लक्जरी कारों का जिक्र फेरारी के बिना अधूरा है। इटली का यह लक्जरी ब्रांड अपनी स्पोर्ट्स कारों के लिए आज दुनियाभर में मशहूर है। इसकी स्पीड और इंजन की एक अलग आवाज इसकी पहचान है। इटली, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी इसके सबसे बड़े मार्केट हैं।
यूरोप, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका को मिलाकर फेरारी हर साल 5 हजार से ज्यादा कारें बेचती है। फॉर्मूला वन रेसिंग में सबसे ज्यादा विनर ड्राइवर फेरारी के ही रहे हैं। अब तक 39 फेरारी के ड्राइवर विजता रह चुके हैं।
आज अमेरिका, भारत, दक्षिण अफ्रीका, यूनाइटेड अरब अमिरेट्स, सिंगापुर, सऊदी अरब, यूक्रेन, हांगकांग जैसे देशों में इसके स्टोर है। एक स्टार्टअप के रूप में शुरू हुई कंपनी का आज मार्केट कैप करीब 4.45 लाख करोड़ रुपए है। दुनिया की 25 सबसे तेज कारों में से फेरारी 16 वें नंबर पर आती है।
शुरुआत: 1947 में एंजो फेरारी ने लॉन्च की 125 S नाम से पहली कार
फेरारी की कहानी शुरू होती है 1939 से। ये वही साल था जब दूसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ था। कंपनी को शुरू करने वाले शख्स थे एंजो फेरारी। 1898 में पैदा हुए एंजो के परिवार का कारपेंट्री का बिजनेस था।
पर 1916 में इटैलियन फ्लू पेनडेमिक में उनके पिता अल्फ्रेडो और भाई अल्फ्रेडो जूनियर फेरारी की मौत हो गई। व्यवसाय खत्म हो गया। इस तरह परिवार की पूरी जिम्मेदारी एंजो पर आ गई। नौकरी की तलाश में एंजो ने पहले विश्व युद्ध में आर्मी जॉइन कर ली।
और इटैलियन आर्मी के थर्ड माउंटेन आर्टिलरी रेजिमेंटका हिस्सा बने। 1918 में एंजो खुद भी फ्लू पेनडेमिक की चपेट में आ गए। दूसरी तरफ इसी समय युद्ध खत्म हुआ और उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। नई नौकरी की तलाश में एंजो ने CMN नाम की एक कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में टेस्ट ड्राइवर का काम करने लगे।
वहां उनके मालिक ने उनकी ड्राइविंग स्किल्स को देखते हुए उन्हें कार रेस में ट्राई करने को कहा। इस तरह एंजो रेसिंग ड्राइवर बन गए। 1920 से 1939 के बीच उन्होंने कई ग्रैंड प्रिक्स रेस में कंपीट किया।
1932 में एंजो रेसिंग से इतर अल्फा रेस कार्स नाम की फ्रैक्टी बनाने और मैनेज करने में जुट गए। उन्होंने एक रेसिंग टीम भी बनाई। इसी समय से एंजो की बनाई गाड़ियों पर उछलते हुए घोड़े दिखाई देने लगे थे।
1939 में एंजो ने अल्फा के मैनेजिंग डायरेक्टर से अनबन होने पर कंपनी छोड़ दी। और ऑटो एवियो कस्टरुजिओनी नाम से एक कंपनी शुरू किया। ये दूसरी गाड़ियों के लिए उनके पार्ट्स बनाती थी।
इसी बीच दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया और एंजो को इटली के फासिस्ट मोसुलिनी के दबाव में हथियार बनाने पड़े। यही वजह रही कि यूएस एयरफोर्स ने मोडेना में बनी इस फैक्ट्री को बम से उड़ा दिया। तब एंजो मोडेना से मैरानेला आ गए और दूसरी फैक्ट्री लगाई।
1940 में कंपनी ने एक कार लॉन्च की। इसके सात साल बाद 1947 में एंजो ने फेरारी एसपीए नाम से एक कंपनी लॉन्च की। इस कंपनी ने जो पहली कार लॉन्च की वो थी 125 S यानी 125 स्पोर्ट्स। कंपनी की पहली फैक्ट्री बनी इटली के मरानेल्लो में।
लोगो की कहानी: दूसरे विश्व युद्ध के एक फाइटर पायलट की देन है फेरारी का लोगो
फेरारी के चमचमाते लोगों को कौन नहीं पहचानता। आगे के दोनों पैर हवा में उठाए एक घोड़ा और बैकग्राउंड में पीला रंग। इस लोगों के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। दरअसल पहले विश्व युद्ध के समय इटली के फाइटर प्लेन पायलट फांसेस्को बाराक्का अपने हर प्लेन पर यह निशान बनाते थे।
1923 में एंजो फेरारी ने सावियो सर्किट में जीत हासिल की और उन्हें पहले विश्व युद्ध में शहीद हुए फांसेस्को के माता-पिता काउंट एनरिको बराका और काउंटेस पाओलिना से मिलने का मौका दिया गया।
एक दिन फांसेस्को के पिता काउंटेस ने मजाक में एंजो से कहा कि तुम मेरे बेटे के उछलते घोड़ों को अपनी कारों में बिठा लो। फेरारी को ये बात पसंद आ गई। और जब उन्होंने अपनी कार बनाई तो उस पर फांसेस्को के उछलते घोड़े को जगह दी।
फेरारी की कार खरीदने के लिए भेजना पड़ता है एप्लीकेशन
फेरारी कार खरीदने के लिए कार के रिलीज डेट से एक साल पहले एप्लीकेशन लगाना पड़ता है। दुनियाभर से अमीर लोगों के आए इन आवेदनों की गहनता से जांच की जाती है। कंपनी कई पावरफुल और अमीर लोगों का एप्लीकेशन रिजेक्ट भी कर देती है।
फेरारी के पास ऐसे करीब 200 लोगों का लिस्ट है जिन्हें नई कारों के लॉन्च के समय तवज्जों दी जाती है कंपनी अपने क्लाइंट्स के डिमांड के मुताबिक हर कार में स्पेसिफिकेशन जोड़ती है। क्लाइंट्स को सीधे कार के डिजाइनर्स से जोड़ देती है।
और वो उनकी मांगों के अनुसार कार को डिजाइन करते हैं। कंपनी की फिलॉसफी को लेकर एक बार एंजो फेरारी ने कहा था कि मेरी कार की मोटर्स में आत्मा होती है। जो भी फेरारी को चलाता है वो बता सकता है कि हमारी स्पेशालिटी एक्सपीरियंस है।
चुनौतियां: 1950 से 1970 के बीच 32 ड्राइवरों की मौत ने फेरारी की सेफ्टी फीचर्स पर सवाल खड़े कर दिए
1950 से 1970 के दशक के बीच 32 फेरारी ड्राइवर्स की मौत हुई। इन मौतों की वजह से फरारी की रेसिंग कार में सेफ्टी फीचर्स को लेकर सवाल उठने लगे। आखिरकार 1970 में फरारी की फॉर्मूला वन रेसिंग कार में कॉकपिट को खोलकर बाहर निकलने की सुविधा बनाई गई।
इससे किसी दुर्घटना के समय ड्राइवर बाहर निकल सकते थे। 1980 में कारों में और सुधार करते हुए बाहर की बॉडी एल्युमिनियम की जगह कार्बन फाइबर की बनाई जाने लगी। इस तरह 90 के दशक से लेकर अब तक रेसिंग के लिहाज से फरारी अपनी कारों में सेफ्टी फीचर्स बढ़ाती रहती है।
विवाद: फोर्ड से लेकर विवाद तो लेम्बोर्गिनी कंपनी के बनने की वजह है फेरारी
इटली के ही रहने वाले फेरुचियो को स्पोर्ट्स कारें पसंद थीं। उनका अपना ट्रैक्टर का बिजनेस था। साथ ही उन्होंने अपने लिए कई स्पोर्ट्स कारें खरीदी। उनमें से एक थी ‘Ferrari 250 GT Coupe’। यह बात 1958 की है। फेरुचियो को अपनी फेरारी में कई कमियां दिखीं। यह बात बताने वो फेरारी के दफ्तर पहुंचे।
वहां फाउंडर एंजो फेरारी को जब उन्होंने यह बात बताई तो एंजो ने तंज कसते हुए कहा कि खामी कार में नहीं शायद इसे चलाने वाले में है। तुम अपना ट्रैक्टर का काम देखो। ये बात फरुचियो को अपमान लगी।
इसका बदला लेने के लिए उन्होंने स्पोर्ट्स कार को मार्केट में उतारने का सोचा। इस तरह लेम्बोर्गिनी ने 1963 में अपनी पहली स्पोर्ट्स कार 350GTV लॉन्च की। फेरारी की फेस्तिहत में दूसरा विवाद फोर्ड के साथ दर्ज है। साल था 1963, फेरारी रेसिंग कारों के सेगमेंट पर कब्जा जमाए बैठी थी।
लेकिन इसी समय अमेरिका की ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड की नजर इस सेगमेंट पर लगी हुई थी। दरअसल ये वो समय था जब अमेरिका दूसरे विश्व युद्ध के मंदी से निकल चुका था। एक पूरी नई पीढ़ी लक्जरी चीजों पर खर्च करने को आतुर थी। इसमें से एक रेसिंग कार्स भी थीं।
तब अमेरिका के ऑटोमोबाइल सेगमेंट में लीड कर रही फोर्ड ने इस सेगमेंट में उतरने का इरादा बनाया।दूसरी तरफ ये वही समय था जब इटली की कंपनी फेरारी रेसिंग कार के सेगमेंट में लीड कर रही थी। पर फोर्ड का इरादा फेरारी से कंपीट करने का नहीं था बल्कि उसे टेकओवर कर लेने का था।
उस समय फोर्ड के मालिक हेनरी फोर्ड 2 ने साफ कर दिया था कि वो रेसिंग कार बनाएंगे नहीं बल्कि रेसिंग कार कंपनी को टेकओवर करेंगे। और यहीं से फेरारी को टेकओवर करने का आइडिया आया।
दोनों कंपनियों के बीच कई महीनों की नेगोशिएसन के बाद 1963 की गर्मियों में ऐसा लगा कि एग्रीमेंट हो जाएगा। लेकिन इन सब पर तब ब्रेक लग गया जब एंजो ने कॉन्ट्रैक्ट में पढ़ा कि फेरारी की रेसिंग टीम और उसका बजट भी फोर्ड कंट्रोल करेगी।
एंजो को यह किसी कीमत पर मंजूर नहीं था। वो कंपनी के मोटर स्पोर्ट्स से जुड़े सारे अधिकार अपने पास रखना चाहते थे। कॉन्ट्रैक्ट में इस क्लॉज को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि एंजो ने फोर्ड के मालिक की बुरा भला कह डाला। कहा जाता है कि इसी गुस्से में एंजो ने फेरारी का ज्यादातर स्टेक इटली की ही एक ऑटोमोबाइल कंपनी FIAT को बेच दिया।
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