Poltical News
January 16, 2023
जींद के जुलाना BDPO कार्यालय पर लगाया ताला:सरपंचों ने की सरकार के खिलाफ नारेबाजी; 20 लाख के काम कराने की हो पावर
जींद के जुलाना BDPO कार्यालय पर लगाया ताला:सरपंचों ने की सरकार के खिलाफ नारेबाजी; 20 लाख के काम कराने की हो पावर
जींद : हरियाणा में सरंपचों के आंदोलन के ऐलान का असर सोमवार को जींद में भी दिखाई दिया। जुलाना में सरपंचों ने बीडीपीओ कार्यालय पर ताला जड़ दिया। इसके बाद प्रशासन और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। सरपंचों का कहना है कि जब तक ई-टेंडरिंग के निर्णय को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। साथ ही धरना शुरू कर दिया गया है। वहीं जीन्द में मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
जींद के गांव बुआना के सरपंच प्रतिनिधि सुधीर, कुलदीप सरपंच अकालगढ़, अनिल सरपंच बराड़ खेड़ा, महेंद्र सरपंच करसोला ने कहा कि उनके खिलाफ राइट टू रिकॉल की धमकी दी जाती है। मंत्री राइट टू रिकाल करवाकर दिखाएं। ई-टेंडरिंग के नाम पर सरकार द्वारा सरपंचों को परेशान किया जा रहा है। सरपंच गांव के चुने हुए प्रतिनिधि है और सरपंचों का अपमान सहन नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ई-टेंडरिंग के नाम पर ठेकेदारों के माध्यम से धांधली के लिए एक पॉलिसी लाई गई है। सुधीर बुआना ने कहा कि जो फैसला सरकार ले रही है वो गांव के विकास के विरोध फैसला है। सरकार को चाहिए कि ये फैसला वापस ले। कम से कम 20 लाख रुपए की राशि तक के विकास कार्य गांव में बिना ई-टेडरिंग के करवाने की पावर सरपंचों को दी जाए।
सरपंचों ने कहा कि राइट टू रिकॉल योजना से गांवों में भाईचारा समाप्त हो जाएगा। सरपंच पद को लेकर विवाद बना रहेगा। अगर सरपंच विवादों में ही उलझा रहेगा तो वह गांव का विकास कैसे करा पाएगा। ई-टेंडरिंग प्रणाली भी विकास कार्यों को तेजी से करवाने में बाधा बनेगी।
गांव की समस्याओं के समाधान के लिए सरपंचों को तुरंत फैसला कर समस्या के समाधान के लिए काम शुरू करवाना पड़ता है। अब नियम बनाया गया है कि अगर 2 लाख से अधिक का काम होगा तो उसका टेंडर होगा। जिसमें काफी समय बर्बाद होता है।
सरपंचों व पंचों ने सरकार से मांग की कि दोनों योजनाओं को वापस लिया जाए। सरकार ने पंचायतों के विकास कार्यों के लिए ई.टेंडरिंग नियम लागू किया है, जिसके अंतर्गत यह तय किया गया है कि किसी भी गांव में अगर किसी विकास कार्य की लागत 2 लाख से अधिक है तो उसके लिए ई.टेंडर जारी किए जाएंगे। उसी के आधार पर काम किया जाएगा। सरपंचों का दावा है कि इस नियम से ग्रामीण क्षेत्रों के कामों की रफ्तार धीमी पड़ जाएगी। सरपंच ठीक ढंग से काम भी नहीं करवा पाएंगे।