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Wednesday, June 14, 2023

*कुरुक्षेत्र में सरकार-किसानों का समझौता..INSIDE STORY:किसानों की नाराजगी, आंदोलन हाईजैक होने का डर और अमित शाह की सिरसा रैली बड़ी वजहें*

*कुरुक्षेत्र में सरकार-किसानों का समझौता..INSIDE STORY:किसानों की नाराजगी, आंदोलन हाईजैक होने का डर और अमित शाह की सिरसा रैली बड़ी वजहें*
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में सूरजमुखी MSP और किसानों की रिहाई को लेकर जम्मू-दिल्ली नेशनल हाईवे जाम मंगलवार रात खत्म हो गया। सरकार और किसानों के बीच समझौता हुआ कि किसान नेताओं को रिहा कर दिया जाएगा। वहीं सूरजमुखी के 6400 रुपए प्रति क्विंटल रेट दिए जाएंगे।

हरियाणा सरकार 8 दिन से सूरजमुखी का रेट न बढ़ाने पर अड़ी हुई थी। 6 जून को किसानों को लाठीचार्ज कर उन्हें गिरफ्तार तक कर लिया गया। इसके बाद 12 जून से 2 दिन यहां बैठे रहे, लेकिन सरकार ने कोई बात नहीं सुनी। उल्टा विज्ञापन जारी कर कहा कि हरियाणा में सूरजमुखी के सबसे ज्यादा रेट हैं तो फिर किसानों के जाम करने का क्या औचित्य है। मंगलवार रात को अचानक सरकार ने इनकी मांगें मान ली।

सरकार बैकफुट पर क्यों गई इसके पीछे सबसे बड़ा कारण आंदोलन हाईजैक होने का था। ऐसी ही कुल 3 वजहें थी।

अब विस्तार से इन 3 वजहों को पढ़िए

1. आंदोलन हाईजैक होने लगा था:
MSP पर सूरजमुखी की खरीद को आंदोलन की घोषणा भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी ग्रुप) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने की थी। इसके बाद 6 जून को किसानों ने जम्मू-दिल्ली नेशनल हाईवे को जाम कर दिया। किसानों के न मानने पर पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया। किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी समेत 150 नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

चढ़ूनी के जेल जाने के बाद राकेश टिकैत ने आंदोलन संभाला और 12 जून को महापंचायत बुलाई। जिसमें MSP और किसानों की रिहाई की मांग की, लेकिन वार्ता विफल रही। इस बीच एंट्री संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की भी हो गई। किसानों ने फैसला SKM पर छोड़ दिया। सरकार को डर था कि संयुक्त किसान मोर्चा की एंट्री से ये आंदोलन भी किसान आंदोलन की तरह लंबा खींच सकता है। इस पर सरकार हरकत में आई और मांगे मानने पर विचार शुरू किया।

2. बल प्रयोग करते तो जाता नेगेटिव इंपैक्ट
हरियाणा में अगले साल 2024 में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव हैं। दिल्ली में तीन कृषि कानूनों को लेकर हुए किसान आंदोलन की वजह से किसान पहले ही सरकार से नाराज चल रहे हैं। 6 जून को पहले ही किसानों पर लाठीचार्ज हुआ था। अब 12 जून को दोबारा हाईवे जाम करने पर लाठीचार्ज करते तो हालात और भी ज्यादा बिगड़ सकते थे। इससे नेगेटिव इंपैक्ट पड़ता। सरकार ने वार्ता से हल निकालने की कोशिश की।

3. शाह की रैली को देख बैकफुट पर आई सरकार
सिरसा में 18 जून को होने वाली केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली से पहले सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। क्योंकि अगर सरकार का ऐसा ही रवैया रहता तो रैली में खलल पड़ना तय था। इससे पहले सरकार को किसानों की मांगों को मानना उचित समझा।

सरकार ने क्या चालाकी दिखाई
13 जून को चढूनी ग्रुप के नेताओं को कुरुक्षेत्र प्रशासन के साथ दिनभर कई दौर की वार्ता हुई। सरकार ने चढूनी ग्रुप के नेताओं से ही बातचीत की और कल मंगलवार को पूरा दिन बातचीत में व्यस्त रखा। वार्ता में टिकैत और पंजाब से आए संगठनों को घुसपैठ नहीं करने दी। हालांकि, टिकैत ने कहा था कि अगर हल नहीं निकला तो अब बातचीत में SKM के नेता भी शामिल होंगे। सरकार को आशंका था कि अगर वार्ता में राकेश टिकैत समेत अन्य किसान संगठनों की एंट्री हो जाती तो मामला सुलझना नहीं था।

अब आगे क्या...
सरकार और किसानों के बीच हुए समझौते के बाद अब सूरजमुखी के दाम 4800 से बढ़ाकर 5000 कर दिए हैं। वहीं, भावंतर योजना के तहत मिलने वाली मुआवजे की राशि 1 हजार से बढ़ा 1400 रुपए कर दी है। साथ ही गुरनाम सिंह चढूनी समेत सभी किसान नेताओं को आज बुधवार शाम तक रिहा किया जाएगा। वहीं, 6 व 7 जून को प्रदेशभर में किसानों के खिलाफ दर्ज हुए सभी मुकदमों को सरकार वापस लेगी।

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