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Thursday, April 7, 2022

सीनियर अफसर करें फसल खरीद की निगरानी : कुमारी सैलजा

सीनियर अफसर करें फसल खरीद की निगरानी : कुमारी सैलजा

Senior officers should supervise crop procurement: Kumari Selja
सीनियर अफसर करें फसल खरीद की निगरानी : कुमारी सैलजा

- पांच दिन बाद भी फसल खरीद सुचारू न होने से किसान हो रहे परेशान

चंडीगढ़ : हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि रबी की फसल बिकने के लिए मंडी में आ रही है। प्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल से खरीद की घोषणा भी की, लेकिन पांच दिन बीतने पर भी खरीद सुचारू रूप से शुरू नहीं हो पा रही है। किसानों को परेशानी से बचाने के लिए प्रदेश सरकार को जिलावार सीनियर आईएएस अफसरों की तैनाती करनी चाहिए, ताकि उनकी निगरानी में खरीद प्रक्रिया समुचित रूप से चल सके।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि रबी की फसल पिछले सालों की तरह ही मंडियों में बिकने के लिए पहुंच रही है। प्रदेश सरकार ने भी हर साल की तरह पहली अप्रैल से ही खरीद करने का ऐलान किया। इसके बावजूद मंडियों में खरीद से जुड़ी तैयारियों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। यही वजह है कि हर रोज किसान किसी न किसी मंडी पर ताला लगाने को मजबूर हो रहे हैं। 
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि किसी मंंडी में साफ-सफाई का अभाव है, तो किसी मंडी में पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। किसी मंडी में बारदाना नहीं पहुंच रहा है तो किसी मंडी में गेट पास को लेकर दिक्कत आ रही हैं। इस तरह की शिकायतें पिछले पांच दिन से यमुननागर, कुरूक्षेत्र, करनाल, अंबाला व कैथल जिले से सबसे अधिक मिल रही हैं। इससे पता चलता है कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने किसानों को परेशान करने के लिए समय पूर्व जरूरी कदम नहीं उठाए।

कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में किसी भी फसल सीजन में किन-किन फसलों की कितनी बुआई हुई है, इसका तीन तरीके से रिकॉर्ड तैयार होता है। किसानों के लिए पोर्टल पर जानकारी देनी हुई है, जबकि कृषि विभाग व पटवारी अपने-अपने स्तर पर रिपोर्ट तैयार करते हैं। ऐसे में त्रि-स्तरीय रिकॉर्ड होने के बावजूद मंडियों में फसल के संभावित पहुंचने का आंकड़ा होने के बाद भी खरीद की तैयारी न करना प्रदेश सरकार का फैल्योर ही है। 

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि तीन काले कृषि कानूनों के विरोध की वजह से प्रदेश सरकार लगातार किसानों के साथ बदले की भावना से काम कर रही है। कभी खाद, कभी बीज, कभी खराब फसल के मुआवजे, कभी फसल खरीद को लेकर परेशान करने का रास्ता खोजती रहती है।

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