अफसर ने किया विधायक के अधिकारों का हनन, प्रीविलेज कमेटी में पहुंची सम्मान की लड़ाई
चंडीगढ़। हरियाणा के अफसरों द्वारा सुनवाई नहीं किए जाने तथा विधायकों के फोन नहीं उठाने का मामला विधानसभा की विशेषाधिकार हनन समिति के पास पहुंच गया है। यह पहला मौका है, जब किसी अधिकारी की शिकायत विशेषाधिकार हनन कमेटी के पास पहुंची है। गोहाना के कांग्रेस विधायक जगबीर मलिक ने विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को सोनीपत की तत्कालीन डीएफएससी मनीषा मेहरा की लिखित शिकायत दी थी। विधानसभा अध्यक्ष ने डीएफएससी से जवाब तलब भी किया, लेकिन विधायक उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। लिहाजा यह मामला विशेषाधिकार हनन समिति को सौंप दिया गया है। हिसार के भाजपा विधायक डा. कमल गुप्ता विधानसभा की विशेषाधिकार हनन समिति के अध्यक्ष हैं। इस समिति में 10 विधायक हैं। विशेषाधिकार हनन समिति को यह पावर है कि यदि वह अधिकारी के जवाब से संतुष्ट नहीं होती तो उसे सजा भी सुना सकती है। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने विधायकों को यह व्यवस्था प्रदान की है कि यदि कोई अधिकारी प्रोटोकाल का इस्तेमाल नहीं करता अथवा विधायकों के फोन नहीं उठाता तो उसकी शिकायत स्पीकर के पास की जा सकती है। स्पीकर द्वारा जवाब तलब करने के बाद यदि अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए तो उनके केस प्रीविलेज कमेटी को हस्तांतरित कर दिए जाएंगे।
विधानसभा की प्रीविलेज कमेटी के पास रेफर हुई कांग्रेस विधायक जगबीर मलिक की दी शिकायत
विधानसभा की प्रीविलेज कमेटी के सदस्य यदि अधिकारी के जवाब से संतुष्ट नहीं होते तो उन्हेंं यह अधिकार है कि वह संबंधित अधिकारी के खिलाफ एक से छह माह की सजा की संस्तुति कर सकते हैं। पूर्व में लोकसभा की विशेषाधिकार हनन कमेटी की सिफारिश पर हाउस ऐसा पूर्व में एक बार कर चुका है। हरियाणा में कांग्रेस विधायक जगबीर मलिक की ऐसी पहली शिकायत है, जो विधानसभा की प्रीविलेज कमेटी को हस्तांतरित की गई है।
उन्होंने सोनीपत की तत्कालीन डीएफएससी मनीषा मेहरा की शिकायत करते हुए स्पीकर को लिखा था कि वह प्रोटोकाल का अनुपालन नहीं करतीं और न ही फोन उठाती हैं। स्पीकर के जवाब तलब करने पर मनीषा मेहरा ने अपना जवाब भी दिया,मगर विधायक इससे संतुष्ट नहीं हुए। हालांकि राज्य सरकार ने जब हाल ही में आठ डीएफएससी के तबादले किए तो उनमें मनीषा मेहरा का नाम भी शामिल था, जिन्हेंं झज्जर भेजा गया है।
*शमशेर गोगी की शिकायत सरकार को भेजी*
असंध के कांग्रेस विधायक शमशेर सिंह गोगी ने भी एसडीएम की लिखित शिकायत विधानसभा स्पीकर के पास की थी। गोगी ने अपनी शिकायत में कहा था कि असंध के एसडीएम नियमों का अनुपालन नहीं करते, जिससे पब्लिक में मैसेज अच्छा नहीं जाता। कोविड के चलते उन्हेंं खुद जनता के लिए उदाहरण बनना चाहिए, लेकिन वह गलत संदेश दे रहे हैं। स्पीकर ने यह केस राज्य सरकार के संज्ञान हेतु भेज दिया है, क्योंकि इसमें विधायक के विशेषाधिकार हनन का साफ-साफ मामला प्रतीत नहीं हो रहा है।
*दो विधायकों व अफसरों के बीच हो चुका समझौता*
विधानसभा स्पीकर ने दो विधायकों की शिकायतों का निस्तारण बाहर से बाहर ही करा दिया है। कोसली से भाजपा विधायक लक्ष्मण यादव और सफीदो के कांग्रेस विधायक सुभाष गंगोली ने अधिकारियों के विरुद्ध स्पीकर को शिकायतें दी थी। इन दोनों विधायकों की शिकायतों के आधार पर अधिकारियों की जवाबदेही की गई। अधिकारियों द्वारा अपनी गलती स्वीकार कर लिए जाने के बाद मामले को निपटा दिया गया। बता दें कि प्रोटोकाल में कोई भी विधायक मुख्य सचिव से बड़ा होता है। अधिकारियों के लिए राज्य सरकार ने विधायकों का सम्मान करने के लिए बाकायदा प्रोटोकाल जारी कर रखा है।
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