बिन बारिश के सावन बीता जाए 17 साल से सावन की झड़ी का इंतजार,पॉकेट बारिश ने 15 से 20 % छोटा किया मॉनसून भू-जल स्तर करीब 21 मीटर तक नीचे जा चुका
हरियाणा। सावन की झड़ी का हरियाणा के लोगों को बेसब्री से इंतजार है। पिछले 17 साल में जुलाई में माॅनसून की बरसात सामान्य से कम हो रही है। एक बार भी 200 एमएम के अकड़े तक बरसात नहीं पहुंच पाई। वर्ष 2003 में जुलाई में 310 एमएम बरसात हुई थी। तब सावन की झड़ी जैसा नजारा दिखा था।
पिछले 16 सालों मे आठ बार तो ऐसी नौबत आई है कि जुलाई में सामान्य से 43 से 89 फीसदी तक की कमी रही। अबकी बार 17 दिनों में 68 एमएम बरसात हो चुकी है। बरसात लगातार कम होने से माॅनसून का आकार 15 से 20 फीसदी तक छोटा हो चुका है। वर्ष 2004 से 2019 तक तीन बार ही माॅनसून की पूरी बरसात हो पाई है,नहीं तो माॅनसून ने लोगों को निराश ही किया है। फिलहाल प्रदेश में भू-जल स्तर करीब 21 मीटर तक नीचे जा चुका है। अब 19 से 21 जुलाई तक कहीं-कहीं भारी बरसात हो सकती है। इससे बरसात की कमी काफी हद तक धुल सकती है।
माॅनसून में बरसात
प्रदेश में माॅनसून सीजन में औसतन बरसात 460 एमएम मानी जाती है,लेकिन पिछले 16 साल में तीन बार ही माॅनसून में कंप्लीट बरसात हो पाई है। वर्ष 2014 में तो 200, इससे 57 फीसदी कमी रही। एचएयू के मौसम विभाग के अध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ के अनुसार पांच दिन की बारिश ही झड़ी कहते हैं। ऐसा पिछले 17 सालों से ऐसा नहीं हुआ।
15 जिलों में कम बारिश
जुलाई में 15 जिलों में सामान्य से कम,जबकि सात में सामान्य बरसात हुई है। जुलाई के 17 दिनों में माॅनसून की 68 एमएम बरसात हो चुकी है। जो 17 फीसदी कम है। जबकि 107% का अनुमान है।
आईएमडी, चंडीगढ़ के निदेशक, डॉ. सुरेंद्र पाल ने कहा कि पिछले 16 साल में जुलाई में तीन बार ही सामान्य से अधिक बरसात हुई है। अबकी बार भी एंटी साइक्लोन का असर कम होने लगेगा। 19 से 21 जुलाई तक भारी बरसात हो सकती है।
माॅनसून की बरसात घटने के कारण
क्लाइमेट चेंज, एग्री पैट्रन में बदलाव, इंडस्ट्रीज, बर्निंग इश्यू के अलावा बढ़ते वाहन बड़ी दिक्कत हैं। ऐसे में बरसात संगठित नहीं हो रही, कहीं होती है तो कहीं बिल्कुल नहीं होती। धुंध का स्तर लगातार बढ़ रहा है।
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