंद्रों पर 2-2 करोड़ खर्च हुए। 100 बेड की एमसीएच विंग पर 22 करोड़ रुपए खर्चे जा रहे हैं। काबडी, रेरकलां व पुठर में पीएचसी बनाने के लिए जगह तलाशी जा रही है।

अब सुविधाओं की बात करें तो समालखा अस्पताल की 5 मंजिला बिल्डिंग में 100 बेड की व्यवस्था की है लेकिन रेफरल सेंटर ही बना है। अस्पताल में एक एक्स-रे मशीन है, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट है नहीं। अल्ट्रासाउंड मशीन, कानाें, आंखाें व अन्य तरह की काेई जांच की मशीन है ही नहीं। इसके लिए मरीजों को पानीपत सिविल अस्पताल रेफर किया जाता है। 8 सीएचसी में से किसी में भी एमएलआर नहीं कटती। सभी घायल मरीज सिविल अस्पताल भेजे जाते हैं।

विशेषज्ञ डॉक्टर्स की कमी पहले ही चल रही है। पानीपत सिविल अस्पताल 6 महीने में कायाकल्प और एन्क्वास का सर्टिफिकेट हासिल कर चुका है। लेकिन अस्पताल में मरीजाें के साथ आने वाले बच्चों के लिए प्ले एरिया शुरू नहीं हुआ। सामान खराब हो रहा है। सरकारी एंबुलेंस के लिए पुराने सिविल सर्जन कार्यालय के पास पार्किंग बनाने, महिलाओं के लिए ओपीडी ब्लाॅक में पंजीकरण, दिव्यांगाें के लिए बैठने के बैंच समेत कई योजनाओं पर काम नहीं हुआ। एक्स-रे विभाग सहित कई जगहों पर सीलिंग टूट रही है।

कई मशीनें खराब, प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में
सिविल अस्पताल में हड्डी के ऑपरेशन में इस्तेमाल हाेने वाली सी-आर्म मशीन खराब है, नई सरकार नहीं दे रही है। अब इस मशीन काे देने के लिए रिफाइनरी आगे आई। कानाें की जांच की मशीन ठप पड़ी है। ब्लड बैंक एक डाॅक्टर के न मिल पाने की वजह से शुरू नहीं हो सका है। कैथ लैब, प्राइवेट रूम, ट्रामा सेंटर जैसे बड़े प्रोजेक्ट फाइलाें में ही फंसे हैं। डाॅक्टर्स के लिए बेडमिंटन कोर्ट भी अटका है।

टेंडर प्रक्रिया कैंसिल हो रही है: सीएमओ
मुख्यालय में मशीनाें की डिमांड भेजी जाती है। लेकिन पिछले 4-5 साल से तकनीकी समस्या के चलते टेंडर प्रक्रिया बार-बार कैंसिल हो रही है। इस कारण देरी हो रही है। सीएचसी में एमएलआर काटने के लिखित में आदेश दिए हुए हैं। सीएचसी में डिलीवरी हट शुरू किए गए हैं। ब्लड बैंक के लिए डाॅक्टर की डिमांड भेजी हुई है।

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