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Wednesday, May 24, 2023

*सीएम फ्लाइंग टीम को मिला केवल तीन महीने का रिकाॅर्ड:21 मई को मरीज की मौत, 29 मई को खरीदी दवाएं, अब रिकॉर्ड दबाने की तैयारी*

*सीएम फ्लाइंग टीम को मिला केवल तीन महीने का रिकाॅर्ड:21 मई को मरीज की मौत, 29 मई को खरीदी दवाएं, अब रिकॉर्ड दबाने की तैयारी*
21 मई को मरीज की मौत, 29 मई को खरीदी दवाएं, अब रिकॉर्ड दबाने की तैयारी|
रिकार्ड में मरीज की मौत की तारीख
रोहतक पीजीआई में आयुष्मान भारत योजना में खेल की परतें खोल रही सीएम फ्लाइंग को अभी तक मांगा गया पूरा रिकाॅर्ड नहीं मिल पाया है। पीजीआई प्रशासन ने 3 माह का रिकार्ड देकर हाथ खड़े कर दिए हैं। जबकि संदिग्ध केस सामने आ रहे हैं।
इसमें मरीज की मौत के बाद भी सामान खरीदने के कई मामले पाए गए हैं। टीम ने आयुष्मान के पंचकूला में कार्यालय से मरीजों का रिकाॅर्ड मांगा है। टीम 3 बार पीजीआई में पहुंच आयुष्मान भारत योजना के तहत एक साल की अवधि में इलाज कराने वालों का रिकाॅर्ड खोज चुकी है। टीम के पास संदिग्ध केस की लिस्ट में से अभी 8 केस की डिटेल मिल पाई है। टीम ने बताया कि बाकी रिकाॅर्ड देने में पीजीआई ने असमर्थता जता दी है। पीजीआई प्रशासन ने कह दिया है कि उनके पास केवल 3 माह का रिकाॅर्ड है।
इससे जांच कुछ धीमी पड़ी है। अधिक केस की डिटेल जुटाने के लिए पीजीआई के टकराने वाले रुख के बाद आयुष्मान योजना के पंचकूला मुख्यालय से एक साल की अवधि में पीजीआई में इलाज कराने वालों का ब्योरा मांगा है। साथ ही पहले छानबीन में मिले 8 केस की रिपोर्ट पंचकूला मुख्यालय को भेजी है। मुख्यालय से एक साल में इलाज कराने वालों का ब्योरा मांगने के पीछे सारे केस की स्टडी करने का उद्देश्य है।
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केस-1

डेथ सर्टिफिकेट में यश की मौत वर्ष 2022 में 30 जुलाई को हुई, लेकिन उसके इलाज के लिए सामान खरीदने की तारीख 2 अगस्त दर्ज है।

केस-2

*मौत-इलाज में 4 दिन का अंतर*

कर्मबीर की मृत्यु डेथ सर्टिफिकेट में वर्ष 2022 के 21 जुलाई में दिखाई गई। वहीं उन्हें स्वस्थ करने के लिए 25 जुलाई तक दवाइयां और अन्य जरूरी सामान खरीदने की तारीख दर्शाई गई है। इसमें भी 4 दिनों का अंतर है।

केस-3

*मृत्यु के आठ दिन बाद तक भी कागजों में इलाज दिखाया गया*
डेथ सर्टिफिकेट में हरिचंद की मृत्यु वर्ष 2022 में 21 मई को हुई थी। जबकि रिकार्ड में उसके लिए दवाइयां और अन्य सामान खरीदने की तारीख 29 मई तक रही है। यानी मौत के 8 दिन बाद तक उसका इलाज दर्शाया गया है।

*मुख्यालय के रिकॉर्ड से मैच कर रहे डेटा*
सीएम फ्लाइंग टीम ने मरीज की डेथ की तारीख और उसके लिए खरीदे सामान की डेट की जांच कर रही है। मुख्यालय को भेजी गई रिपोर्ट में मौत के दिन भी दवाइयां और अन्य सामान खरीदे जाने का रिकाॅर्ड मिला है। इसके अलावा मौत के बाद भी सामान खरीदने की तारीख उन्हीं मरीजों के नाम से दर्ज मिल रही हैं। इन्हें संदिग्ध मानकर मुख्यालय के रिकाॅर्ड से भी मैच किया जा रहा है।

उधर, योजना के अंतर्गत इलाज करने वालों का डाटा हर साल मार्च से मार्च तक का अपडेट किया जाता है। फिर भी सीएम फ्लाइंग को ब्योरा नहीं दिया गया है। इस मामले में पीजीआई के निदेशक डॉ. शमशेर लोहचब को कई बार कॉल किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। लिखित मैसेज भी भेजा, लेकिन जवाब नहीं आया।। पीजीआई प्रशासन की तरफ से चिकित्सा अधीक्षक पद पर नई तैनाती के लिए आदेश जारी किया गया है।

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