पंजाब में जहां ड्रग्स की खूब स्मगलिंग होती, वहीं कच्ची शराब भी बनाकर बेची जाती है। बॉर्डर एरिया में जहां ड्रग्स सप्लाई जाती है, वहां दरिया के किनारों पर शराब बनाकर बेची जाती है। ऐसा ही एक इलाका है ब्यास दरिया, खास कर होशियारपुर जिले के हल्का दसूहा के मांड एरिया में बहने वाला दरिया, इसके बीचों-बीच बना काठना जंगल और इन दोनों के आस-पास का इलाका पिछले काफी लंबे समय से अवैध जहरीली शराब बनाने और बेचने का केंद्र बना हुआ है। यहां से एक ही दिन में लाखों लीटर देसी शराब बनाकर हल्के सहित दूसरे जिलों में सप्लाई करके लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ किया जा रहा है। वहीं यह धंधा छिपकर नहीं, बल्कि सरेआम बिना किसी खौफ के दिन रात चल रहा है।
पुलिस-प्रशासन सब वाकिफ, कोई कुछ नहीं कर पाता
ब्यास दरिया के किनारे अवैध शराब बनाने का धंधा कुछ एक एकड़ नहीं, बल्कि 30 किलोमीटर तक फैला हुआ है, जो दसूहा के गांव बधाइयां से शुरू होकर ब्यास दरिया के साथ साथ टांडा तक जाता है। दिन रात चल रही शराब की फैक्ट्रियों से आस-पास बसे गांवों के लोग भी काफी परेशान हैं। गांवों के लोगों की मानें तो यह शराब तस्कर हथियारों से लैस होकर अपने वाहनों में हमारे गांवों के रास्ते सरेआम शराब की तस्करी करते हैं, लेकिन पुलिस और प्रशासन सचेत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं करते।
बेशक सरकारें पंजाब में शराब माफिया को खत्म करने के वादे करे, दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जिले और हल्के की एक्साइज व पुलिस टीम इन इलाकों में रेड के नाम पर केवल खानापूर्ति करके चली जाती है। रेड टीम के इलाके से बाहर निकलते ही फिर से कारोबार शुरू हो जाता है। वहीं एक्साइज विभाग की मानें तो दरिया पार करके जंगलों में शराब माफिया द्वारा लगाई गई भटि्ठयों, हजारों लीटर शराब बनाने के लिए तैयार पानी को नष्ट किया जाता है। पिछले 6 महीने के अंदर 7 लाख लीटर के करीब शराब और लाहन को नष्ट किया गया है। 90 के करीब शराब माफिया के लोगों को नामजद करके मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।
खेतों तक भी अकेले जाना मुश्किल, दहशत के साये में ग्रामीण
ब्यास दरिया से सटे गांव बधाइयां के सरपंच रमेश सिंह व ग्रामीण विजय, प्रकाश सिंह, परमजीत सिंह, अवतार सिंह, नरेंद्र सिंह सहित अन्य लोगों का कहना है कि गांव के आस-पास शराब तस्करों का जमावड़ा रहता। हमारे लिए खेतों तक भी जाना मुश्किल है। महिलाएं-बच्चे दहशत के साये में रहते। शराब माफिया अक्सर शराब की कैनियां हमारे खेतों में छोड़ जाते और खरीदार को लोकेशन बताकर वहां से उठकर ले जाने को कहते। तस्करों को खेतों में आने से रोकने पर वे गालियां और मारने की धमकियां देते।
शराब तस्करों पर नकेल कस पाना बहुत मुश्किल
वहीं पुलिस और एक्साइज दोनों विभागों की मानें तो दरिया और जंगल के आस-पास जहां शराब बनाई जाती, वहां पर रेड करना बहुत ही मुश्किल होता है, जिसका फायदा शराब माफिया उठा रहे हैं। दरअसल, ब्यास दरिया के बीच में टापू के आकार का काठना जंगल है, जो 200 से 300 एकड़ में फैला है। जंगल के दोनों ओर दरिया बहता है। जंगल में जाने के लिए कश्तियों का सहारा लेना पड़ता है। जब तक टीमें कश्तियों से जंगल तक पहुंचतीं हैं, तब तक शराब माफिया के लोग गुरदासपुर की ओर भाग निकलते हैं।
गांव मोजपुर मुख्य केंद्र, प्रतिदिन बिकता गुड़ का ट्रक
बताया जा रहा है कि 2200 से 2500 की आबादी वाला गांव मोजपुर अवैध शराब बनाने और बेचने का मुख्य केंद्र बना हुआ है। ब्यास दरिया से सटा होने के कारण इस गांव के लगभग 80 प्रतिशत लोग इसी धंधे से जुड़े हुए हैं। सूत्रों की मानें तो इस गांव में शराब बनाने के लिए रोजाना एक गुड़ का ट्रक शराब तस्करों को बेचा जा रहा है।
20 से 70 रुपए प्रति लीटर बिक रही जहरीली शराब
शराब तस्कर रोज ब्यास दरिया को पार करके शाम को निर्धारित मांड एरिया में अपनी जगह पर आकर बैठते हैं। मंडी की तरह दुकानें सजाई जाती हैं। शराब को प्लास्टिक की थैलियों में भरकर 20 से 70 रुपए में बेचा जाता है। वहीं अगर कोई थोक में 20 लीटर से अधिक लेता है तो उसे 50 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से शराब दी जाती है। बिना किसी खौफ के निर्धारित जगहों पर रोजाना ही आस-पास के इलाकों सहित अन्य एरिया के तस्कर एकत्रित होते हैं।
शराब बनाने के लिए गंदा पानी ओर यूरिया का इस्तेमाल
ब्यास दरिया के किनारे लगी शराब बनाने की भटि्ठयों में ब्यास दरिया का गंदा पानी डाला जाता है। शराब का नशा तेज और ज्यादा करने लिए तस्करों द्वारा जहां पहले गुड़, शीरा का प्रयोग किया जा रहा था, वहीं अब वे यूरिया और बेसरमबेल की पत्तियों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। कहीं-कहीं तो अब शराब को अधिक नशीली बनाने के लिए इसमें ऑक्सिटोसिन टीके का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। इन सभी चीजों के मिलने से शराब जहरीली भी हो जाती है।
महिलाओं और बच्चों की इस गोरखधंधे में अहम भूमिका
पंजाब में शराब माफिया के मजबूत होने का एक कारण इस धंधे में शामिल महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। सुबह महिलाएं घर का काम खत्म करके बच्चों सहित जंगल में आकर अपने पतियों का काम में हाथ बंटा रही हैं। सारा दिन महिलाएं अपने बच्चों के साथ आग जलाने हेतु जंगल से लकड़ियां लाने व ब्यास दरिया से पानी निकलने का काम कर रही हैं। इस काम में बच्चे अहम भूमिका निभाते। वे जंगल में घूम कर लकड़ियां इकट्ठी करते लाते हैं।
एक्साइज विभाग ETO बोले, रेड मारना ही बहुत मुश्किल
होशियारपुर जिले के एक्साइज विभाग के ETO शेखर गर्ग ने बताया कि दरिया और जंगल के उस इलाके में रेड मारना ही बहुत मुश्किल काम है। फिर भी हमारे डिपार्टमेंट द्वारा पुलिस के सहयोग से इन इलाकों में लगातार रेड करके भटि्ठयां और लाहन समेत अन्य सामान नष्ट किया जा रहा है। तस्करों को भी पकड़ कर एक्साइज एक्ट के तहत केस दर्ज किए जा रहे हैं, लेकिन जेल से बाहर आते ही उनके द्वारा फिर से यह धंधा शुरू कर दिया जाता है। कई तस्करों पर 10 से ज्यादा केस दर्ज, फिर भी वे बाज नहीं आते।
DIG बोले- मामला ध्यान में आ गया, जल्द कार्रवाई करेंगे
होशियारपुर के दसूहा हल्के के मांड एरिया में अवैध रूप से शराब बनाने और बेचने के चल रहे कारोबार को लेकर जब होशियारपुर-जालंधर के जॉइंट DIG स्वप्न शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला ध्यान में आ गया है। जल्द ही कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। हालांकि यह सच है कि उस एरिया में रेड मारने में दिक्कत आती है। उस एरिया तक पहुंचना सबसे बड़ा चैलेंज है, फिर भी हम रेड मारते हैं और हर बार शराब-लाहन पकड़ी जाती है, लेकिन जेल से छूटते ही लोग धंधा दोबारा शुरू कर देते हैं।
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