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Monday, September 4, 2023

जींद में काली चुन्नी ओढ़ आशा वर्कर्स का प्रदर्शन:डीसी ऑफिस के बाहर धरने पर बैठीं; मांगें न मानने पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी

जींद में काली चुन्नी ओढ़ आशा वर्कर्स का प्रदर्शन:डीसी ऑफिस के बाहर धरने पर बैठीं; मांगें न मानने पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी
हरियाणा के जींद में सोमवार को आशा वर्करों एवं फेसिलिटेटरों की हड़ताल के 28वें दिन काली चुन्नी ओढ़कर डीसी कार्यालय तक जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में क्रेच वर्कर्स यूनियन, भवन निर्माण कामगार यूनियन, मनरेगा श्रमिक यूनियन, वन मजदूर यूनियन, ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन, भट्ठा मजदूर यूनियन, मिड-डे मील वर्कर यूनियन आदि के कार्यकर्ता शामिल हुए।

जिला प्रधान नीलम देवी, मुकेश देवी, राजबाला, जगवंती ने आंदोलनरत आशा वर्करों को संबोधित करते हुए बताया कि हड़ताल को 28 दिन गुजर चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी है। प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार अपने अहंकार और अपनी हठ धर्मिता के कारण आशाओं से बात नहीं कर रही है। जिसका हर्जाना प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
4 हजार रुपए दिया जाता है मासिक वेतन
हरियाणा सरकार ने आशाओं की मांगों के समाधान की बजाय अपने कान-आंख ही बंद कर लिए हैं। सरकार लगातार आशा वर्करों व आशा फेसिलिटेटरों का शोषण कर रही है। भाजपा सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ नारे के बिल्कुल उलट काम कर रही है। आशा वर्करों को सिर्फ चार हजार रुपए मासिक मानदेय दिया जाता है।


अधिकारी को मांग-पत्र सौंपती आशा वर्कर्स।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली भाजपा सरकार के खिलाफ आज प्रदेश की बेटियां सड़कों पर आने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि भाजपा सरकार ने आशा वर्करों के आंदोलन के दौरान वर्ष 2018 में समझौता किया था, जिसका आज तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया। दूसरी ओर आशा वर्करों पर काम का दबाव कई गुना बढ़ गया है। हर रोज सरकार द्वारा नए-नए काम ऑनलाइन करने के लिए थौपे जा रहे हैं।
जन एकता जन संवाद पंचायतें करेंगी आशा
हालात तो यह हैं कि आज तक किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य केंद्रों व जिला अस्पतालों पर कोई सुविधा आशाओं को मुहैया नहीं करवाई गई है। आशा वर्करों ने फैसला लिया है कि जींद के तमाम ब्लॉकों में आशा वर्कर्स जन एकता जन संवाद पंचायतें करेंगी। जिसमें सरपंच, पंच, जिला परिषद, ब्लॉक समिति सदस्यों को निमंत्रण पत्र दिए जाएंगे। आशा वर्करों द्वारा अपनी हड़ताल का समर्थन मांगा जाएगा।
उन्होंने मांग की है कि 2018 का समझौता लागू करवाया जाए। आशा वर्करों को कर्मचारी का दर्जा मिले। सरकार की तरफ से जरूरत का सभी तरह का सामान उपलब्ध करवाया जाए। न्यूनतम वेतन 26 हजार लागू हो। आशा वर्करों से ऑनलाइन काम करवाना बंद किया जाए। आशाओं का सभी तरह का शोषण बंद हो।
आशा पारुल के परिवार को मिले 20 लाख मुआवजा
स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों में आशा वर्करों के लिए बैठने का प्रबंध, अलमारी कुर्सियों आदि का प्रबंध किया जाए। आंदोलन में शहीद हुई यमुनानगर की आशा वर्कर पारुल के परिवार को 20 लाख रुपए मुआवजा व स्वास्थ्य विभाग में पक्की नौकरी दी जाए।

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