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Monday, August 3, 2020

महापंचायत में एलान: जाट आरक्षण आंदोलन में दर्ज मुकदमें वापस ले सरकार, नहीं तो करेंगे आंदोलन

महापंचायत में एलान:जाट आरक्षण आंदोलन में दर्ज मुकदमें वापस ले सरकार, नहीं तो करेंगे आंदोलन


सोनीपत/गोहाना। 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए दंगों में केस दर्ज किए हुए थे। रविवार को छिछड़ाना गांव में गठवाला खाप के चबूतरे पर गठवाला खाप द्वारा पंचायत का आयोजन किया गया। पंचायत में अधिकांश खाप नेताओं ने सामाजिक मुद्दों की बजाए जाट आरक्षण और किसानों की फसल का उचित मूल्य दिलाने और उनकी समस्याओं पर अधिक फोकस रखा। बाद में पंचायत में मांगें पूरी नहीं होने पर 13 सितंबर को महापंचायत करके आंदोलन शुरू करने का प्रस्ताव पास किया।
खाप नेताओं ने आरक्षण के केस वापस लेने की बात हो या फिर किसानों की समस्याओं का समाधान कराने, सभी मुद्दों पर ठोस निर्णय लेने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि केवल पंचायत आकर चले जाने से कुछ नहीं होने वाला। वैसे भी खाप पंचायतों के निर्णय को फरमान का नाम दिया जाता है। इसलिए हमें सामाजिक समस्या और अन्य मुद्दों के लिए ठोस निर्णय लेने होंगे। साथ ही एकजुटता भी दिखानी होगी। तभी सरकार पर दबाव बना सकेंगे। पंचायत का मंच संचालन खाप नेता अशोक मलिक ने किया। पंचायत में विधायक बलराज कुंडू, धर्मबीर गोयत हिसार, अरूण जैलदार, भगतसिंह दलाल फरीदाबाद, बलदेव देखवाल, जयसिंह अहलावत, सुरेंद्र दहिया, इंदरजीत कुंडू, तुलसी ग्रेवाल, धर्मपाल हुड्डा, संगीता दहिया, राजेंद्र कुंडू आदि ने विचार रखे।

शादियों में लगते शराब के स्टॉल,यह गलत 

खाप नेता रामकुमार सोलंकी ने नशा और दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए खाप पंचायतों से आगे आने की अपील की। उन्होंने कहा कि नशा समाज को खोखला कर रहा है। भारतीय संस्कृति को खत्म कर रहा है। कोरोना काल है, इसलिए शादियों में शराब का प्रयोग कम हो गया है। नहीं तो शादियों में शराब के स्टॉल तक लगने लग गए थे। इसे हमें गंभीरता से लेना होगा। उन्होंने कहा कि घरेलू झगड़े के कारण परिवार टूट रहे हैं। इसलिए बेटियों की शादी 18 से 20 साल और लड़कों की शादी 21 से 23 साल की उम्र में कर देनी चाहिए। दहेज प्रथा का भी विरोध करना होगा।

वक्ताओं ने छह मुद्दों पर की चर्चा

पंचायत में जाट आरक्षण आंदोलन के समय जाट व अन्य 36 बिरादरी के युवकों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने, किसान विरोधी नीति, तेल की बढ़ती कीमतें व किसान की फसल का मूल्य कम देने, हरियाणा सरकार की सहमति से मंडीकरण बोर्ड का समाप्त करने की नीति, कर्मचारी विरोधी नीति, जिसमें रोजगार देने की बजाए रोजगार छीनना और अन्य सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की गई।

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