जींद :अखिल भारतीय साहित्य परिषद जींद इकाई ने मुंशी प्रेमचन्द की जयन्ती को मनाते हुए एक संगोष्ठी का आयोजन किया जिसका माध्यम ऑनलाइन रहा। कार्यक्रम का प्रारम्भ परिषद महामन्त्री डॉक्टर क्यूटी ने मां सरस्वती को अपने भाव समर्पित कर किया तत्पश्चात डॉक्टर प्रेम ने मुंशी प्रेमचन्द की लिखी कहानियों और उपन्यास के पात्रों को याद करके कहा कि उन पात्रों को वो अपने आसपास आज भी महसूस करती हैं। मन्जु मानव अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद जींद इकाई द्वारा उपन्यास के किरदारों पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रेमचन्द की लेखनी तीक्षण, धारदार,मर्मस्पर्शी और तत्कालीन परिस्थितियों को उजागर करती बड़े संतुलन के साथ चली। उनके अनेक उपन्यासों में आर्थिक परिस्थितियां विषमता का कारण बनी जिसे काव्य रूप में इस प्रकार उजागर किया।
"जुर्म सहना कोई रजा तो नही,जीना कब सीखे हैं पता ही नहीं।वक्त बीमार कर गया ऐसे,पास अपने कोई दवा भी नहीं। "शहीद उद्यम सिंह के बलिदान दिवस पर भी काव्य रूप में दो पंक्तियों में भाव अर्पित किए। डॉक्टर मन्जुलता रेढू ने प्रेमचन्द द्वारा साहित्य को दी गई दिशा तुलसीदास द्वारा लिखित उनकी रचनाएं जो जीवन का आधार हैं जिनके बिना जीवन का कोई अस्तित्व नहीं। वह स्वयं इन रचनाओं पर आस्था रखती हैं। शहीद उद्यम सिंह की शहादत व उनके जज्बे को नमन किया जिनके कारण जलियांवाला बाग कांड का बदला लिया जा सका। हिन्दी गीतों को अपनी आवाज देने वाले रफी की पुण्य तिथि पर नमन किया। तदुपरांत डॉक्टर क्यूटी ने तुलसीदास द्वारा रचित "तू दयालु दीन हो तो दानी हम भिखारी "गीत को स्वरबद्ध कर श्रवण करवाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षा कर रहे डॉक्टर जगदीप राही ने प्रेमचन्द, तुलसीदास को भाव समर्पित किए शहीद उद्यम सिंह के सीने में बदले की 20 वर्ष की अग्नि का व्याख्यान करते हुए विभिन्न विषम परिस्थितियों प्रकाश डाला ।अध्यक्षता का दायित्व वहन करते हुए कार्यक्रम की प्रशंसा की और कार्यक्रम को स्तरीय बताया। बधाई देते हुए कहा कि जिस संस्था में महिलाएं सिरमौर हो महिलाएं ही कार्यक्रम की रूपरेखा बनाती हों, महिलाएं ही संयोजन करती हों वह इकाई सफल हुए बिना नहीं रह सकती। इस कार्यक्रम में अनिता शर्मा, हिमानी गुप्ता ,वरिष्ठ साहित्यकार हरबंस रलहन जी व बाल कलाकार रूप में ह्रदयांश व आरोही ने भी प्रतिभागिता दर्ज की।
अंत में अध्यक्ष मन्जु मानव ने पटल से जुड़े और परोक्ष रूप से जुड़े सभी साथियों का आभार प्रकट किया।
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