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Thursday, June 22, 2023

*लापरवाही:गारंटी पीरियड में पीसीसी सड़क मरम्मत नहीं करा रहा ठेकेदार*

*लापरवाही:गारंटी पीरियड में पीसीसी सड़क मरम्मत नहीं करा रहा ठेकेदार*
हर गांव तक पक्की सड़क पहुंचाने का सरकार का दावा जिले के ग्रामीण कार्य विभाग के लिए लूट का जरिया बन गया है। यही कारण है कि सुपौल-सिंहेश्वर पथ में हरदी दुर्गास्थान से पश्चिम कोरियानी टोला के समीप टीओ-4 से मुसहरी टोला जाने वाली पीसीसी सड़क निर्माण के 4 साल के अंदर ही जगह-जगह सड़क टूट गई है। लोगों का कहना है कि एक साल पूर्व ही सड़क जर्जर हो गई, लेकिन अभी तक संवेदक द्वारा एक बार भी मेंटनेंस का काम नहीं किया गया है। मालूम हो कि ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य प्रमंडल सुपौल द्वारा ग्रामीण टोला सम्पर्क निश्चय योजना के तहत सड़क बनवाने का कार्य किया गया। सड़क के निर्माण के समय संबंधित निर्माण एजेंसी द्वारा गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया।

यही कारण है कि तीन साल के अंदर सड़क जर्जर हो गई है। बड़ी बात यह है कि सड़क के मेंटनेंस की अवधि अभी बाकी है, लेकिन निर्माण एजेंसी द्वारा सड़क की मरम्मती सिर्फ कागजों पर ही कर रहे हैं। कराई जाएगी मरम्मत ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता धनिक लाल मंडल ने पहले तो यह मानने से ही इंकार कर दिया कि मेंटनेंस नहीं किया गया है। फिर सड़क का नाम बताने पर अनभिज्ञता जाहिर करते हुए मरम्मत कराने की बात कही।

34.90 लाख की लागत से बनाई गई थी पीसीसी सड़क, रखरखाव के लिए ठेकेदार को मिले थे पैसे
सुपौल-सिंहेश्वर पथ में हरदी दुर्गास्थान से पश्चिम कोरियानी टोला के समीप टीओ-4 से मुसहरी टोला जाने वाली पीसीसी सड़क का निर्माण कार्य 8 नवंबर 2017 को शुरू की गई थी। निर्माण स्थल पर लगे बोर्ड के अनुसार संवेदक सुगंधा देवी द्वारा 7 नवंबर 2018 में कार्य को पूर्ण किया गया। 0.515 किमी लंबी पीसीसी सड़क का निर्माण 34 लाख 90 हजार 904 रुपये की लागत से कराया गया। उक्त सड़क के पांच साल तक रखरखाव के लिए संवे दक को विभाग द्वारा राशि भी दी गई है।

नियमानुसार वर्ष 7 नवंबर 2023 तक उक्त राेड के रखरखाव की जिम्मेदारी संवेदक की है, लेकिन राेड बनने के तीन साल बाद ही जगह-जगह टूट गई है। विभाग के अधिकारियों ने न तो राेड की मरम्मत कराई और न ही संवेदक के विरुद्ध आजतक कोई कार्रवाई की। इससे तो यही लगता है कि सड़कों की दुर्दशा के लिए अधिकारी भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से ही भ्रष्टाचार हो रहा है। गुणवत्ता जांच के नाम पर सिर्फ दिखावा होता है और मेंटेनेंस के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई की जाती है।

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