जींद : भारत की फ़र्स्ट लेडी अवॉर्ड से सम्मानित और हरियाणा के जींद के जुलाना के गांव मालवी निवासी महिला पहलवान कविता दलाल की जिंदगी पर बॉलीवुड मूवी (बायोपिक) बनेगी। ग्रांड स्केल पर फिल्म बनाने को लेकर कविता दलाल का मुंबई की टीम के साथ कांट्रैक्ट साइन हो गया है। टीम ने स्टोरी लिखनी भी शुरू कर दी है।
दंगल, मेरीकॉम समेत दूसरी बायोपिक फिल्मों की तरह कविता दलाल की जिंदगी भी रुपहले पर्दे पर दिखेगी। कविता दलाल तब ज्यादा चर्चा में आयी थी, जब वर्ष 2016 में सूट-सलवार पहनकर अंतरराष्ट्रीय पहलवान को पटखनी दी।फिलहाल वह आम आदमी पार्टी से जुड़ी हुई हैं। जंतर मंतर पर पहुंच कर उसने भी आरोप लगाया था कि पूर्व IPS की प्रताड़ना की वजह से वह रिंग से दूर हुई।
जुलाना के छोटे से गांव मालवी के किसान परिवार में पैदा हुई कविता दलाल को शुरू से ही दूध-दही खाने का शौक था। शारीरिक रूप से मजबूत और 5 फीट 11 ईंच की कद काठी होने के कारण उसका रुझान वेट लिफ्टिंग की तरफ गया। ग्रामीण परिवेश से निकलकर समाज और आर्थिक हालातों से लड़ते हुए कविता ने मेहनत की और धीरे-धीरे मेडलों की झड़ी लगा दी। कविता ने वेट लिफ्टिंग में नेशनल गेम्स में कई मेडल जीते। इसके अलावा साल 2016 में साउथ एशियार्ड में कविता ने गोल्ड मेडल जीता।
कविता दलाल डब्ल्यूडब्ल्यूई की फाइटें देखती थी। उसकी इच्छा भी थी कि वह भी इस तरह की फाइटों में भाग ले। इसको लेकर कविता ने जालंधर की एक एकेडमी में ट्रेनिंग शुरू की। वहां डब्ल्यू डब्ल्यू ई की फाइटिंग के लिए मेहनत करने लगी। साल 2016 में ही कविता दलाल देसी अंदाज में सूट सलवार पहनकर WWE के रिंग में उतरी। उसने विश्व स्तर की पहलवान को जबरदस्त पटखनी दी। इसकी वीडियो वायरल हुई तो देश ही नहीं, विदेशों में भी कविता दलाल ने सुर्खियां बटोरी।
कविता दलाल ने यूएसए से डब्ल्यूडब्ल्यूई की टीम आई तो उसका सिलेक्शन हुआ। दुबई में होने वाली फाइटिंग के लिए वह भारत से अकेली महिला पहलवान थी। WWE के इवेंट में भी उसने सूट और सलवार में ही फाइटिंग की और भारतीय कल्चर को बढ़ावा दिया। इसके बाद उसकी पहचान बनने लगी। वर्ष 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें फर्स्ट लेडी के अवॉर्ड से सम्मानित किया।
कविता दलाल इसके बाद 4 साल तक यूएसए में फाइटिंग करती रही। करीब 2 साल पहले इंडिया लौटी और यहां आने के बाद राजनीति में सक्रिय हो गई। आप पार्टी को जॉइन कर लिया। कविता का मानना है कि खेलों की नीतियां अच्छी हैं, लेकिन यह फाइलों तक सीमित रह जाती हैं और असली टैलेंट दब जाता है। वह चाहती है कि सिस्टम में आकर सिस्टम का हिस्सा बनकर बहुत कुछ बदला जा सकता है। कविता बताती है कि उनका विजन है कि लड़कियों के लिए ऐसा प्लेटफार्म तैयार किया जाए, जिससे उनका टैलेंट उभरकर सामने आए।
संघर्ष के दिनों के बारे में कविता दलाल ने कहा कि किसान परिवार से होने के कारण शुरुआत में आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी। परिवार का दूध बेचकर ही गुजारा होता था। अपने भाई संजय के कहने पर खेल में आगे बढ़ी। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में कैंप के दौरान एक बार कविता दलाल के पास पैसे नहीं थे तो उसने मंदिर में मूर्ति के आगे रखे 15 रुपए उठा लिए थे और उससे टूथपेस्ट खरीदा था। कुछ दिन बाद वह पैसे वापस मंदिर में रखने के लिए मंदिर गई। वहां मंदिर के बाहर बैठी एक भूखी लड़की को खाना खिलाया।
कविता दलाल ने बताया कि उन्हें खुशी है कि उनकी संघर्ष पूर्ण लाइफ को किसी ने समझा और उस पर फिल्म बनने जा रही है। इससे उन लाखों लड़कियों को प्रेरणा मिलेगी, जो परिस्थितियों में उलझकर अपना सपना पूरा नहीं कर पाती। कविता ने बताया कि प्रीति अग्रवाल के साथ उनकी फिल्म बनाने को लेकर कांट्रैक्ट साइन हुआ है। फिल्म में उनके जिंदगी के पूरे संघर्ष को दिखाया जाएगा। मैं अटल हूं जैसी फिल्मों के निर्माता जीशान भी कविता की बायोपिक पर काम करने को लेकर बेहद उत्सुक नजर आ रहे हैं।
कविता ने कहा- मुझे भी उत्पीड़न की वजह से रेसलिंग छोड़नी पड़ी। मैंने भी वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के अध्यक्ष पूर्व IPS की प्रताड़ना के कारण रेसलिंग छोड़ी थी। पहले कभी आपबीती बताने की हिम्मत नहीं जुटा पाई, लेकिन दिल्ली के जंतर-मंतर पर विनेश फोगाट को देख तो हिम्मत आई। ऐसी स्थितियां कई खिलाड़ियों के चारों तरफ पैदा कर दी जाती हैं।
No comments:
Post a Comment