मोटे अनाजों की नवीनतम जानकारी से पाठक होंगे लाभान्वित - काम्बोज
चण्डीगढ, अंतर्राष्ट्रीय पोषण अनाज वर्ष 2023 मनाने की कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने ‘हरियाणा खेती’ मासिक हिंदी पत्रिका के श्रीअन्न विशेषांक का विमोचन किया।
कुलपति ने बताया कि इस मई माह के विशेषांक में पोषक अनाज वाली फसलें जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी, सांवक, छोटी कंगनी व कुटकी आदि के उत्पादन, महत्व, रख-रखाव, मूल्य संवर्धन, खाद्य पदार्थ बनाने, स्वादिष्ट व्यंजन बनाने तथा स्वास्थ्य की दृष्टि से संबंधित विशेष जानकारियां विशेषज्ञों द्वारा दिए गए लेखों के रूप में दी गई हैं , जिसका उद्देश्य सभी पाठकों को पोषक अनाजों व इनसे होने वाले फायदे से अवगत करवाना है।
प्रो. काम्बोज ने बताया कि विश्व में खाद्य सुरक्षा व पोषण को बढ़ावा देनेे के लिए भारत देश के आह्वान् पर हमारा देश अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष का नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत 1.8 करोड़ टन से अधिक उत्पादन के साथ मोटे अनाजों के लिए वैश्विक केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। हमारा उद्देश्य है कि मोटे अनाजों के उपयोग के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाकर जन-आंदोलन का रूप देना है। पोषक अनाज एक महत्वपूर्ण खाद्य स्त्रोत है, लेकिन कुछ वर्षों से यह भोजन की थाली से लुप्त होने लगे हैं । ऐसे में समय की मांग है कि इन्हें भविष्य के लिए भोजन का हिस्सा बनाया जाए ताकि मनुष्य का स्वास्थ्य ठीक रहे।
कुलपति ने बताया कि रागी (फिंगर मिल्लेट) कैल्शियम व पोटेशियम का सबसे बेहतरीन स्त्रोत है वहीं चेन्ना (प्रोसो मिल्लेट) और कुटकी (लिटिल मिल्लेट) विटामिन बी-6, फास्फोरस, फाइबर तथा एमिनो एसिड से भरपूर होते हैं। कंगनी (फॉक्सटेल मिल्लेट) हमारी प्राचीन फसलों में से एक है तथा इसमें बीटा केरोटिन, विटामिन और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह विशेष तौर पर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए लाभप्रद है। कोडो मिल्लेट औषधीय गुणों से भरपूर है और यह कफ और पित्त दोष को शांत करता है तथा इसमें बैक्टीरिया व जलन रोधी गुण होने के कारण लाभप्रद है। इसको खून शोधक व तंत्रिका तंत्र को मजबूत रखने हेतू भी प्रयोग में लिया जाता है। इनके अतिरिक्त सावंक व छोटी कंगनी भी पौष्टिक होने के साथ औषधीय गुणों से भरपूर हैं।
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