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Sunday, August 30, 2020

गड़बड़ी:सिविल अस्पताल में बने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का एक फर्जीवाड़ा सामने आया, बेची जा रही बाहर की दवा, बिल भी नहीं मिलता

गड़बड़ी:सिविल अस्पताल में बने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का एक फर्जीवाड़ा सामने आया, बेची जा रही बाहर की दवा, बिल भी नहीं मिलता

प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र के द्वारा दिया गया मरीजाें काे बिल और दवा,सिविल अस्पताल में बने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का एक फर्जीवाड़ा सामने आया है

मरीज ने बिल नहीं देने का विराेध किया ताे बिल पर वाे दवा का नंबर नहीं लिखा जाे दी, वाे लिखा जाे वाे बेच सकता है

पानीपत : सिविल अस्पताल में बने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का एक फर्जीवाड़ा सामने आया है। मरीजाें का आराेप है कि इस केंद्र पर बाहर की कंपनियों की दवा बेची जा रही हैं। वहीं मरीजों काे इसका बिल भी नहीं दिया जाता। अगर मरीज बिल मांगें ताे कहते हैं कि पूरे देश में बने ये केंद्र भाजपा के एक नेता के बेटे के हैं। शनिवार काे एक ग्राहक ने दवा ली, दवा के 150 रुपए बताए गए ताे मरीज ने कहा कि इसका बिल दे दाे।
स्टाेर पर खड़े व्यक्तियों ने काेई बिल नहीं दिया, काफी विराेध करने पर स्टोर संचालन ने बिल तो दिया। लेकिन उसने यह भी फर्जीवाड़ा कर दिया। जो दवा उसने मरीज को दी थी उसका बैच नंबर पर बिल पर नहीं लिखा, बल्कि जो दवा वह स्टोर में बेच सकता है उसका बैच नंबर डालकर बिल दे दिया। इस मामले की शिकायत रेडक्रॉस सचिव को दी गई है, जिन्होंने एक-दो दिन में जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया है।

यह था पूरा मामला

गांव गुढ़ा के निवासी सलीम ने बताया कि उसने हल्का बुखार होने पर शुक्रवार को सामान्य अस्पताल में दवा लेने के लिए पहुंचा था। डॉक्टर द्वारा जांच के बाद पर्ची पर कुुछ दवा लिखी गई, जाेकि वाे दवा अस्पताल की डिस्पेंसरी में नहीं मिली। यहां उसकाे बताया गया कि 14 नंबर कमरे में बने प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र से दवा ले लाे। उनके कहे अनुसार यहां से दवा ली गई। 150 रुपए उन्होंने दवा के ले लिए। उसने दवा का बिल मांगा तो उन्होंने बिल देने से मना कर दिया। किसी कागज पर मोहर लगाकर रसीद देने का कहा तो बोले यहां केवल दवा मिलती है। मरीज ने बिल मिलने की शिकायत रेडक्राॅस में की, क्याेंकि यह केंद्र रेडक्राॅस द्वारा संचालित है। रेडक्राॅस से अाश्वासन मिलने पर दाेबारा बिल लेने पहुंचा। स्टाेर पर खड़े दाेनाें कर्मियाें की इसी स्टाेर के संचालक से बात कराई ताे बिल मिला। लेकिन जो दवा बेची थी उसकी बजाए औषधि के अंदर रखी हुई दवा का बिल बनाकर दे दिया। तीनों दवा के बैच नंबर में अंतर है।

बाहर की दवा बेची जा रही

जब इन दवाईयों को बाहर प्राइवेट मेडिकल स्टोरों पर पता किया गया तो दवाईयों की कीमत बहुत कम बताई गई। जिसके बाद वह दोबारा से औषधि स्टोर पर पहुंचे और दवाईयों की कीमत सही करने को कहा। इसके बाद स्टोर के अंदर मौजूद दवा देने वालों ने कहा कि हमने आपसे 10 रुपए अधिक ले लिए हैं। आप वापस ले लो। मरीज ने फिर से बिल मांगा तो उन्होंने फिर बिल देने से मना करा दिया। कई मरीजाें का अाराेप है कि यहां बाहर के कपसिरप सहित अन्य दवा दी जा रही हैं।

दाेषी मिला ताे कार्रवाई की जाएगी

रेडक्राॅस सोसायटी के सचिव गाैरव कुमार ने बताया कि मरीज द्वारा शिकायत मिली थी कि उसने जाे दवा जनऔषधि केंद्र से खरीदी थी, उसका बिल नहीं मिला है और बाहर की दवा बेचने की शिकायत है। मंगलवार काे इसकी जांच की जाएगी। अगर इसमें काेई भी दाेषी मिलता है ताे उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अस्पताल में दवा की कमी

सिविल अस्पताल की डिस्पेंसरी में पिछले कई सालाें से दवा की कमी चल रही है। सरकार के मुताबिक डिस्पेंसरी में 640 दवाएं हाेनी चाहिए, लेकिन बमुश्किल से इसमें 300 दवा उपलब्ध हाेगी। दवाओं की कमी के चलते ही और मरीजाें की सहुलियत काे देखते हुए इस केंद्र काे रेडक्राॅस साेसायटी ने अस्पताल में पिछले साल खाेला था। लाेगाें का कहना है कि अगर इसमें भी दवा बाहर की मिलेंगी ताे फिर इसे खाेलने का फायदा ही क्या है।

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