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Tuesday, April 5, 2022

तालु सिवाड़ा माइनर टूटी:अब 45 दिन बाद मिलेगा खेतों को पानी, 6 गांवों की 457 हेक्टेयर खेती रह गई प्यासी

तालु सिवाड़ा माइनर टूटी:अब 45 दिन बाद मिलेगा खेतों को पानी, 6 गांवों की 457 हेक्टेयर खेती रह गई प्यासी

Palau Siwara Minor broken: Now after 45 days the fields will get water, 457 hectares of cultivation of 6 villages left thirsty
तालु सिवाड़ा माइनर टूटी
हिसार : सुंदर ब्रांच नहर से निकली तालु-सिवाड़ा लिंक माइनर ओवरफ्लो हो कर कुंगड़ तालु के बीच तालु के खेतों में टूट गई। माइनर सुंदर ब्रांच नहर से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर टूटी है। सुबह खेत संभालने के लिए एक किसान खेत में गया तो माइनर टूटी देख अन्य किसानों को इसकी जानकारी दी और समय रहते किसानों ने सूझबूझ दिखाते हुए तालु-सिवाड़ा लिंक माइनर का पानी सुंदर ब्रांच नहर से शटर डाउन कर बंद कर दिया। इसके बावजूद मात्र एक घंटे में रामचंद्र, अमन, रामफल शर्मा, सोनू, सत्यवान, रामफल, सोनू प्रकाश, राजा, रामपाल व रामबीर की 25 एकड़ गेहूं की फसल पानी में डूब गई।

पानी में डूबी गेहूं की फसल दिन में हवा चलने से बिछ गई है। ऐसे में किसानों को अब गेहूं खराबे का डर भी सताने लगा है। वहीं माइनर टूटने की जानकारी किसानों ने विभाग के अधिकारियों को रात को ही दे दी थी। मगर किसानों के अनुसार मौके पर विभाग का कोई अधिकारी नहीं आया। विभाग ने मजदूरों को भेज कर तालु सिवाड़ा लिंक माइनर की दस फीट की दरार को पाटने का काम शुरू किया।
दरार पाट कर दोपहर पौने एक बजे सुंदर ब्रांच नहर से माइनर में पानी को छोड़ दिया गया है। तालु सिवाड़ा लिंक माइनर से सिंचाई के लिए कुंगड़, सिवाड़ा, पुर, तालु, जाटू लोहरी व मंढाणा की लगभग 3200 हेक्टेयर कृषि भूमि जुड़ी हुई है। ऐसे में इन गांवों के किसान सरसों के खेत को खाली कर कपास की बिजाई के लिए नहरी पानी का इंतजार कर रहे थे। मगर कुंगड़ में माइनर टूटने से सैंकड़ों किसानों को 40 दिन बाद मिलने वाला नहरी पानी नहीं मिला, जिस कारण उनकी खेती प्यासी रह गई।

*पानी ना मिलने से कपास बिजाई पर पड़ेगा असर*

किसानों ने बताया कि तालु सिवाड़ा लिंक माइनर में 40 दिन बाद 24 मार्च को पानी आया था। माइनर टूटने के कारण रात दस बजे से दोपहर 1:00 बजे तक माइनर में पानी बंद रहा। इससे गांव कुंगड़, सिवाड़ा, तालु, पुर, जाटू लोहरी व मंढ़ाणा के सैंकड़ा किसानों की करीब 457 हेक्टेयर खेती सिंचाई से वांछित रह गई है। इन खेतों को पानी न मिलने के कारण इसका सीधा असर कपास बिजाई पर पड़ेगा। माइनर में पानी एक सप्ताह के लिए ही छोड़ा गया है। इसके बाद 40 दिन बाद यानि मई माह का आधा महीना निकलने के बाद इस माइनर में पानी छोड़ा जाएगा।

*साढ़ेे 5 घंटे करते रहे विभाग का इंतजार*

खासकर सिवाड़ा, तालु, पुर, जाटू लोहरी व मंढ़ाणा के किसान कुंगड़ में पहुंच कर साढ़े 5 घंटे सिंचाई विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों का इंतजार करते रहे। किसान राम्मेहर, निवासा, कपूरा, सतपाल ने कहा कि उन्हें इस वक्त खेत में सिंचाई के लिए नहरी पानी की आवश्यकता है। क्योंकि नहरी पानी के दम पर ही वे कपास बिजाई की उम्मीद लगाए बैठे थे कि इस बार समय पर नहर में पानी आया है तो व समय रहते कपास की बिजाई कर सकेंगे। मगर माइनर टूटने के साथ साथ उनकी उम्मीदें भी टूटी हैं। अगर विभाग सूचना मिलते ही तुरंत मौके पर पहुंच माइनर को पाट इसमें पानी छोड़ देता तो बहूत से किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल जाता।

*माइनर का जलस्तर बढ़ गया था*

सिंचाई विभाग के एसडीओ जोगेंद्र सिंह ने बताया कि तालु सिवाड़ लिंक माइनर टूटने की जानकारी उन्हें मिल गई थी। सुंदर ब्रांच नहर में 900 क्यूसेक की बजाए सवा 1100 क्यूसेक पानी होने से तालु सिवाड़ा लिंक माइनर के पानी का स्तर भी बढ़ गया था, चूहों के बिल से बने रिसाव के कारण जिस कारण माइनर टूट गई थी। उन्होनें मजदूरों को भेज कर माइनर में आई दरार का भरार को भरवा दिया है।

*रामचंद्र के खेत में दूसरी बार टूटी माइनर*

किसान रामचन्द्र ने बताया कि विभाग की लापरवाही के कारण उसके खेत में दूसरी बार माइनर टूटी है। एक साल पहले भी यहीं से इस माइनर में दरार आ गई थी, जिसे विभाग का इंतजार कर खूद ही पाटने का काम किया था। ऐसे में अब फीर से उसी जगह से ये माइनर दोबारा टूटी है, जिससे 10 एकड़ गेहूं की फसल में तीन फीट तक पानी भर गया है। रामचंद्र ने बताया कि इसकी जानकारी सुबह आठ बजे ही विभाग को दे दी थी। मगर विभाग का दस्ता माइनर को पटने के लिए 11 बजे के करीब पहुंचा। इस नुकसान की भरपाई के लिए रामचंद्र व अन्य किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग उठाई है।

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