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Wednesday, July 29, 2020

हेपेटाइटिस बीमारी से बचाव की जानकारी दी

हेपेटाइटिस बीमारी से बचाव की जानकारी दी


जींद, 28 जुलाई (संजय तिरँगाधारी )
जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल में मंगलवार को वल्र्ड हेपेटाइटिस-डे पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सीएमओ डॉ मनजीत सिंह, डा. नरेश वर्मा, डा. गोपाल गोयल, डा. राजेश भोला, डा. पालेराम, डा. राजेंद्र, डा. पूनम लोहान व डा. सुरेंद्र ने हेपेटाइटिस को लेकर जानकारी दी।
सीएमओ डा. मनजीत सिंह ने बताया कि पूरे विश्व में विश्व हेपेटाइटिस दिवस 28 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिवस लोगों में इस बीमारी की रोकथाम, परीक्षण और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। हेपेटाइटिस को आसान भाषा में तो यह लीवर में होने वाली सूजन है जिसका मुख्य कारण वायरस का संक्रमण है। जो आमतौर पर दूषित भोजन खाने या पानी पीने, संक्रमित चीजों के इस्तेमाल से फैलता है। इस कारण हेपेटाइटस के 5 वायरस ए, बी, सी, डी और ई हैं। इनमें टाइप बी व सी घातक रूप लेकर लिवर सिरोसिस और कैंसर को जन्म देते हैं। शुरुआती इलाज न मिलने पर स्थिति गंभीर हो जाती है और लिवर पूरी तरह से डैमेज भी हो सकता है। 
डा. नरेश ने बताया कि हेपेटाइटिस के मुख्य लक्षण में व्यक्ति की आंखें और शरीर का रंग पीला पडऩे लगता है। इस संक्रमण की मुख्य पहचान पीलिया, दस्त, अतिसंवेदनशील त्वचा, भूख मिट जाना, अपच और उल्टी, पेट में दर्द, पेट में सूजन, थकान शरीर का वजन एकदम से कम होना, आंखे पीली होना, पेशाब पीला होना, बीमार महसूस करना, सिरदर्द होना, चिड़चिड़ापन बढऩा, अचानक शरीर नीला पडऩा इत्यादि भी हो सकते है। 
एमएस डा. गोपाल गोयल व डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने बताया कि हेपटाइटिस मानसून के दौरान अधिक फैलता है। इसलिए इस मौसम में तैलीय, मसालेदार, मांसाहारी और भारी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। हेपेटाइटिस के बारे में जागरूक होकर हम स्वयं अपना, अपने परिवार का तथा अपने समान का हेपेटाइटिस रोग से बचाव कर सकते हैं। 
लिवर की सुरक्षा के लिए फल, सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर खाएं,  स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। अधिक गर्म, तेल और मसाले वाले फूड, रिफाइंड, डिब्बाबंद फूड, अल्कोहल वाले प्रोडक्ट लेने से बचें। इसके अलावा मांसाहारी खानों से दूरी बना ली जानी चाहिए। इस बीमारी के लक्ष्ण नजर आने पर तुरंत चिकित्स्क की सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा समय पर नवजात शिशू का संर्पण टीकाकरण करवा कर, संक्रमित सुई व संक्रमित सीरिंज का प्रयोग ना करके, आश्यकता पडऩे पर मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक से लिए हुए ब्लड का इस्तेमाल करके, हेपेटाइटिस को वेक्सीनेशन करवा कर हम स रोग से बचाव कर सकते हैं।

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