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Wednesday, April 22, 2020

ये महिलाएं नहीं होंगी विधवा पेंशन की हकदार, जानिये हाई कोर्ट ने क्या सुनाया फैसला ?


पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कैथल की एक महिला की याचिका को खारिज करते हुए एक अहम फैसला सुनाया है। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि पुनर्विवाह व करेवा दोनों अलग-अलग हैं। करेवा वह होता है जब विधवा महिला को बग़ैर शादी के अपने देवर या जेठ की पत्नी बनाकर बैठा दिया जाता है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट कर दिया कि विधवा महिला जिसने पुनर्विवाह या करेवा कर लिया है, विधवा के रूप में मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन की हकदार नहीं है। हाई कोर्ट ने यह आदेश कैथल की एक महिला की याचिका को खारिज करते हुए दिया।
दरअसल याचिकाकर्ता महिला ने अपनी याचिका में उसकी विधवा पेंशन दोबारा शुरू करने और सरकार के उस आदेश पर रोक की मांग की थी, जिसमें सरकार ने उसे विधवा पेंशन के नाम पर ली पेंशन राशि रिकवरी के आदेश जारी किए थे।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उसके पति की मृत्यु अप्रैल 2007 में हो गयी थी। उसका पति मजदूर था और वह एक गरीब महिला है। उसके पति की मौत के बाद विधवा पेंशन योजना के तहत उसे पेंशन मिलनी शुरू हुई थी।
महिला के वकील ने कोर्ट को बताया कि महिला पूरी तरह अपने देवर व ससुर पर निर्भर है। पति की मौत के बाद साल 2011 में उसका देवर के साथ करेवा कर दिया गया। जिसके बाद उसको एक पुत्री भी हुई। इस बीच गांव के कुछ लोगों ने उसकी पेंशन लेने की शिकायत विभाग को कर दी। जिसके बाद सरकार ने उसकी पेंशन पर रोक लगा दी और पेंशन के रूप में पहले ली गई राशि लगभग 1.82 लाख रुपए जमा करने के निर्देश जारी कर दिए।
मामले में सुनवाई के दौरान महिला के वकील ने हाईकोर्ट को शांति देवी बनाम हरियाणा सरकार मामले में दिए गए फैसले का हवाला दिया कि विधवा द्वारा पुनर्विवाह करने के बाद फैमिली पेंशन नहीं रोकी जा सकती। जबकि इस मामले में तो याचि का पुनर्विवाह भी नहीं हुआ केवल करेवा हुआ है। ऐसे में पेंशन रोकना उचित नहीं है।
याची के वकील का विरोध करते हुए सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि विधवा पेंशन योजना विधवा को पति की मृत्यु के बाद होने वाली कठिन परिस्थितियों में निपटने में मदद करने के लिए दी जाने वाली राशि है। हालांकि याची ने फिर से शादी कर ली ऐसे में वह पेंशन पाने के लिए अयोग्य हो गई है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने भी माना कि महिला जिसने अपने पति के निधन पर अपने देवर के साथ करेवा किया है, वह विधवा के रूप में दी गई सामाजिक सुरक्षा पेंशन की हकदार नहीं होगी। हाईकोर्ट ने उस तर्क को भी खारिज कर दिया कि पुनर्विवाह वह करेवा दोनों अलग-अलग हैं, हालांकि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला को राहत देते हुए सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें सरकार ने पेंशन के नाम पर ली गई 1.82 लाख रुपए की राशि रिकवरी के आदेश दिए थे।

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