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Wednesday, October 7, 2020

निरीक्षण में खामियां मिलीं:जिले में हवा सांस लेने लायक नहीं, क्रेशर जोन के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 पहुंची, सांस के रोगियों के लिए दिक्कत

निरीक्षण में खामियां मिलीं:जिले में हवा सांस लेने लायक नहीं, क्रेशर जोन के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 पहुंची, सांस के रोगियों के लिए दिक्कत

लॉकडाउन के बाद जब से क्रेशर जोन में काम शुरू हुआ है जिले में वायु प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ गया है। फिलहाल प्रदूषण का स्तर 300 हो गया है जो सांस के रोगियों को दिक्कत तो दे ही रहा है साथ ही सामान्य लोगों के स्वास्थ्य पर भी बूरा असर डाल रहा है। ऐसे में अब नियमों को ताक पर रखकर प्रदूषण फैलाने वाले क्रेशरों को सील करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड व स्टेट की टीम ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर क्रेशर जोन में निरीक्षण कर प्रदूषण फैलने के कारणों की रिपोर्ट तैयार करना शुरू कर दिया है। क्रेशर जोन में किए गए निरीक्षण में कई तरह की खामियां भी टीम को मिली हैं जिनके आधार पर रिपोर्ट तैयार कर नवंबर तक सौंपी जाएगी। ऐसे क्रेशर संचालकों पर एनजीटी की मार पड़ना तय है।

क्रेशर जोन व रिहायश के बीच 1 हजार मीटर की दूरी भी नहीं

क्रेशर जोन रिहायशी कॉलोनियों या गांव के बीच में करीब 1 हजार मीटर की दूरी होनी चाहिए। इसके लिए पटवारी रिपोर्ट तैयार करते हैं। लेकिन कुछ जगहों पर यह रिपोर्ट गलत है। एक गांव से क्रेशर जोन की दूरी मापी गई तो 1 हजार मीटर का डिस्टेंस मिला। लेकिन क्रेशर जोन के दूसरी तरफ के गांव से यह दूरी मापी गई तो 1 हजार मीटर का डिस्टेंस नहीं मिला है। इसलिए यह रिपोर्ट दोबारा तैयार करवाई जाएगी।

5 साल पहले खनन कार्य शुरू लेकिन पेड़ों की जगह पौधे मिले

2015 में खनन कार्य शुरू हुआ था तो क्रेशर संचालकों को पेड़ पौधे लगाने थे। अब तक पौधे 5 साल में काफी बड़े हो जाते हैं। लेकिन एनजीटी की टीम ने क्रेशर जोन में निरीक्षण किया तो वहां ज्यादातर क्रेशर पर पेड़ पौधे मिले ही नहीं। जहां मिले वहां नए व छोटे पौधे थे जिन्हें देख लग रहा था वह टीम के पहुंचने पर ही लगाए गए हो। इस प्वाइंट को भी एनजीटी टीम ने अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है।

पानी छिड़काव के लिए टेंकर संचालकों से न मिला काॅन्ट्रैक्ट

सभी क्रेशर संचालकों को उड़ने वाली धूल को रोकने के लिए पानी का छिड़काव करवाना होता है। एनजीटी टीम अनुसार 100 टन क्रेशर पीसने पर 10 हजार लीटर पानी का छिड़काव करवाना अनिवार्य है। मगर निरीक्षण में वहां पानी छिड़काव का कोई साधन न मिला। टीम ने क्रेशर संचालकों से पूछने पर जवाब मिला कि वह टेंकर से छिड़काव करवाते हैं। टीम ने कॉन्ट्रैक्ट लेटर मांगा तो दिखा नहीं पाए।

क्रेशर जोन के चारों तरफ लोहे की चद्दर नहीं होने से उड़ रही थी धूल

एनजीटी की टीम ने क्रेशर जोन में निरीक्षण किया तो देखा करीब 30 फुट ऊंचाई से मशीन के माध्यम से डंपरों में क्रेशर व रोड़ी डाली जा रही थी। जो हवा के साथ उड़कर प्रदूषण फैला रही थी। जबकि नियम है कि क्रेशर संचालक जहां पर मशीन लगाकर वाहनों में भवन निर्माण सामग्री भरते हैं उसके चारों तरफ मशीन की ऊंचाई में ही लोहे की चद्दर या दीवार होनी चाहिए। लेकिन कुछ क्रेशर वालों ने चारों तरफ जाली दार कपड़े की चद्दर लगाई हुई थी।

टीम को क्रेशर जोन में कहीं भी नहीं मिली पक्की सड़कें

एनजीटी के नियम अनुसार क्रेशर में एक से दूसरे क्रेशर पर आने जाने व मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क का निर्माण होना चाहिए। लेकिन जिले के क्रेशर जोन में मात्र ही तीन से चार ही सड़कें पाई गई हैं। अन्य सभी जगह कच्चे रास्ते ही बनाए हुए हैं। जहां से गुजरने वाले ओवरलोडेड वाहनों के कारण धूल के गुब्बार उड़ रहे थे। इससे भी वायु प्रदूषण फैल रहा था।

वायु में प्रदूषण की मात्रा अगर इंडेक्स 300 तक पहुंच जाती है तो वह सांस के रोगियों को ज्यादा दिक्कत देती है। इससे तो सामान्य लोगों को भी बचाकर रखकर चाहिए। लोगों को सुबह शाम सैर करने से बचना चाहिए और अपने घर पर ही योगा करना चाहिए। अगर बाहर निकलना भी पड़े तो लोगों को अपना मुंह ढंक कर रखना चाहिए। हो सकते तो तरल पदार्थों का प्रयोग ज्यादा करना चाहिए। -डॉ. उमेद सिंह दिसौदिया, रिटायर्ड एसएमओ।

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