भारतीय पहलवान विनेश फोगाट की याचिका खारिज
भारत के सिल्वर ओलंपिक मेडल की उम्मीद खत्म
16 अगस्त को खेल पंचाट सुनाने वाला था फैसला
नई दिल्ली: विनेश फोगाट और पूरे हिंदुस्तान के लिए बुरी खबर है। पेरिस ओलंपिक में अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ पहलवान विनेश फोगाट की याचिका को ही ठुकरा दिया गया है। यानी भारत की सिल्वर मेडल की आखिरी उम्मीद भी टूट गई। पहले विनेश की अपील पर खेल पंचाट (कैस) 13 अगस्त को फैसला सुनाने वाला था फिर इसे 16 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया था। अब खबर आ रही है कि विनेश की याचिका को ही ठुकरा दिया गया है। यहां बताना जरूरी हो जाता है कि पिछले हफ्ते अपने लगातार तीन बाउट जीतकर विनेश फोगाट को महिलाओं की 50 किग्रा फ्रीस्टाइल स्पर्धा के फाइनल से ठीक पहले अमेरिका की सारा हिल्डेब्रांट के खिलाफ खिताबी मुकाबले से बाहर कर दिया गया था क्योंकि सुबह वजन करते समय उनका वजन निर्धारित सीमा से 100 ग्राम अधिक पाया गया।*फैसले से पहले अचानक कैसे रद्द हुई याचिका?*
भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष डॉ. पीटी उषा ने विनेश फोगाट के आवेदन को खारिज करने के कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) के फैसले पर हैरानी और निराशा व्यक्त की है। एक बयान में पीटी उषा ने कहा, 'पहलवान विनेश फोगाट की युनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के खिलाफ दायर अपील पर खेल पंचाट के एकमात्र पंच के फैसले से स्तब्ध और निराश हूं। पेरिस ओलंपिक खेलों में महिलाओं के 50 किलोग्राम वर्ग में साझा रजत पदक दिए जाने के विनेश के आवेदन को खारिज करने वाले 14 अगस्त के फैसले का प्रभावी हिस्सा विशेष रूप से उनके लिए और बड़े पैमाने पर खेल समुदाय के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है।’ इस फैसले के मायने हैं कि पेरिस ओलंपिक में भारत के छह ही पदक होंगे जिसमें एक रजत और पांच कांस्य शामिल हैं ।
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*विनेश की लीगल टीम में कौन-कौन था?*
विनेश फोगाट ने अपील की थी कि उन्हें क्यूबा की पहलवान युस्नेलिस गुजमेन लोपेज के साथ संयुक्त रजत पदक दिया जाए। लोपेज सेमीफाइनल में विनेश से हार गई थी, लेकिन बाद में भारतीय पहलवान को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद उन्हें फाइनल में जगह मिली। इस कानूनी लड़ाई में फ्रांसीसी वकील जोएल मोनलुइस, एस्टेले इवानोवा, हैबिन एस्टेले किम और चार्ल्स एमसन शामिल थे, जिन्होंने आवेदन दाखिल करने के दौरान उनकी और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की मदद की। उनकी सेवाएं पेरिस बार द्वारा मुहैया कराई गई हैं और वे मामले को निःशुल्क संभाल रहे थे। इसके अलावा वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और विदुषपत सिंघानिया को मामले में उनकी मदद के लिए जोड़ा गया था।
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