पांडू पिंडारा तीर्थ में शनिदेव अमावस्य पर डूबकी लगाते श्रद्धालु।
हरियाणा के जींद में शुक्रवार को शनिदेव जयंती अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने पांडू-पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर आस्था की डूबकी लगाई और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। अमावस्या पर काफी भीड़ उमड़ी थी और सुरक्षा के लिहाज से पुलिस बल को तैनात किया गया था।
इस अमावस्या पर स्नान, दान-पुण्य करने का अपना महत्व है। इस अमावस्या पर सरसों का तेल अर्पित करना भी शुभ माना जाता है।
अमावस्या पर स्नान करने के लिए जाती महिलाएं।
अमावस्या पर स्नान करने के लिए जाती महिलाएं।
ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर गुरुवार शाम से ही श्रद्धालु पहुंचना शुरू हो गए थे। रात को धर्मशालाओं में सत्संग तथा कीर्तन आदि का आयोजन चलता रहा। शुक्रवार सुबह ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान तथा पिंडदान शुरू कर दिया जो मध्यान्ह के बाद तक चलता रहा।
इस मौके पर दूर दराज से आएं श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा शनिदेव तथ्सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख समृद्धि की कामना की।
अमावस्या पर स्नान करते आस्था की डूबकी लगाते श्रद्धालु।
अमावस्या पर स्नान करते आस्था की डूबकी लगाते श्रद्धालु।
पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया।
तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्याएं विशेषकर सोमवती अमावस्या और शनिदेव अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं।
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