Breaking

Sunday, August 2, 2020

जमीन की लिमिट और कृषि श्रेणी होगी खत्म रजिस्ट्री के लिए डीसी सीधे होंगे जिम्मेदार, जॉइंट सॉफ्टवेयर में लाॅक होगा रिकॉर्ड, बिना प्रोसेस खुलेगा ही नहीं

जमीन की लिमिट और कृषि श्रेणी होगी खत्म रजिस्ट्री के लिए डीसी सीधे होंगे जिम्मेदार, जॉइंट सॉफ्टवेयर में लाॅक होगा रिकॉर्ड, बिना प्रोसेस खुलेगा ही नहीं

पानीपत। राज्य की तहसीलों में बिना एनओसी अवैध तरीके से रजिस्ट्रियों के मामले कार्रवाई के बाद सरकार रजिस्ट्री का तरीका बदलने जा रही है। तैयारी पूरी हो चुकी है। अब टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के एक्ट 1975 की धारा 7-ए से एग्रीकल्चर शब्द और जमीन की लिमिट दोनों ही खत्म हो जाएंगे। 7-ए एरिया में रजिस्ट्री डीसी की मंजूरी पर ही होगी। इससे पहले प्रॉपर्टी टैक्स व हाउस टैक्स का भुगतान अनिवार्य होगा। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बताया कि इस काम से जुड़े संबंधित जितने भी विभाग हैं, उनका जॉइंट सिस्टम तैयार हो रहा है, जिस पर सभी का डेटा ऑनलाइन होगा।

*7-ए में बदलाव इसलिए जरूरी*

टाउन एंड प्लानिंग विभाग अर्बन एरिया से लगती एग्रीकल्चर जमीन को भविष्य की प्लानिंग के लिए रोक कर उसे 7-ए अधिसूचित एरिया घोषित करता है। 3 अप्रैल 2017 को हरियाणा डेवलपमेंट एंड अरबन रेगुलेशन एक्ट 1975 की धारा 7-ए में सरकार ने संशोधन किया। पहले प्रावधान था कि खाली पड़ी 1 हेक्टेयर से कम जमीन की रजिस्ट्री बिना एनओसी नहीं होगी। सरकार ने खाली जमीन की जगह एग्रीकल्चर और एक हेक्टेयर की जगह लिमिट 2 कनाल कर दी। यानी 2 कनाल से ज्यादा की रजिस्ट्री के लिए एनओसी जरूरी नहीं रही। इसका फायदा उठाकर प्रॉपर्टी डीलर व अधिकारियों ने उठाया।

*भ्रष्टाचार होने से पहले पकड़ी जाएगी गड़बड़ी*

7-ए अधिसूचित एरिया में जो नया प्रावधान होने जा रहा है, उसमें एग्रीकल्चर शब्द का प्रयोग ही नहीं होगा। वहीं 2 कनाल की लिमिट भी नहीं रहेगी। मौजूदा घोटाले में सबसे अधिक उल्लंघन 7-ए में ही हुआ है। 7-ए अधिसूचित एरिया और स्पष्ट हो जाएगा। उसमें किसी तरह की कैटेगरी न रहने से अलग-अलग नियमों के चक्कर में नहीं पड़ना होगा, इससे गड़बड़ी को पकड़ना आसान होगा।

*ऑन अप्रूवल डिप्टी कमिश्नर शब्द जुड़ेगा*

सरकार प्रावधान करने जा रही है कि 7ए अधिसूचित एरिया की जो भी रजिस्ट्री होंगी वो बिना डीसी की परमिशन के नहीं होंगी। नियम में "ऑन अप्रूवल डिप्टी कमिश्नर" शब्द जोड़ा जाएगा। अगर कोई इस एरिया में रजिस्ट्री करवाना चाहता है तो डीसी संबंधित विभागों से उसकी जांच करवाएंगे और फिर खुद लिखित में परमिशन देंगे,उसके बाद ही रजिस्ट्री होगी। अब तक इंडियन रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत डीसी अपने जिले में रजिस्ट्रार होता है लेकिन किसी भी डीड पर डीसी के साइन नहीं होते थे। अब डीसी के साइन भी होंगे और उन्हें जांच करवाकर परमिशन देनी होगी,जिससे डीसी गलती के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे। इससे कार्य में पारदर्शिता बढ़ेगी।

*प्रॉपर्टी, हाउस टैक्स जरूरी*

अब कोई भी रजिस्ट्री करवाने के लिए उसका प्रॉपर्टी टैक्स और हाउस टैक्स का भुगतान किया होना अनिवार्य होगा। इसके बिना रजिस्ट्री होगी ही नहीं। इसके लिए बाकायदा अर्बन लोकल बॉडीज अपने एक्ट के अंदर बदलाव करने जा रही हैं।
असर: प्रॉपर्टी व हाउस टैक्स जो हमेशा बकाया रहता है, उसका भुगतान होने लगेगा। साथ ही जिस जमीन की रजिस्ट्री होनी होगी अगर उसका प्रॉपर्टी या हाउस टैक्स का भुगतान नहीं हुआ होगा तो डीसी की कमेटी के जांच में पकड़ में आ जाएगा।

*जॉइंट सॉफ्टवेयर पकड़ेगा गड़बड़ी*

अब राजस्व विभाग, टाउन एंड प्लानिंग, शहरी निकाय, एचएसवीपी, एचएसआईआईडीसी समेत जितने भी विभाग जमीन से जुड़े हैं, उनका डेटा एक नए जॉइंट सॉफ्टवेयर पर अपडेट किया जा रहा है। इसमें लॉक का सिस्टम होगा। सभी विभाग उस जमीन का खसरा नम्बर आदि इसमें अपडेट करके लॉक लगा देंगे, जिसकी रजिस्ट्री नहीं हो सकती।
तहसील के को ऑनलाइन पता चल जाएगा कि किस विभाग की कौनसी जमीन की रजिस्ट्री नहीं करनी है। अगर कोई उसमें छेड़खानी करेगा तो संबंधित विभाग को पता चल जाएगा। अगर किसी जमीन पर निर्णय लेने में तहसील को दिक्कत आएगी तो संबंधित विभाग एक सप्ताह के अंदर जांच करके देगा।

No comments:

Post a Comment