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Monday, October 9, 2023

*एफएमजीई की कट-ऑफ कम ना होना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ - डॉ आशरी*

*एफएमजीई की कट-ऑफ कम ना होना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ - डॉ आशरी* 
जींद : (संजय कुमार ) डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिये भारतीय छात्र NEET की परीक्षा पास करने के बावजूद भारतीय मेडिकल कालेज में दाख़िला नही ले पाते क्यूँकी भारत में फ़ीस ही 80-90 लाख है। यही बच्चे  विदेशी कालेजों में 25-30  लाख रुपए खर्च कर व साथ ही Neet UG Qualified करके वहाँ अपनी छः साल पढ़ाई पूरी करते हैं। 
जबकि भारत देश में नीट UG का Zero cut off  2017-2018 किया । ओर अभी 2023 में Neet  PG की परीक्षा का Zero cut off किया।
जिस के माध्यम से बच्चे कॉलेज में एमडी की पढ़ाई हेतु दाखिला लेकर आगे Specialist डॉक्टर की पढ़ाई पूरी करते हैं। वहीं जिन बच्चों का भारत में दाखिला नहीं हो पता वो आकर भारत में Practice के लिये एफएमजीई की परीक्षा देते हैं। जो की बहुत कम बच्चे कर पाते हैं । 300 में से 150 नम्बर लाना बहुत से बच्चे तो 4-5-10 नम्बर से रह जाते हैं। इनका  कट-ऑफ में किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी जाती। वही नीट pg में पढ़ाई करने वाले बच्चों की कट-ऑफ जीरो रहने के बाद भी अच्छे कॉलेज में दाखिला हो जाता है। हालत यह है कि नीट की कट ऑफ-जीरो रहने वाले को भी डॉक्टर मान लिया जाता है।वहीं एफएमजीई के माध्यम से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे बच्चों को 100 अंक लेने के बाद भी डॉक्टर नहीं माना जाता। यानि जीरो नंबर वाले डॉक्टर बन रहे हैं और 100  नंबर वाले बच्चों को Registration नही मिल रहा वो एमडी के कोर्स हेतु कहीं सीट की तो बात ही नही  रही। इस प्रक्रिया के चलते बच्चों के भविष्य के साथ-साथ खिलवाड़ तो हो ही रहा है, इसके साथ-साथ देश के भविष्य को  भी अंधकार में धकेला जा रहा है। डॉक्टर कामिनी ने कहा कि हम इस प्रक्रिया का पुरजोर तरीके से विरोध करते हैं और सरकार से दरख्वास्त करते हैं कि जो बच्चे एफएमजीई से पढ़ाई कर रहे हैं उनकी भी कट-ऑफ कम करके उन्हें उनका हक दें।

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