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Monday, May 25, 2020

खट्टर सरकार किसानों को उजाड़ने पर तुली है - रणदीप सुरजेवाला

(अमन)कैथल। गुहला व सीवन खंड की सवा लाख एकड़ से अधिक जमीन पर धान की फसल की रोपाई पर रोक लगा सरकार इस क्षेत्र के किसानों को उजाड़ने पर तुली है। भाजपा- जजपा सरकार के इस किसान विरोधी तुगलकी फरमान का कांग्रेस तब तक विरोध करती रहेगी जब तक मुख्यमंत्री अपने 9 मई के धान बंदी के आदेशों को वापस नहीं ले लेते। ये विचार कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता व पूर्व बिजली मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Singh Surjewala) ने चीका में पत्रकार वार्ता में कहे। 

रणदीप सुरजेवाला धान बंदी के विरोध में किसानों के साथ एसडीएम कार्यालय गुहला के समक्ष धरने पर बैठे थे। धरने के बाद रणदीप सुरजेवाला ने किसानों के हस्ताक्षर युक्त मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन एसडीएम गुहला को सौंपा। सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल कैथल जिले के साथ साथ कुरुक्षेत्र, फतेहबाद व सिरसा जिलों में मेरा पानी मेरी विरासत योजना के नाम पर धान पर रोक लगा यहां के किसानों को उजाड़ने में लगे हुए है और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला उनकी हर बात का आंख बंद कर समर्थन कर रहे हैं। 

रणदीप ने कहा कि वे गुहला की घग्गर पार की सारी जमीन मुख्यमंत्री काे देते हैं, यदि मुख्यमंत्री इस जमीन पर मक्का या दलहन उगा कर दिखा दें वे राजनीति से सन्यास ले लेंगे। रणदीप ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने कुरुक्षेत्र जिले में दादुपुर नलवी नहर का निर्माण करवाया था। इस नहर के बनने कुरुक्षेत्र, शाहबाद व पिहोवा हलके में जमीनी जल स्तर काफी ऊपर आ गया था जिससे किसानों के सामने से पानी का संकट काफी हद तक दूर हो गया था। लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस नहर को बंद करवा किसान विरोधी होने का सबूत दिया है। 

रणदीप ने कहा कि प्रदेश की जनता जब भी उनकी सरकार लेकर आएगी तो वे पिहोवा के बीबीपुर में लगभग दो हजार एकड़ में कम से कम सौ फुट गहरी झील का निर्माण करवाएंगे। बरसात के दिनों में यमुना नदी में आने वाले बाढ़ के पानी को दादुपुर नलवी नहर के माध्यम से बीबीपुर झील तक लाएंगे। सुरजेवाला ने कहा कि इस झील का निर्माण होने से न केवल पिहोवा बल्कि गुहला व पंजाब तक का जल स्तर ऊपर आ जाएगा। उन्होंने कहा कि बीबीपुर से हांसी बुटाना नहर तक 22 किलोमीटर की एक नई नहर का निर्माण करवा झील के इस पानी को दक्षिणी हरियाणा तक पहुंचाएंगे। ऐसा करने से जहां यमुना में बाढ़ का खतरा कम होगा वहीं प्रदेश के दक्षिणी हिस्से को एक फसल के लिए पानी मिल जाएगा।

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