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Thursday, March 3, 2022

Russia- Ukraine महायुद्ध से पीतल बर्तन उद्योग के बिगड़े हालात, आयात और निर्यात हुआ ठप

Russia- Ukraine महायुद्ध से पीतल बर्तन उद्योग के बिगड़े हालात, आयात और निर्यात हुआ ठप
यमुनानगर : यूक्रेन और रुस का महायुद्ध शुरु होने जाने से प्राचीन समय से एशिया भर में पीतल नगरी के नाम से मशहूर जगाधरी के पीतल व स्टील के बर्तन कारोबार को बड़ा झटका लगा है। कारोबारियों की मानें तो महायुद्ध के शुरु हो जाने से परिवहन व्यस्था प्रभावित हो गई है। जिसकी वजह से विदेशों से जहां कच्चा माल नहीं आ रहा है, वहीं, उनके पीतल व स्टील से बने उत्पादों का निर्यात ठप हो गया है। खास बात यह है कि विदेशों से आने वाले स्क्रैप व ब्रास समेत कच्चे माल की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि स्थानीय बाजार में बर्तनों की डिमांड घट गई है। पिछले कुछ दिनों में बर्तन नगरी का बर्तन कारोबार आधे से भी कम रह गया है।
 *जगाधरी मेटल मैन्युफैक्चरिंग एंड सप्लायर*

एसोसिएशन(रजि।) के महासचिव सुंदरलाल बत्रा ने बताया कि प्राचीन समय से देश ही नहीं, बल्कि विश्व भर में कई देशों में जगाधरी में बने पीतल व स्टील उत्पादों का कारोबार किया जा रहा है। रशिया, आस्ट्रेलिया, इटली, जापान, जर्मन, कैनेडा व यूरेपियन देशों समेत कई बडे देशों में जगाधरी में बने पीतल उत्पादों को पसंद किया जाता है। वहीं, दर्जन भर देशों से स्क्रैप व ब्रास समेत बर्तन बनाने का अन्य कच्चा माल आयात किया जाता है। मगर पिछले कई दिन से रुस और यूक्रेन के बीच महायुद्ध छिड़ जाने से परिवहन सेवाएं प्रभावित हो गई हैं। उनका बर्तन कारोबार का आयात और निर्यात पूरी तरह ठप हो गया है। वहीं, कच्चे दाम और पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ने से बर्तन बाजार पर मंदी की मार पड़ने लगी है। बर्तन कारोबारियों का धंधा घटकर आधे से भी कम रह गया है।
 फैक्ट्रियों में पड़ा है लाखों रुपये का तैयार माल बर्तन कारोबारी विवेक गुप्ता, सुशील बंसल, अंकित गोयल व संदीप का कहना है कि रुस और यूक्रेन का युद्ध शुरु होने जाने से विदेशों से उन्हें आर्डर मिलने बंद हो गए हैं। इससे पहले जो पुराने ऑर्डर मिले थे, उनका माल बनकर तैयार है। मगर परिवहन व्यवस्था प्रभावित होने की वजह से माल भेज नहीं पा रहे हैं और लाखों का तैयार माल फैक्ट्रियों में पड़ा है। किसी तरह स्थानीय ऑर्डर लेकर काम किया जा रहा है। मगर वह पर्याप्त नहीं है और फैक्ट्रियों में उत्पादन घटकर आधे से भी कम रह गया है। खास बात तो यह है कि कच्चे माल के दाम इतने बढ़ चुके हैं कि स्थानीय व्यापारी भी बर्तन नहीं खरीद रहा है। जिससे बर्तन कारोबार को झटका लग रहा है। यदि रुस और यूक्रेन युद्ध लंबा खिंचा तो बर्तन कारोबार पूरी तरह ठह हो जाएगा।

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