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Friday, July 7, 2023

राष्ट्रपति को पत्र लिख मांगी इच्छा-मृत्यु, बोले- यूं तिल-तिल कर मरते नहीं देख सकते

राष्ट्रपति को पत्र लिख मांगी इच्छा-मृत्यु, बोले- यूं तिल-तिल कर मरते नहीं देख सकते

अंबाला : हरियाणा में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चे ही नहीं उनके परिजन भी खून के आंसू रो रहे हैं। दर-दर भटकने के बावजूद बच्चों को इलाज नहीं मिला तो आहत होकर परिजनों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। पत्र में लिखा है कि बच्चे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से तड़प-तड़प कर मर रहे हैं, लेकिन सरकार दवा तक उपलब्ध नहीं करा सकी।

पीड़ित बच्चों के पिता ने लिखा है कि हम हर तरफ से थक हार चुके हैं, हम अपने बच्चों को यूं तिल-तिल कर मरते नहीं देख सकते। इसलिए उन्होंने फैसला लिया है कि वह पूरे परिवार के साथ इस मतलबी दुनिया को अलविदा कहेंगे। इसलिए पूरे परिवार के साथ इच्छा मृत्यु की स्वीकृति दी जाए या फिर उनके बच्चों को बिना किसी देरी के इलाज मुहैया कराया जाए।


भिवानी जिला के गांव फूलपुरा निवासी सुंदर सिंह (लोकतंत्र सेनानी) ने अपना दुखड़ा रोते हुए राष्ट्रपति को पत्र में लिखा है कि मेरा बड़ा बेटा हरेंद्र सिंह (उम्र 9.4 साल) और दूसरा बेटा विरेंद्र सिंह (8) दुर्भाग्य से मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (DMD) से पीड़ित है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जा रही है बच्चे कमजोर होते जा रहे हैं। ये बच्चे 10 साल की उम्र में व्हील चेयर पर आएंगे।
*बोला- 3 साल से दर-दर की ठोकरें खा रहा हूं*

सुंदर सिंह ने बताया कि डॉक्टरों के मुताबिक, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक जेनेटिक बीमारी है, जबकि उसके व उसकी पत्नी के परिवार में 3/4 पीढ़ी में भी किसी को यह बीमारी नहीं थी। वह 3 साल से दोनों बच्चों को लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहा है। PGI चंडीगढ़, दिल्ली AIIMS, दिल्ली गंगा राम आदि अस्पताल में बच्चों को कई बार दिखा चुका हूं,कोई फायदा नहीं हुआ।

*जगह-जगह लगाई गुहार, कहीं नहीं सुनी पुकार*

सुंदर ने पत्र में लिखा कि डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी की (VYONDYS 53/ELEVIDYS (GENE THEREPY) दवा USA में है,जो की बहुत महंगी है। कहा कि यह दवा सिर्फ भारत सरकार के सहयोग से उपलब्ध हो सकती है। दवा के लिए पीड़ित बच्चों के परिजन हरियाणा और भारत सरकार को कई बार पत्र लिख इलाज की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। यहां तक की मानव अधिकार आयोग को भी अवगत करा चुके हैं।
*परिजन बोले- हमें इच्छा मृत्यु का अधिकार*

पिता स्वर्गीय रणबीर सिंह लोकतंत्र सेनानी थे, जो आपातकाल 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के दौरान संविधान को बचाने के लिए जेल गए थे। भारत सरकार ने उन्हें ताम्र पत्र देकर सम्मानित भी किया था। आज उसी संविधान की धारा-21 के तहत,जिसमें हर नागरिक को जीवन और इलाज पाने का अधिकार है) और 21A के तहत 6-14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार है, लेकिन भारत सरकार पालन नहीं कर रही।
न उनके बच्चों को जीवन रक्षक दवा उपलब्ध कराई जा रही और न ही शिक्षा। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-21 के तहत हर नागरिक को इच्छा मृत्यु का भी अधिकार है। अगर बच्चों को समय पर उपचार नहीं दिया तो उनकी जिंदगी नरक बन जाएगी।

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