सुभाष चंद्र बोस के साथी रहे हरियाणा के ललती राम का कोरोना से निधन, PM मोदी ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि
झज्जर : हरियाणा के झज्जर निवासी स्वतंत्रता सेनानी समिति के चेयरमैन ललती राम का कोरोना से निधन हो गया है। करीब 100 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी को परिवार के सदस्य शनिवार को पीजीआई रोहतक लेकर गए थे। जिन्हें दोपहर बाद वे चिकित्सीय परामर्श के बाद वापस ले आए। अल-सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। ललती राम आजाद हिंद फौज के सिपाही व नेता जी सुभाष चंद्र बोस के साथी रहे थे।
उनके निधन पर पीएम मोदी ने भी ट्वीट कर ललती राम को श्रद्धांजलि दी है। ललती राम को लेकर पीएम मोदी ने भावुक पोस्ट लिखा है। पीएम मोदी 26 जनवरी की गणतंत्र परेड के अलावा कई बार उनसे मिल चुके थे। लाल किला में भी पीएम मोदी ने सुभाष चंद्र बोस के साथी रहे सेनानियों से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित किया था। ललती राम के कई ऐसे किस्से हैं जिन्हें नेता जी की कहानियों के साथ दोहराया जाता रहा है।Saddened by the demise of INA veteran Lalti Ram Ji. His courage and contributions to India’s freedom struggle will never be forgotten. I recall my interactions with him. Greats like him have left an indelible mark on India’s history.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 9, 2021
आपको बता दें कि ललती राम कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। ललती राम के पौत्र विपक कुमार ने बताया कि दादा जी की शनिवार को संक्रमित होने की रिपोर्ट आई। जिन्हें उपचार के लिए पीजीआई रोहतक में भर्ती कराया गया। बता दें कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस के साथी ललती राम को अलग-अलग समय में महामहिम राष्ट्रपति भी सम्मानित कर चुके। आजाद हिंद फौज की स्थापना की 75 वीं वर्षगांठ के मौके पर हुए मुख्य कार्यक्रम में उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ मंच सांझा किया था।
बता दें कि ललती राम हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी समिति के चेयरमेन थे। जिनका नेताजी सुभाष चंद्र बोस बच्चे की तरह ख्याल रखते थे। इधर, मौजूदा समय में जिस तरह से संक्रमण की दर बढ़ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चिंता ज्यादा बढ़ने लगी हैं। हालात यह हो गए हैं कि एक-एक गांव से संक्रमितों की बड़ी संख्या रिपोर्ट हो रही हैं। विशेषज्ञों सहित सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए लोग भी अपील कर रहे हैं कि घर से बाहर सिर्फ जरुरत पड़ने पर ही निकलें। किसी भी तरह की लापरवाही उचित नहीं है।
दुबलधन गांव निवासी आजाद हिंद फौज के वीर सिपाही रहे ललती राम, को आइएनए में रहते हुए बहादुरी के लिए 3 मेडल मिले हैं। वे अम्बाला, सिंगापुर, हांगकांग, थाईलैंड, जापान, कोलकाता (जगरकचा) जेल में भी रहे हैं। ललती राम के परिवार से पांचों बेटे पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए देश सेवा की भावना से ओत-प्रोत होकर सेना में भर्ती हुए। बाद की पीढ़ी की बात हो तो 9 पौत्रों में से 5 पौत्र फौज में है तथा एक पौत्री पुलिस में है। जबकि एक पौत्र विपक कुमार सदैव उनकी सेवा में तत्पर रहता था।
महामहिम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से दो बार, महामहिम प्रणब मुखर्जी और महामहिम रामनाथ कोविन्द से भी ललती राम एक-एक बार सम्मानित हो चुके हैं। सम्मानित होने के इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उन्हें विशेष सम्मान मिल चुका है। स्वतंत्रता सेनानी ललती राम का जन्म एक जनवरी 1921 को बेरी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव दुबलधन में हुआ।
नेताजी की फौज में रहते इन्होंने कई देशों में युद्ध किया। ललती राम नेताजी की सेना के उन बहादुर सिपाहियों में रहे हैं जिनकों ब्रिटिश सरकार ने कोलकता जेल में रहते जब दिल्ली की ओर रेलगाड़ी में गुप्त तौर पर भेजा तो इनके साथियों ने ललती राम समेत अन्य सिपाहियों को इलाहाबाद के रेलवे स्टेशन पर गाड़ी के डिब्बों पर लगे ताले तोड़कर छुड़ा लिया था और खूब पेट भरकर भोजन कराकर और मान-सम्मान देकर ही दिल्ली रवाना किया था।
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