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Saturday, June 3, 2023

*सिग्नल, ट्रैक चेंज, टकराव और डिरेल:ओडिशा में कुछ मिनटों में कैसे हुआ 28 साल का सबसे बड़ा ट्रेन हादसा*

*सिग्नल, ट्रैक चेंज, टकराव और डिरेल:ओडिशा में कुछ मिनटों में कैसे हुआ 28 साल का सबसे बड़ा ट्रेन हादसा*
ओडिशा के बालासोर जिले के बहानगा में शुक्रवार शाम हुए ट्रिपल ट्रेन एक्सीडेंट के वीभत्स वीडियो और तस्वीरें तो आपने देख ली होंगी। अब सभी के मन में सवाल है कि एक साथ 3 ट्रेनों की भिड़ंत कैसे हुई?

अब तक अधिकारियों, चश्मदीदों और सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मिनट दर मिनट पूरा हादसा और ट्रेन पटरी से उतरने की 4 संभावनाओं को एक्सप्लेन करेंगे…

ओडिशा ट्रिपल ट्रेन हादसे की मुख्य वजह कोरोमंडल एक्सप्रेस का डिरेल होना यानी, पटरी से उतर जाना बताया जा रहा है। किसी ट्रेन के डिरेल होने की 4 संभावनाएं होती हैं...

1. ट्रैक या पटरी में फ्रैक्चर: जब ट्रेन के ट्रैक के बीच की चौड़ाई बढ़ जाती है या दो पटरियों के बीच का जोड़ कमजोर हो जाता है, ऐसे में ट्रेन के डिरेल होने की संभावना बढ़ जाती है। इसकी वजह मैन्युफैक्चरिंग और इंस्टालेशन डिफेक्ट, एक्स्ट्रीम गर्मी या मेंटेनेंस की कमी से हो सकता है।
2. रेलवे इक्विपमेंट्स या टेक्निकल गड़बड़ीः पहिए, लोकोमोटिव बीयरिंग, सस्पेंशन और रेलवे बोगी में होने वाली खराबी की वजह से भी ट्रेन डिरेल हो सकती है। ट्रेन सिग्नल और नेटवर्क की मदद से चलती है। ऐसे में कई मौकों पर कंट्रोल रूम या नेटवर्क से संपर्क टूटने के बाद टेक्निकल खराबी की वजह से भी ट्रेन डिरेल होती है।

3. मानवीय भूलः लोको पायलट, गार्ड या किसी अन्य ऑपरेशनल मैनेजर की भूल की वजह से भी ट्रेन पटरी से पलटने की संभावना होती है। अमूमन स्लो सिग्नल के बावजूद ट्रेन को फास्ट चलाना, कम्युनिकेशन गैप, रेलवे रूल्स फॉलो न करना हादसे की वजह बनी है।

4. मौसम: जब किसी क्षेत्र में काफी ज्यादा गर्मी पड़ रही हो या किसी क्षेत्र में काफी ज्यादा ठंड हो तो वहां रेलवे पटरियों में फैलाव कम-ज्यादा हो सकता है। ज्यादा बारिश या तेज हवा में रेलवे ट्रैक पर पेड़ गिरने की वजह से भी ट्रेन डिरेल हो सकती है।

*ओडिशा रेल हादसे के दो सिनेरियो हो सकते हैं...*
1. अगर कोरोमंडल एक्सप्रेस डिरेल हुई और उसके मलबे से बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट टकरा गई… ऐसी स्थिति में ट्रैक में फ्रैक्चर, रेलवे इक्विपमेंट्स में गड़बड़ी या मानवीय भूल वजह हो सकती है। एक वजह ये भी हो सकती है कि ट्रेन को स्लो चलने या ठहरने का सिग्नल हो, लेकिन ड्राइवर इसे फॉलो न कर सका हो। इससे कोरोमंडल डिरेल हुई और उसके डिब्बे तीसरे ट्रैक पर पहुंच गए। उसके थोड़ी ही देर बाद बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस आई और ट्रैक पर बिखरे डिब्बों से टकराकर डिरेल हो गई। इसकी वजह ये हो सकती है कि बेंगलुरु-हावड़ा के लोकोपायलट को सही सिग्नल नहीं मिला या उसने अनदेखी की।

2. या फिर कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन मालगाड़ी से टकराकर डिरेल हुई और उसके मलबे से बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट टकरा गई… ऐसी स्थिति में जिस ट्रैक पर मालगाड़ी खड़ी थी, उसी ट्रैक पर कोरोमंडल एक्सप्रेस चली गई होगी। वजह- सही सिग्नल न मिलना, कंट्रोल रूम और ड्राइवर की लापरवाही और रेल पटरियों में सुरक्षा कवच का अभाव। इसके बाद तीसरे ट्रैक पर बिखरे कोरोमंडल एक्सप्रेस के मलबे से थोड़ी देर बाद आई बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट टकरा गई। इसकी वजह ये हो सकती है दोनों ट्रेनों के टकराने के बावजूद लोकोपायलट को सही सिग्नल नहीं मिला या उसने अनदेखी की।

अपडेटः खड़गपुर रेलवे डिवीजन के अधिकारियों की प्राइमरी जांच में ओडिशा ट्रिपल ट्रेन हादसे की मुख्य वजह सिग्नल फेल्योर होना बताया जा रहा है। शाम करीब 6.50 बजे 128 किमी/घंटे की रफ्तार से कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन की बजाए लूपलाइन में घुस गई और वहां खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे मालगाड़ी और कुछ बगल के ट्रैक में बिखर गए। इसके बाद शाम करीब 7 बजे 116 किमी/घंटे की रफ्तार से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट ट्रेन ट्रैक पर बिखरे कोरोमंडल ट्रेन के कोच से टकरा गई।
आजाद भारत में हुए 5 सबसे भीषण रेल हादसे...

*6 जून 1981, जगह सहरसा, बिहार; 800 की मौत*
पैसेंजर ट्रेन मानसी से सहरसा की ओर जा रही थी। जोरदार बारिश हो रही थी। तेज हवाएं चल रही थीं। जब ट्रेन बागमती नदी के ऊपर बने पुल से गुजर रही थी, तभी अचानक ड्राइवर ने ब्रेक मार दिया। एक झटके में इसके सात डिब्बे नदी में गिर गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें करीब 800 लोगों की मौत हुई थी। सरकारी आंकड़े में 300 लोगों के मरने की बात कही गई।
20 अगस्त, 1995, जगह फिरोजाबाद; 350 की मौत

रात 2 बजकर 46 मिनट का वक्त। कालिंदी एक्सप्रेस दिल्ली जा रही थी, तभी फिरोजाबाद स्टेशन पर एक नीलगाय टकरा गई। इससे कुछ देर के लिए ट्रेन रुक गई। इसी बीच पीछे से पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ने उसे टक्कर मार दी। इसमें 350 लोगों की मौत हुई थी। 400 लोग घायल हुए थे। 
रात 2 बजकर 46 मिनट का वक्त। कालिंदी एक्सप्रेस दिल्ली जा रही थी, तभी फिरोजाबाद स्टेशन पर एक नीलगाय टकरा गई। इससे कुछ देर के लिए ट्रेन रुक गई। इसी बीच पीछे से पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ने उसे टक्कर मार दी। इसमें 350 लोगों की मौत हुई थी। 400 लोग घायल हुए थे।
2 अगस्त 1999, जगह गैसल, पश्चिम बंगाल; 285 की मौत

ब्रह्मपुत्र मेल कटिहार डिवीजन के गैसल स्टेशन पर खड़ी अवध असम एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस हादसे में 285 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। करीब 300 लोग घायल हुए थे
ब्रह्मपुत्र मेल कटिहार डिवीजन के गैसल स्टेशन पर खड़ी अवध असम एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस हादसे में 285 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। करीब 300 लोग घायल हुए थे।
26 नवंबर 1998, पंजाब; 212 की मौत

जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस पंजाब के खन्ना में फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल के पटरी से उतरे तीन डिब्बों से टकरा गई थी, जिसमें 212 लोगों की मौत हो गई थी।
जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस पंजाब के खन्ना में फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल के पटरी से उतरे तीन डिब्बों से टकरा गई थी, जिसमें 212 लोगों की मौत हो गई थी।
20 नवंबर 2016, पुखराया कानपुर; 153 की मौत

पटना इंदौर एक्सप्रेस पटना की ओर जा रही थी। अलसुबह 3 बजे के करीब कानपुर के पुखरायां के पास इसके 14 डिब्बे पटरी से उतर गए। इसमें 153 लोगों की जान चली गई। करीब 260 लोग घायल हो गए थे। 
पटना इंदौर एक्सप्रेस पटना की ओर जा रही थी। अलसुबह 3 बजे के करीब कानपुर के पुखरायां के पास इसके 14 डिब्बे पटरी से उतर गए। इसमें 153 लोगों की जान चली गई। करीब 260 लोग घायल हो गए थे।
ग्राफिक्स: हर्षराज साहनी

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