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Thursday, May 8, 2025

आतंकवाद पर प्रहार करती दीपक कौशिक की तूलिका

आतंकवाद पर प्रहार करती दीपक कौशिक की तूलिका
जींद: कला केवल रंगों और आकृतियों की साधना नहीं होती अपितु यह समाज का प्रतिनिधित्व करती है। यह एक ऐसा दर्पण है जो समाज की सच्चाई,पीड़ा ,चेतावनी और दिशा को दर्शाता है। जब समाज असमंजस, आतंकवाद,कट्टरता और अपनी पड़ोसी की हरकतों से जूझ रहा हो तब कलाकार की तूलिका तलवार से अधिक धारदार होकर आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का आगाज करती है। आतंकवाद के विरुद्ध अपने व्यंगात्मक चित्रों में दीपक कौशिक राष्ट्रहित, सेना का सम्मान और निर्णायक सरकार का चित्रण करके आम जनमानस के सामने रखकर आतंकवाद को बेनकाब करने का सफल प्रयास करते हैं। आतंकवाद के खिलाफ चित्रात्मक संघर्ष दीपक कौशिक की कलाओं में एक प्रमुख पक्ष है। जब देश ने पुलवामा आतंकी हमले जैसे दर्दनाक घटनाओं का सामना किया या पहलगाम में पर्यटकों पर हमला हुआ तब उनकी तूलिका चुप नहीं रही। उन्होंने आतंक की पीड़ा को समझ कर कला के माध्यम से समाज के सामने सेना के शौर्य और पराक्रम को अपने चित्रों में प्रस्तुत किया। उन्होंने दर्शाया कि भारत शांति चाहता है परंतु शांति की रक्षा के लिए शक्ति का प्रदर्शन भी कर सकता है। अब दीपक कौशिक की तूलिका युद्ध भूमि बन चुकी है, रंग उनकी बंदूके हैं ,उनका विचार बारूद है और उन्होंने आगाज किया है, आतंक के विरुद्ध एक रचनात्मक और कलात्मक युद्ध का।

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