Breaking

Friday, May 6, 2022

रोहतक डीआरओ झज्जर से गिरफ्तार, कोर्ट ने दो दिनों के रिमांड पर भेजा, कारनामा सुन हो जायेंगे हैरान

रोहतक डीआरओ झज्जर से गिरफ्तार, कोर्ट ने दो दिनों के रिमांड पर भेजा, कारनामा सुन हो जायेंगे हैरान 

झज्जर :  पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की टीम ने रोहतक के जिला राजस्व अधिकारी (DRO) कनब लाकड़ा को करोड़ों रुपये की कस्टोडियन भूमि की फर्जी तरीके से रजिस्ट्री और इंतकाल करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी उस समय की गई है। जब उनको बुधवार सीएम के रोहतक प्रवास के दौरान ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया हुआ था। वीआईपी ड्यूटी पर चढ़ने से पहले एक सीनियर अधिकारी की गिरफ्तारी से स्पष्ट संदेश है कि गलत करने वाले किसी भी अफसर को सरकार बर्दाश्त नहीं करने वाली है। 
गांव खेड़का मुसलमान में करीब 16 कनाल 8 मरले जमीन का अवैध रूप से रजिस्ट्रेशन किया गया था। इस मामले का खुलासा उस समय हुआ जब एक शिकायतकर्ता ने आरटीआई से इस जमीन की जानकारी मांगी। तो पूरा मामला सामने आया। जिसकी शिकायत पुलिस को दी गई। पुलिस मामला दर्ज करके जांच में जुटी हुई हैं। DRO कनब लाकड़ा को अदालत ने दो दिनों के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया। पुलिस का दावा है कि रिमांड अवधि में पूछताछ के दौरान इस महत्वपूर्ण मामले से कई अहम खुलासे हो सकते है। 
यह बात वीरवार को झज्जर लघु सचिवालय में एसपी वसीम अकरम ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। हालांकि उन्होंने इस मामले में आरोपी को किसी भी प्रकार का राजनीतिक संरक्षण होने की बात से साफ इन्कार किया। लेकिन इतना जरूर कहा कि जिस तरह से जमीन के इस फर्जीवाड़े को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया, उससे इसमें किसी बड़ी चैन की संलिप्तता से इन्कार नहीं किया जा सकता। कारण कि जमीन का फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन किया जाना और बाद में सबूत नष्ट करने के लिए लघु सचिवालय के रजिस्ट्री कार्यालय में आग लगाकर रिकार्ड को जला डालना इस बात का परिचायक है कि इस प्रकार के कई मामले ओर भी हो सकते हैं, जिन पर रहस्यमयी पर्दा उठना बाकी है।
बता दें कि पूरे मामले के अनुसार कस्टोडियन एवं ग्राम पंचायत की खेड़का मुसलमान गांव संबंधी जमीन का मामला इसलिए भी काफी संगीन माना जा रहा है क्योंकि इसी जमीन के रिकॉर्ड को खुर्दपुर करने की नियत से झज्जर लघु सचिवालय स्थित रिकॉर्ड रूम को पिछले वर्ष 27 जून को आग के हवाले कर दिया गया था। कस्टोडियन विभाग में आग लगने की यह घटना जिला प्रशासन को झकझोर कर देने वाली थी। कस्टोडियन विभाग संबंधी रिकॉर्ड रूम में आग लगने की सूचना झज्जर जिले के सभी तहसील में पूरी तौर अवगत थी।

वहीं झज्जर के तत्कालीन जिला उपायुक्त की ओर से इस मामले में कस्टोडियन को पत्र लिखकर आगे अपनी जमीन के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जाने के निर्देश भी जारी किए गए थे। लेकिन इसके बाद झज्जर की हेड रजिस्ट्रेशन ब्रांच में कस्टोडियन विभाग संबंधी दस्तावेजों की सत्यापित प्रतियों के आधार पर आगे जमीन का इंतकाल बहादुरगढ़ तहसील में दर्ज कर दिया गया। जबकि सत्यापित पतियों में कई गंभीर त्रुटियां प्रथम दृष्टि ही नजर आ रही थी। वहीं सबसे अहम यह है कि इस मामले में शिकायतकर्ता सुरेश जून ने पुलिस को बताया है कि कस्टोडियन के फर्जी दस्तावेज के संबंध में उन्होंने बहादुरगढ़ के तहसीलदार कनब लाकड़ा को बता दिया था।
फर्जीवाड़े के संबंध में मौखिक रूप से जानकारी दे दी गई थी। लेकिन उन्होंने फर्जी बैनामा संख्या 6350 दिनांक 23 मार्च 2001 के बारे में जाति जानकारी होने के बाद रिश्वत लेकर इंतकाल संख्या 1538 मंजूर कर दिया। यह भी आरोप है कि उक्त खसरा नंबर 29 का बंटवारा भी बिना कानूनी प्रक्रिया पूरे किए ही 2 महीने के अंदर कनब लाकड़ा की ओर से किया गया। इसके बाद जब शिकायतकर्ता जमीन के संबंध में कस्टोडियन विभाग के अधिकारियों से मिला तब उन्होंने इस मामले में डाक द्वारा जानकारी भेजे जाने की बात कही। इसके 2 दिन बाद झज्जर के लघु सचिवालय के रिकॉर्ड रूम में आग लगा दी गई।
तत्कालीन तहसीलदार कनब लाकड़ा ने पुलिस जांच पर भी उठाए थे सवालझज्जर की आर्थिक अपराध शाखा की ओर से इस मामले की जांच की गई। मामले में गिरफ्तार किए गए तत्कालीन तहसीलदार बहादुरगढ़ कनब लाकड़ा की ओर से न केवल पुलिस पर सवाल उठाए थे। बल्कि इनकी ओर से जांच अधिकारी हरिप्रकाश की भी शिकायत की गई थी। कनब लाकड़ा का आरोप था कि पुलिस को राजस्व संबंधी मामले का ज्ञान नहीं है और इस लिहाज से वे उनके साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। जबकि झज्जर एसपी वसीम अकरम की ओर से इस मामले में डीसी से अनुरोध कर राजस्व विभाग से संबंधित अधिकारियों को इस जांच में संयोग के लिए लिया गया था।
विभागीय जानकार बताते हैं कि सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले इस मामले में एडिशनल एसपी के रूप में विक्रांत भूषण ने काफी रूचि लेकर काम किया है। तमाम तरह के अप्रत्यक्ष दबाव के बाद अधिकारी की निष्ठा पर कोई सवाल नहीं उठा सका। यही कारण है कि इनकी बदली के बाद मामले की फाइल ठंडे बस्ते में चली जाने की संभावनाएं जताई जा रही थी। लेकिन जिस तरीके से अब एक बड़े अफसर की गिरफ्तारी हुई है। बहुत जल्द पुलिस इस मामले में इस बात का पता लगाएगी कि आखिर इस पूरे षडयंत्र को कैसे रचा गया और इस मामले में और कितने लाेग छुपे बैठे हैं। जो सरकारी दस्तावेजों को अपने मनगढंत तरीके से बदलाव कर विवाद के बड़े मामले बनाने पर तुले हुए हैं।
आम आदमी के लिए यह मामला काफी हैरान करने वाला है। कस्टोडियन विभाग की खाना काश्त में कस्टोडियन विभाग खुद काश्तकार है। जबकि शिकायतकर्ता सुरेश जून इस मामले में अपने आप को काश्तकार होने का दावा कर रहे हैं। इनका स्पष्ट रूप से कहना है कि वे इस जमीन के मालिक नहीं है। यदि उनकी ओर से इस मामले को नहीं उठाया जाता। तब प्रदेश सरकार की करोड़ों रुपए की बे कीमती जमीन अफसरों की मिलीभगत से खुर्दबुर्द कर दी जाती।
मामले में जांच अधिकारी हरिप्रकाश ने बताया कि एफआईआर संख्या 13 में तत्कालीन तहसीलदार कनब लाकड़ा को पूछताछ के लिए आर्थिक अपराध शाखा में तलब किया गया था और पूछताछ के दौरान उनकी ओर से संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया जिस पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनको गुरुवार को बहादुरगढ़ अदालत में पेश किया जाएगा इनको रात को बहादुरगढ़ सदर में रखा जाएगा। मामले में कई संगीन पहलू हैं जिनको जानने व दस्तावेज आदि जुटाने के लिए कनब लाकड़ा को पुलिस रिमांड पर लेने का अनुरोध अदालत से किया जाएगा।

No comments:

Post a Comment