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Thursday, June 22, 2023

*रेशम कीट पालन करने के लिए सरकारी नर्सरी या वन विभाग के क्षेत्र से शहतूत का पत्ता ले सकते हैं*

*रेशम कीट पालन करने के लिए सरकारी नर्सरी या वन विभाग के क्षेत्र से शहतूत का पत्ता ले सकते हैं*
रेशम कीट पालन करने के लिए सरकारी नर्सरी या वन विभाग के क्षेत्र से शहतूत का पत्ता ले सकते हैं|
किसानों की आय को बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा किसानों को विभिन्न किस्मों पर अनुदान देने का प्रावधान रखा गया है। जिसमें जिला पंचकूला, मोरनी, अंबाला व यमुनानगर के शिवालिक क्षेत्र में रेशम कीट पालन करने वाले किसानों को 90% अनुदान देने का भी प्रावधान रखा गया है।

राज्य रेशम अधिकारी डॉ दिलबाग सिंह ने मोरनी में जानकारी देते हुए बताया कि रेशम कीट पालन करने वाले किसानों को 1 एकड़ पर 300 पौधे रोपित करने पर 12,600 रुपए, अगले वर्ष उनकी मेंटेनेंस पर 4050 रुपए , 50 डीएफएल कीट पालन हेतु वेयरिंग हाउस साइज 15x10 स्क्वेयर फीट पर 78750 रुपए, शो डीएफएल कीट पालन करने वाले किसान को ओर रिंग हाउस साइज 20x15 स्क्वायर फीट पर 156600 रुपए, 50 डीएलएफ कीट पालन करने पर 36000 रुपए, कीट ग्रह के शुद्धिकरण के लिए 2250 रुपए, किसान नर्सरी पर 135000 रुपए अनुदान दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि किसान अपने खेत के चारों ओर शहतूत का पौधरोपण अधिकतम 2 एकड़ के लिए 600 पौधे रोपित कर सकते हैं । इसी प्रकार किसान 100 डीएफएल कीट पालन करने के लिए दो यूनिट रेयरिंग एप्लायंसेज पर 72000 रुपए अनुदान पा सकते हैं।

इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति के भूमिहीन किसानों को रेरिंग अप्लायंसेज, रेटिंग हाउस, कीट ग्रह के शुद्धिकरण व पांच दिवसीय ट्रेनिंग एक्स्पोजर विजिट करवाने का प्रावधान है । भूमिहीन किसान रेशम कीट पालन करने के लिए राज के नर्सरी अपने नजदीक लगते वन विभाग के क्षेत्र से शहतूत का पत्ता प्राप्त करके इस कार्य को अपनाकर अपनी अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं ।

केंद्रीय रेशम बोर्ड भारत सरकार द्वारा रेशम कीट पालन करने के लिए किसान महिला या पुरुष को पांच दिवसीय ट्रेनिंग व एक्स्पोजर विजिट करवाने पर 100% अनुदान राशि खर्च करने का प्रावधान रखा गया है 
राज्य अधिकारी दिलबाग सिंह द्वारा ये भी बताया गया कि रेशम कीट पालन करने वाले किसानों को किसान नर्सरी वेयरिंग हाउस पर अनुदान प्राप्त कर करने के लिए विभागीय ट्रेनिंग का होना आवश्यक है। कोई भी किसान जिसके पास पूर्ण पौधरोपण रेलिंग एप्लायंसेज उपलब्ध हों तथा दो-तीन वर्षों से रेशम कीट पालन का कार्य कर रहे हो ये लाभ ले सकता है । इसके लिए किसान अपने आवेदन पत्र के साथ राज्य के रेशम अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।

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