नोटिस के बाद सिंधु जल संधि मामले में भारत की बात मानने को तैयार हुआ पाकिस्तान
नई दिल्ली : भारत सरकार ने इस बात की पुष्टि की है कि सीमा पार नदियों के प्रबंधन के लिए 1960 की सिंधु जल संधि में संशोधन की मांग करने वाले जनवरी में भेजे गए पत्र का पाकिस्तान ने जवाब दिया है। इस बात की जानकारी शुक्रवार की दी गई है।
*विश्व बैंक की ओर से दिया गया था आदेश (The order was given by the World Bank)*
विश्व बैंक की ओर से भारत और पाकिस्तान को जम्मु-कश्मीर में किशनगंगा और रातले पनबिजली परियोजनाओं पर पाकिस्तान की आपत्तियों को दूर करने के लिए एक पारस्परिक रूप से सहमत तरीका खोजने के लिए कहा गया था।
इसके बावजूद, इस्लामाबाद ने भारत के साथ किसी भी तरह के मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार कर दिया था। इसके कारण भारत को पाकिस्तान के लिए एक नोटिस तैयार करना पड़ा था।
*चर्चा के लिए तैयार हुआ पाकिस्तान (Pakistan ready for discussion)*
बुधवार को पाकिस्तान ने कहा कि वह सद्भावना से संधि लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "हम अभी पत्र की जांच कर रहे हैं।"
पाक अधिकारियों ने कहा कि संधि के अनुच्छेद 12 के तहत, मौजूदा संधि तब तक जारी रहेगी जब तक कि विवाद के पक्ष, भारत और पाकिस्तान, द्विपक्षीय रूप से समझौते में बदलाव नहीं करते।
भारत ने जनवरी में 1960 के सिंधु जल समझौते में संशोधन के लिए संधि के अनुच्छेद XII(3) के तहत पाकिस्तान को एक नोटिस जारी किया था। दरअसल, भारत चाहता था कि इस मुद्दे को किसी विशेषज्ञ के पास भेजा जाए, लेकिन पाकिस्तान इससे लगातार इनकार कर रहा था।
19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। संधि के तहत सतलुज, व्यास और रावी नदियों का पानी भारत के हिस्से में आता है और सिंधु, झेलम और चेनाब नदी का पानी पाकिस्तान के हिस्से में आता है। आपको बताते चलें, इस समझौते के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान के जल आयुक्त साल में दो बार मुलाकात करते हैं।
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