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Friday, April 24, 2020

आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, सरकार बनाये SC,ST की नई सूची

(मनवीर) दिल्ली- आज सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के बारे मे कहा कि वर्षों से आरक्षण का लाभ सही मायने में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सूची फिर से बनानी चाहिए।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण का लाभ किसी भी किम्मत पर 'महानुभावों' के वारिसों को नहीं मिलना चाहिए जो 70 वर्षों से आरक्षण का लाभ उठाकर धनाढ्य की श्रेणी में आ चुके हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत सरन, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा ऐसा नहीं है आरक्षण पाने वाले वर्ग की जो सूची बनी है वह पवित्र है और उसे छेड़ा नहीं जा सकता। आरक्षण का सिद्धांत ही जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाना है।
संविधान पीठ में अपने एक आदेश में कहा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के भीतर ही पात्रता को लेकर आपस में संघर्ष है कि योग्यता क्या होनी चाहिए।

पीठ ने कहा सरकार का दायित्व है कि सूची में बदलाव करें जैसा कि इंदिरा साहनी मामले में नौ सदस्यीय पीठ ने कहा था। संविधान पीठ ने कहा आरक्षित वर्ग के भीतर ही सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत लोग हैं। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को सामाजिक मुख्यधारा में लाने की आवाज को लेकर संघर्ष चल रहा है। बावजूद इसके उन्हें आरक्षण का सही मायने में लाभ नहीं मिल पा रहा। इसे लेकर आवाजें उठ रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह सिफारिश आंध्र प्रदेश के अनुसूचित अधिसूचित क्षेत्रों में शिक्षकों की भर्ती में अनुसूचित जनजातियों को 100 फ़ीसदी आरक्षण देने के फैसले को असंवैधानिक करार देने के फैसले में की है। पीठ ने कहा वह वरिष्ठ वकील राजीव धवन की इस दलील से सहमत हैं कि आरक्षित वर्गों की सूची पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। आरक्षण प्रतिशत के साथ बिना छेड़छाड़ किए भी सूची में बदलाव किया जा सकता है।

इसमें राज्यों में आयोगों ने भी सिफारिश की है पीठ ने कहा ऐसा देखने को मिला है कि राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में बनाए गए आयोग की रिपोर्ट में सूची में बदलाव की सिफारिश की गई है। आयोग ने सूची में किसी जाति समुदाय व श्रेणी को जोड़ने या हटाने की सिफारिश की है। जहां ऐसी रिपोर्ट उपलब्ध हैं वहां राज्य सरकार मुस्तैदी दिखाकर तार्किक तरीके से इसे अंजाम दे।

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