बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने 15 जून के बाद आगामी रणनीति बताने के लिए कहा था।
भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को नाबालिग पहलवान के यौन शोषण केस में क्लीन चिट मिल गई है। गुरुवार को दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में नाबालिग के यौन शोषण केस की 550 पन्नों की क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। वहीं 6 बालिग पहलवानों के यौन शोषण केस में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में करीब 1000 पन्नों की चार्जशीट पेश की गई। आरोपियों में असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर का नाम भी है।
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
अब ऐसे में पहलवानों का क्या रूख रहेगा, इस पर हर किसी की नजर बनी हुई है। क्योंकि पहलवानों ने 15 जून को चार्जशीट पेश होने के बाद ही अपनी आगामी रणनीति की घोषणा करने के बारे में कहा था। हालांकि पहलवानों ने 16 या 17 जून को अपनी रणनीति बताने की बात कही थी। ऐसे में अब पहलवानों की कॉल का खाप पंचायतों को भी इंतजार है।
बता दें कि चार्जशीट में पहलवानों के मजिस्ट्रेट के सामने बयान को अहम आधार माना गया है। बृजभूषण के खिलाफ करीब 7 गवाह मिले हैं। वहीं यौन शोषण की कथित जगह पर उनकी मौजूदगी के भी सबूत मिले हैं। दरअसल, 7 महिला पहलवानों ने 21 अप्रैल को दिल्ली पुलिस में बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 28 अप्रैल को 2 मामले दर्ज किए थे। पहला मामला 6 बालिग महिला पहलवानों की शिकायत पर था, जबकि एक केस नाबालिग की शिकायत पर दर्ज किया गया था।
नाबालिग पहलवान ने बयान बदला, इसलिए पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दी
नाबालिग पहलवान के केस में दिल्ली पुलिस ने कैंसिलेशन रिपोर्ट में कहा, 'जांच में यौन शोषण के कोई सबूत नहीं मिले हैं। इसलिए इस केस को बंद कर रहे हैं।' दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता सुमन नलवा ने बताया कि POCSO मामले में हमने शिकायतकर्ता यानी पीड़ित के पिता और स्वयं पीड़ित के बयानों के आधार पर मामले को रद्द करने के लिए कोर्ट से अपील की है।
नाबालिग पहलवान ने बृजभूषण पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे, लेकिन बाद में बयान बदल दिए। नाबालिग पहलवान ने कहा कि उसका यौन शोषण नहीं हुआ, बृजभूषण ने कुश्ती ट्रायल में भेदभाव किया था।
नाबालिग पहलवान के दो बार कोर्ट में बयान दर्ज किए गए। इस मामले में अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी। कोर्ट तय करेगा कि बृजभूषण के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में केस चलेगा या नहीं।
बालिग पहलवानों केस की चार्जशीट की 5 अहम बातें
1. पुलिस ने पहलवानों के CrPC की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के आगे दिए बयान को चार्जशीट का प्रमुख आधार माना है।
2. बालिग पहलवानों ने जिस जगह पर उनके साथ यौन शोषण के आरोप लगाए हैं, वहां आरोपियों की मौजूदगी के सबूत मिले हैं।
3. पहलवानों ने पुलिस को जांच के दौरान सबूत के तौर पर 5 फोटो सौंपी हैं। इसके अलावा और भी डिजिटल सबूत दिए गए, उन्हें पेन ड्राइव में कोर्ट को सौंपा गया है।
4. चार्जशीट में करीब 25 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं। 7 गवाहों ने पीड़ित बालिग पहलवानों के आरोपों का सपोर्ट किया है। बाकी आरोपियों के पक्ष में बोले हैं। ट्रायल के दौरान इनका क्रॉस एग्जामिनेशन होगा।
5. पुलिस ने कजाकिस्तान, मंगोलिया और इंडोनेशिया के कुश्ती संघों से उन जगहों की CCTV फुटेज और फोटो देने को कहा है, जहां महिला पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। अभी ये नहीं मिले हैं। इनके मिलने पर पुलिस केस में सप्लीमेंट्री चालान पेश करेगी।
जानिए... मामले से जुड़े पक्ष आज क्या-क्या कर सकते हैं...
पुलिस: कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी है। चार्जशीट के हजार पन्नों में जांच रिपोर्ट, सबूत और किन धाराओं में केस चलेगा, उस पर बात होगी। बृजभूषण के खिलाफ लगा पॉक्सो एक्ट हट सकता है।
गृह मंत्रालय: 28 मई को पहलवानों और उनके समर्थकों पर दर्ज केस वापसी को लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है।
खेल मंत्रालय: भारतीय कुश्ती संघ की आंतरिक शिकायत समिति बनाकर किसी महिला को इसका अध्यक्ष बनाने की घोषणा हो सकती है। इसी कमेटी के सामने नाबालिग पहलवान से भेदभाव की शिकायत भेजी जा सकती है। खेल मंत्री की घोषणा के बाद चुनाव का शेड्यूल जारी हो चुका है। दो प्रशिक्षकों को एडहॉक कमेटी में शामिल कर लिया गया है।
पहलवान: पहलवानों की संघर्ष कमेटी के अनुसार, जांच रिपोर्ट उपयुक्त न मिलने पर आज शाम तक आंदोलन आगे बढ़ाने का ऐलान करेंगे। जगह और तारीख शाम को घोषित कर सकते हैं। जांच रिपोर्ट से संतुष्ट हुए तो सरकार से एशियाई खेलों के ट्रायल से संबंधित अपील कर सकते हैं। दरअसल, एडहॉक कमेटी की ओर से ट्रायल 20 से 25 जून तक कराने की संभावना है। पहलवान चाहते हैं कि ट्रायल के विजेता के साथ उनके नाम भी शामिल करें और अगस्त के पहले सप्ताह में ट्रायल के विजेताओं से उनका मुकाबला कराएं।
मुश्किल होने वाला आगे का सफर
पूरे मामले में एक पेंच और है. इस बात से भी कोई इंकार नहीं कर सकता है कि इन तीनों ही पहलवानों का करियर भी अब ढलान की तरफ है. इन सभी की उम्र 28 से 30 के करीब है. इस पूरे विवाद का असर ये पड़ेगा कि पहले अगर इन तीनों को इनके अनुभव, रिकॉर्ड्स और साख से थोड़ी बहुत छूट मिल भी जाती थी, लेकिन अब इन्हें तय नियम में छटांक भर भी रिआयत नहीं मिलने वाली. कुल मिलाकर अब आगे का रास्ता इन तीनों ही पहलवानों के लिए बहुत मुश्किल भरा होने वाला है.
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