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Monday, August 10, 2020

आक्रोश:कर्मचारी नेता बोले-15 मिनट में गिरफ्तारी के लिए बसों का नहीं हुआ इंतजाम तो मुख्यालय के अंदर करेंगे कूच, 7 मिनट में भेज दीं 3 बसें

आक्रोश:कर्मचारी नेता बोले-15 मिनट में गिरफ्तारी के लिए बसों का नहीं हुआ इंतजाम तो मुख्यालय के अंदर करेंगे कूच, 7 मिनट में भेज दीं 3 बसें

लघु सचिवालय से गिरफ्तारी के दौरान बस में सवार होते समय कर्मचारियों की भीड़ कुछ इस तरह दिखाई दी।

ट्रेड यूनियनों, किसान और मजदूर संगठनों और कर्मचारियाें का सरकार की नीतियों के विरोध में लघुसचिवालय के सामने प्रदर्शन, पुलिस रही अलर्ट

दोपहर 12:50 बजे बारिश शुरू हुई, फिर भी धरने पर डटे रहे कर्मचारी

ट्रेड यूनियनाें, किसान और मजदूर संगठनों के आह्वान पर केंद्र व प्रदेश सरकार पर जनविरोधी नीतियों का आरोप लगाते हुए रविवार को सत्याग्रह आंदोलन के तहत जिला मुख्यालय पर 1500 कर्मचारियों, मजदूरों और महिलाओं ने सामूहिक गिरफ्तारी दी। कर्मचारियों ने प्रदेश व केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
गिरफ्तारी से पहले दोपहर 1:53 मिनट पर कर्मचारी नेताओं ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि 15 मिनट में गिरफ्तारी के लिए बसों का इंतजाम नहीं किया तो वह मुख्यालय के अंदर कूच कर जाएंगे। इसके बाद मात्र 7 मिनट में यानि 1:00 बजे गिरफ्तारी के लिए बसें धरना स्थल के बाहर भेज दीं। महिला कर्मचारियों को गिरफ्तार कर तीन बसों से पुलिस लाइन भेजा गया। बसें कम होने के कारण अन्य पुरुष कर्मचारियों की गिरफ्तारी धरना स्थल पर ही दी गई। हालांकि करीब एक घंटे बाद कर्मचारियाें काे छाेड़ दिया गया।
लघु सचिवालय के बाहर 100 से अधिक महिला और पुरुष पुलिसकर्मी तैनात रहे। धरने पर डटे कर्मचारी लघु सचिवालय में नहीं घुस जाए इसलिए पुलिस ने गेट बंद कर दिया था। इस माैके पर प्रदर्शन की अध्यक्षता संयुक्त रूप से सर्व कर्मचारी संघ, हिसार के ब्लॉक प्रधान सुरेंद्र मान, हरियाणा कर्मचारी महासंघ के जिला प्रधान सत्यवान बधाना, ऐटक के रूप सिंह, सीटू से मोहनलाल, इंटक से सुरजमल पाबड़ा, किसान सभा से शमशेर सिंह नम्बदार व एआईयूटीयूसी से हवा सिंह संघर्ष ने की। वहीं संचालन विनोद प्रभाकर ने किया। कर्मचारियों ने जल्द मांगें पूरी न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी।

गिरफ्तारी देने वालों में ये रहे शामिल

ब्लाॅक प्रधान सुरेन्द्र मान, अशोक सैनी, एमएल सहगल, आरसी जग्गा, मेहर सिंह बांगड़, दिनेश सिवाच, सूबे सिंह, जगमिंद्र पूनिया, प्रभु सिंह, जयवीर, राजेश बागड़ी, नरेश गोयल, नरेश गौतम, जयवीर मोर, प्रवीण कुमार, बबली लाम्बा, सुभाष गुर्जर, अरूण यादव, राजकुमार चौहान, मनुज, रमेश शर्मा, रमेश कुमार, ओमप्रकाश माल, सोना देवी, रमेश आहुजा, राजेंद्र ढांडा, संतोष शर्मा, सुरेंद्र फौजी, मुकेश, प्रदीप, रणजीत, कुलदीप, देशराज वर्मा, सुभाष कौशिक आदि।
गिरफ्तारी के लिए बसें पड़ गईं कम : दोपहर 1:00 बजे करीब 300 महिलाओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर अपनी गाड़ियों से पुलिस लाइन भेज दिया मगर अन्य अन्य सभी लोगों को गिरफ्तार करने के लिए प्रशासन के पास पर्याप्त गाड़ियां नहीं थीं। कर्मचारी सोशल डिस्टेंस के साथ ही बैठने की मांग पर अड़े थे। जिसके विरोध में कर्मचारियों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। बाद में तहसीलदार पहुंचे। बाकि कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिविल लाइन थाना प्रभारी के माध्यम से धरना स्थल पर ही दिलाई गई।
पीटीआई का क्रमिक अनशन 56वें दिन भी रहा जारी
नाैकरी बहाली की मांग को लेकर पीटीआई अध्यापकों का क्रमिक अनशन 56वें दिन भी जारी रहा। अध्यापकों ने लघु सचिवालय के बाहर हुए जेल भराे आंदोलन में भी हिस्सा लिया। जल्द से जल्द बहाली की मांग की। अनशन पर सोहन लाल, विजेंद्र, ओम प्रकाश और सतपाल बैठे।

सोशल डिस्टेंस की उड़ाईं धज्जियां

धरने के दौरान काफी संख्या में कर्मचारी एकत्रित थे, जिनके बीच सोशल डिस्टेंस नजर नहीं आ रहा था। इसके बावजूद पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना देखता नजर आया। हालांकि गिरफ्तारी के बाद जिन महिलाओं को बसों में भेजा गया, वह भी सोशल डिस्टेंस के साथ ही बैठाई गई थी।

सरकार की नीतियों से किसान दुखी : दिलबाग

धरने पर भारतीय किसान यूनियन के महासचिव दिलबाग सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार की नीतियों से आज किसान दुखी हैं और सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने को मजबूर है।

पुरानी पेंशन बहाली और रिक्त पद भरने की मांग

लघु सचिवालय के बाहर धरने पर बैठे वक्ताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सार्वजनिक ढांचे को तहस-नहस करने पर तुली है। संवैधानिक संस्थाओं को समाप्त किया जा रहा है और श्रम कानूनों को खत्म किया जा रहा है। सरकार कोरोना की आड़ में आम जनता, कर्मचारी, मजदूर व किसान विरोधी फैसले लेते हुए जनसुविधाओं के सरकारी विभागों को निजी हाथों में देकर इन्हें पूंजीपतियों तक सीमित करना चाहती है। पूरी जिंदगी की सेवा के बावजूद कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नहीं दी जा रही है।
विभागों में खाली पड़े पदों पर स्थायी भर्ती नहीं की जा रही है, 10 वर्षों की सेवा करने के बाद भी शारीरिक शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ दिया जाए तथा डीए व एलटीसी बहाल किया जाए। 1983 पीटीआई अध्यापकों की सेवा बहाल करने की मांग की।

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