प्रदीप गिल की पदयात्रा: जींद की सड़कों पर गूंजा जनता का आक्रोश, बदलाव के लिए तैयार
प्रदीप गिल की पदयात्रा: सरकार की नाकामी का खुलासा, जींद की जनता ने दिखाया समर्थन
जींद : हरियाणा मांगे हिसाब कार्यक्रम के दूसरे चरण के सातवें दिन, प्रदीप गिल ने भिवानी रोड बाईपास से अपनी पदयात्रा की शुरुआत की। इस यात्रा को जींद की जनता का जबरदस्त समर्थन मिला, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और जेसीबी से फूलों की वर्षा कर उनका स्वागत किया। जनता का उत्साह देखकर साफ जाहिर हुआ कि लोगों में सरकार के प्रति गहरा आक्रोश है और वे बदलाव के लिए तैयार हैं। यह पदयात्रा भिवानी रोड बाईपास से शुरू होकर रोहतक रोड बाईपास, अंडरपास, पुराना बस स्टैंड, रानी तालाब, एस.डी. स्कूल, सफीदों गेट, कुंदन सिनेमा, परशुराम चौक, शहीद स्मारक से होकर अंत में अर्बन स्टेट 1289 के प्रदीप गिल के कार्यालय में पहुंची।
इस पदयात्रा का उद्देश्य जनता की समस्याओं को सामने लाना और कांग्रेस के लिए समर्थन जुटाना है। प्रदीप गिल ने जींद की कई प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डाला, जिनमें सड़कों और गलियों की खस्ताहाल स्थिति, जल निकासी की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा, और बेरोजगारी जैसे मुद्दे शामिल हैं। उन्होंने सरकार पर इन मुद्दों को न सुलझाने का आरोप लगाया, जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदीप गिल ने कहा कि पोर्टल व्यवस्था के कारण बुजुर्गों की पेंशन काटी जा रही है, जो कि चौधरी देवीलाल द्वारा शुरू की गई थी। उन्होंने कहा कि सरकार 5 किलो राशन देने की बात करती है, लेकिन इस राशन से आम आदमी का पेट नहीं भरता, क्योंकि दाल और सरसों के तेल के दाम आसमान छू रहे हैं और पेट्रोल भी ₹100 प्रति लीटर से अधिक हो गया है। इससे मजदूर वर्ग की आजीविका पर बुरा असर पड़ रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि अग्निवीर योजना के कारण युवाओं ने सेना में भर्ती की तैयारी छोड़ दी है, और हरियाणा कौशल के तहत दी जा रही टेंपरेरी नौकरियों से युवा निराश हैं। सरकारी कर्मचारियों के साथ उनके अधिकारों की मांग करने पर लाठीचार्ज किया जा रहा है। पिछले 10 वर्षों में भाजपा सरकार ने कुशासन किया है, जो जनता के लिए कष्टदायक साबित हुआ है।अंत में, प्रदीप गिल ने वादा किया कि अगर जनता उन्हें विधायक के रूप में चुनती है, तो वे अपनी सारी तनख्वा शिक्षा के क्षेत्र में लगा देंगे। उनका लक्ष्य है कि हर बच्चा अच्छी शिक्षा प्राप्त करे और कोई भी आर्थिक तंगी के कारण अपनी पढ़ाई से वंचित न रहे। वे गांवों में स्कूलों और शिक्षण संस्थानों की बेहतरी के लिए काम करेंगे, ताकि बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो और वे अपने सपनों को पूरा कर सकें।
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