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Monday, January 6, 2025

डल्लेवाल ने किसानों से की अपील, केंद्र सरकार के खिलाफ 10 जनवरी को होगा बड़ा प्रदर्शन

डल्लेवाल ने किसानों से की अपील, केंद्र सरकार के खिलाफ 10 जनवरी को होगा बड़ा प्रदर्शन
Haryana Bulletin News: शनिवार को पंजाब के खनौरी  बॉर्डर पर किसानों का एक भव्य महापंचायत आयोजित किया गया, जिसमें पंजाब के कोने-कोने से हजारों किसान जुटे। यह महापंचायत विशेष रूप से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल  के नेतृत्व में आयोजित की गई थी, जिन्होंने 40 दिन की भूख हड़ताल के बाद मंच से किसानों को संबोधित किया। इस महापंचायत में लगभग एक लाख लोग शामिल हुए, जो डल्लेवाल  का समर्थन करने पहुंचे थे।
जब डल्लेवाल  मंच पर पहुंचे, तो किसानों ने उनका जोरदार स्वागत किया और ‘सत श्री अकाल’ के नारे लगाए। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उन्हें इस आंदोलन से हटाने के लिए कई बार कोशिश की, लेकिन युवाओं की कड़ी मेहनत के कारण वे अपने प्रयासों में सफल नहीं हो सके। उन्होंने किसानों से अपील की कि हर गांव से एक ट्राली युवाओं की भेजी जाए, ताकि सरकारों के किसी भी हमले से बचा जा सके और आंदोलन की ताकत बढ़ाई जा सके।
*किसानों के समर्थन से आंदोलन को मिली मजबूती*

डल्लेवाल ने किसानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस तरह के समर्थन से यह आंदोलन और मजबूत होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि किसानों का समर्थन ऐसे ही बना रहा, तो चाहे सरकार जितनी भी कोशिशें करे, किसानों की जीत निश्चित होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस आंदोलन में शामिल होने के दौरान कई किसानों के सड़क हादसों में घायल होने की जानकारी मिली है। डल्लेवाल  ने भगवान से प्रार्थना की कि किसी की जान न जाए और सभी किसान अपने घरों में सुरक्षित लौटें।
*सरवन सिंह पंधेर की अपील: बॉर्डर पर किसानों की संख्या बनाए रखें*

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने इस अवसर पर अपील की कि केंद्र और पंजाब सरकार कभी भी बॉर्डर की ओर बढ़ सकती है, इसलिए किसानों से आग्रह किया गया कि वे बॉर्डर पर अपनी संख्या घटने न दें। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि डल्लेवाल  को हटाने की कोशिश की गई, तो सरकार को किसानों के शवों के ऊपर से गुजरना होगा।
*किसान आत्महत्याओं पर गहरी चिंता*

डल्लेवाल ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बताया कि देशभर में सात लाख से ज्यादा किसानों ने कर्ज के बोझ के कारण आत्महत्या की है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन इसलिए शुरू किया गया है ताकि भविष्य में कोई भी किसान आत्महत्या न करे। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को पानी की कमी के कारण निशाना बनाया जा रहा है, और यदि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी मिलती है, तो यह समस्या भी हल हो सकती है।
*अन्य राज्यों के किसानों को जोड़ने की अपील*

डल्लेवाल ने इस आंदोलन के पहले चरण का भी जिक्र किया, जब अन्य राज्यों के किसान नेताओं ने शिकायत की थी कि पंजाब ने आंदोलन को बीच में छोड़ दिया और वापस चला गया। उन्होंने कहा कि इसी शिकायत को दूर करने के लिए किसान आंदोलन 2.0 शुरू किया गया है, ताकि अन्य राज्यों के किसान भी इस संघर्ष में साथ आ सकें। उनका मानना है कि इस आंदोलन की सफलता के लिए देशभर के किसानों का समर्थन जरूरी है।
*डल्लेवाल की सेहत को लेकर चिंता*

जब डल्लेवाल  मंच से अपने संबोधन में व्यस्त थे, तो कुछ अन्य किसान नेताओं ने उन्हें ज्यादा बोलने से रोकने की कोशिश की। हालांकि, डल्लेवाल  ने उनकी बातों को नजरअंदाज किया और भाषण जारी रखा। दरअसल, बहुत ठंड और मंच पर चढ़ने के कारण डल्लेवाल  की तबियत बिगड़ रही थी और उनका रक्तचाप भी घट रहा था। इस बीच, डल्लेवाल  का एक इकोकार्डियोग्राम (ECG) भी लिया गया था, जिसकी रिपोर्ट सामान्य बताई जा रही है।
*केंद्र सरकार के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन*

महापंचायत में किसान नेता काका सिंह कोटरा ने घोषणा की कि दोनों किसान समूहों ने यह निर्णय लिया है कि 10 जनवरी को केंद्र सरकार के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किए जाएंगे। इन प्रदर्शनों में मोदी सरकार के खिलाफ पुतले फूंके जाएंगे। यह प्रदर्शन हर गांव, कस्बे और शहर में होंगे। इस दौरान किसानों की प्रमुख मांगें, जैसे कर्ज माफी और MSP की कानूनी गारंटी, उठाई जाएंगी।
*किसान आंदोलन की भविष्यवाणी*

इस महापंचायत ने यह साफ कर दिया कि किसानों का आंदोलन अब और भी मजबूत होगा और सरकार के खिलाफ उनकी लड़ाई निरंतर जारी रहेगी। किसानों के नेता इस आंदोलन को सिर्फ अपने राज्य या क्षेत्र तक सीमित नहीं रखना चाहते, बल्कि वे चाहते हैं कि यह आंदोलन देशभर में फैल जाए और किसान एकजुट होकर अपने हक के लिए आवाज उठाएं। डल्लेवाल  और उनके सहयोगियों का मानना है कि जब तक किसानों को उनका अधिकार नहीं मिलता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
खनौरी  बॉर्डर पर आयोजित महापंचायत ने यह साबित कर दिया कि किसान आंदोलन अब और भी ताकतवर हो चुका है। डल्लेवाल  और अन्य किसान नेताओं ने अपने भाषणों में यह स्पष्ट कर दिया कि यदि सरकारें किसानों की मांगों को नजरअंदाज करती हैं, तो उनका आंदोलन और भी उग्र हो सकता है। इस महापंचायत ने यह संदेश दिया है कि किसान अपनी जमीन, अपनी आजीविका और अपनी पहचान की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
आने वाले दिनों में किसान आंदोलन के नए चरण शुरू होंगे, जिसमें देशभर के किसानों की एकजुटता की अहम भूमिका होगी। सरकार को इस आंदोलन की ताकत को समझते हुए किसानों की मांगों पर गंभीरता से विचार करना होगा, ताकि किसी भी प्रकार की हिंसा या अनहोनी से बचा जा सके।

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