डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम हार्ड-कोर क्रिमिनल नहीं
चंडीगढ़ : डेरा मुखी गुरमीत को हरियाणा सरकार ने 21 दिनों की जो फरलो दी गई थी, उसके खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने 25 फरवरी को जो फैसला सुरक्षित रखा था उस पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह हार्ड-कोर क्रिमिनल नहीं है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को भविष्य में डेरा प्रमुख को फलों देने के बारे में कुछ दिशा-निर्देश भी दिए। डेरा प्रमुख को दी गई फरलो के खिलाफ पटियाला के परमजीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि चुनावों को प्रभावित करने के लिए डेरा प्रमुख को फरलो दी गई है। डेरा प्रमुख एक संगीन अपराधी है, इसलिए उसे दी गई फरलो रद्द की जाए। इसके जवाब में हरियाणा सरकार ने कहा था कि डेरा मुखी पर हत्या की साजिश रचने के आरोप में दोषी करार दिया गया है, इन मामलों में उसे सहअभियुक्तों के साथ साजिश रचने का आरोप था, इसलिए उसे हार्ड-कोर क्रिमिनल नहीं कहा जा सकता है। जेल में डेरा मुखी के व्यव्हार को देखते हुए और इस पर क़ानूनी राय लेने के बाद ही फरलो दी गई थी। हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया गया था कि डेरा मुखी पहले ही कई संगीन अपराधों का दोषी करार दिया जा चुका है और सुनारिया जेल में सजा काट रहा है। इसके अलावा उसके खिलाफ कुछ अन्य आपराधिक मामले अभी अदालतों में चल रहे हैं। बावजूद इसके हरियाणा सरकार ने डेरा मुखी को सात फरवरी से 27 फरवरी तक 21 दिनों की फरलो दिए जाने के आदेश दे दिए जोकि पूरी तरह से गलत है। आरोप लगाया है कि पंजाब विधान सभा के 20 फरवरी को चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में ठीक इन चुनावों से पहले डेरा मुखी को फरलो राजनीतिक लाभ उठाने के लिए ही दी गई है।
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